नक्सलियों के लिए कोई युद्धविराम नहीं: अमित शाह

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को नक्सलियों द्वारा कही गई ‘युद्धविराम’ की पेशकश पर स्पष्ट कर दिया कि सरकार किसी तरह का युद्धविराम नहीं मानेगी। उन्होंने कहा कि अगर नक्सली सरेंडर करना चाहते हैं तो युद्धविराम की कोई जरूरत नहीं, अपनी बंदूकें छोड़ दीजिए, एक भी गोली नहीं चलाई जाएगी।
उन्होंने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा ‘नक्सल मुक्त भारत: एन्डिंग रेड टेरर अंडर मोदी लीडरशीप’ विषय पर आयोजित सेमिनार के समापन सत्र में कहा कि जो लोग आत्मसमर्पण करेंगे उन्हें “लाभकारी” पुनर्वास नीति के तहत पुनर्स्थापित किया जाएगा और उन्हें “रेड कार्पेट” स्वागत मिलेगा, लेकिन हथियार उठाने वाले नक्सलियों को कोई मौका सरकार नहीं देगी।
शाह ने कहा कि हाल में एक पत्र के माध्यम से भ्रान्ति फैलाई जा रही थी कि अब तक जो हुआ वह गलती थी और एक युद्धविराम होना चाहिए। अमित शाह ने यह भी कहा कि सिर्फ़ नक्सलियों की हिंसा रोक देने से समस्या खत्म नहीं होगी। नक्सलवाद का विस्तार उस विचारधारा के कारण हुआ जिसे समाज के भीतर कुछ लोगों ने पोषित किया। “नक्सल विचारधारा को समाज में पालने वाले, जो कानूनी, आर्थिक और वैचारिक समर्थन देते रहे, उन्हें पहचानना और समझना जरूरी है,” उन्होंने कहा।
गृहमंत्री ने वामपंथी दलों पर भी निशाना साधा और कहा कि कुछ पार्टी आदर्शवादी रूप से नक्सल विचारधारा का वैचारिक समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने उन दलीलों को खारिज किया जिनमें कहा जाता है कि विकास की कमी के कारण ही नक्सलवाद पनपा। शाह ने कहा कि दशकों तक ‘लाल आतंक’ के कारण कई हिस्से विकास की पहुंच से वंचित रहे।
शाह ने यह भी बताया कि सरकार नक्सलियों को गिरफ्तार करने और आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहित करने दोनों कदम उठा रही है और एक “अच्छी सरेंडर नीति” भी लाई गई है, ताकि लोग मुख्यधारा में लौट सकें। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि जहाँ नक्सलियों ने हथियार उठाकर आम नागरिकों की हत्या की है, वहाँ सुरक्षा बलों के पास जवाब में हथियार उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता, “गोलियों का जवाब गोलियों से दिया जाना ही पड़ता है”।
केंद्रीय मंत्री ने देश से नक्सलवाद उन्मूलन का एक लक्ष्य भी दिया और आश्वस्त किया कि “देश 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त होगा”। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक इसमें लिप्त सभी लोग मुख्यधारा में वापस नहीं आ जाते।
समारोह में उन्होंने यह भी पूछा कि जो लोग नक्सलियों के ‘युद्धविराम’ का स्वागत कर रहे हैं, वे इस मुद्दे पर क्यों बोल रहे हैं और क्या वे आदिवासी पीड़ितों के मानवाधिकारों के लिए उतनी ही आवाज़ उठाते हैं। शाह ने प्रश्न उठाया कि जिन लंबे-चौड़े लेखों और सलाहों के लेखक हैं, क्या उन्होंने कभी आदिवासी पीड़ितों के लिए कुछ लिखा है।

एक दिवसीय कार्यक्रम के अंत में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के डायरेक्टर, विनय कुमार सिंह ने सभी आगंतुकों को धन्यवाद दिया। विनय कुमार सिंह ने नक्सल समस्या पर कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के पास दो विभाग हैं, जिसमें एक को-ऑपरेशन का है और एक ऑपरेशन का है। अब नक्सलियों को तय करना है कि उन्हें क्या चाहिए। इस कार्यक्रम में देश भर के कई यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर,अध्यापक और नक्सल समस्या पर शोध करने वाले छात्र उपस्थित थे।