महाराष्ट्र सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ 5000 करोड़ के करार को दी हरी झंडी
चिरौरी न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: जब देश में चायनीज सामानों के बहिष्कार के लिए एक आन्दोलन चलाया जा रहा है, तब महाराष्ट्र की गठबंधन की सरकार ने चीनी कंपनियों के साथ 5000 करोड़ का करार किया है। बताया जा रहा है कि ये करार पिछले कई दिनों से लंबित थे, उद्धव ठाकरे की सरकार ने अब इसकी मंजूरी दी है। महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत-चीन के बीच तनाव के बाद तीन चीनी कंपनियों के साथ किए 5000 करोड़ के करार को होल्ड पर रखा था, लेकिन दोनों देशों के बीच हो रही सकारात्मक बातचीत और तनाव कम होने से राज्य सरकार ने प्रोजेक्ट को क्लिअरेंस दिया है।
उन्होंने उम्मीद जताया कि आगे किसी तरह की कठिनाई नहीं आएगी। “पहले की स्थिती और आज की स्थिती में अंतर है। हमें आज सुबह ही पता चला कि दोनों देश की बीच हालात सुधर रहे हैं। हमें विश्वास है कि आर्थिक करार को आगे बढ़ाने में भविष्य में कोई समस्या नहीं होगी।” उन्होंने कहा कि सरकार का ये मानना है कि कोरोना से बने आर्थिक संकट से उबरने के लिए इस निवेश को मंज़ूरी देना आज की जरुरत है।
महाराष्ट्र सरकार आर्थिक संकट से उबरने के लिए ने हाल ही में मुंबई में मैगनेटिक महाराष्ट्र 2.0 इन्वेस्टर मीट का आयोजन किया था, जिसमें सरकार ने तीन चीनी कंपनी ग्रेट वॉल मोटर्ज़ (GMW ), पीमाई (PMI) इलेक्ट्रो मोबिलिटी और फोटोन (FOTON China), हेल्गी इंजिनीरिंग (HELGI Engineering) के साथ करार किया। ये तीनों कंपनियां 5000 करोड़ का महाराष्ट्र में निवेश करने जा रही थीं। ये करार 15 जून को हुआ था। मंगलवार को भारत सीमा विवाद में 20 जवानों की शहादत की खबर आई और महाराष्ट्र सरकार ने फ़ौरन देशहित में ये एग्रीमेंट आगे नहीं ले जाने का निर्णय लिया था।
सराकर से मिली जानकारी के मुताबिक, जिन चीनी कंपनियों के साथ करार करार किया गया था, उनकी जानकारी कुछ इस प्रकार है:- GMW (ग्रेट वॉल मोटर्ज़) कंपनी के साथ पुणे, तलेगांव में 3770 करोड़ का ऑटोमोबाइल प्लांट का एग्रीमेंट। PMI इलेक्ट्रो मोबिलिटी और Foton (China) के साथ 1000 करोड़ का पुणे के तलेगांव में प्रोजेक्ट तथा HELGI engineering के साथ पुणे के तलेगांव में ही ढाई सौ करोड़ के प्रोजेकट के लिए करार।