ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया भारत की संप्रभुता से छेड़छाड़ का अंजाम: पीएम मोदी
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पूरी दुनिया को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता को चुनौती देने वालों को करारा जवाब देगा।
तमिलनाडु के अरियालुर ज़िले स्थित ऐतिहासिक गंगईकोंडा चोलापुरम मंदिर में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “आज का भारत अपनी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा कि अगर कोई भारत की संप्रभुता को चुनौती देता है, तो भारत उसे उसी की भाषा में जवाब देता है। इस ऑपरेशन ने देश में नया आत्मविश्वास और एकता की भावना पैदा की है। भारत के दुश्मनों और आतंकवादियों के लिए अब दुनिया में कहीं भी पनाह नहीं है।”
प्रधानमंत्री यह वक्तव्य आदि तिरुवथिरै महोत्सव के समापन और राजेंद्र चोल की दक्षिण-पूर्व एशिया तक की ऐतिहासिक समुद्री विजय के 1000वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष समारोह के दौरान दे रहे थे।
यह कार्यक्रम गंगईकोंडा चोलिस्वरम मंदिर में आयोजित हुआ, जो कि यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण है, और जिसे राजेंद्र चोल प्रथम ने बनवाया था।
भगवान बृहदीश्वर के चरणों में प्रार्थना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैंने 140 करोड़ भारतीयों की सुख-समृद्धि और देश की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की। मुझे यह अवसर पाकर अत्यंत धन्य महसूस हो रहा है।”
पीएम मोदी ने घोषणा की कि राजराजा चोल और राजेंद्र चोल की भव्य प्रतिमाएं तमिलनाडु में स्थापित की जाएंगी, ताकि भारतीय इतिहास और संस्कृति में उनके योगदान को श्रद्धांजलि दी जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चोल साम्राज्य भारत का एक स्वर्ण युग था, जिसने वास्तुकला, प्रशासन, कूटनीति, व्यापार और सांस्कृतिक समन्वय में महान उपलब्धियाँ हासिल कीं।
उन्होंने कहा, “चोलों ने श्रीलंका, मालदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ मजबूत राजनीतिक और व्यापारिक संबंध स्थापित किए। यह संयोग है कि मैं कल ही मालदीव से लौटा हूं और आज उसी भूमि पर खड़ा हूं, जिसे इन दूरदर्शी शासकों ने शासित किया था।”
भारत की सभ्यतागत विरासत पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “चोलों ने ब्रिटेन से पहले लोकतांत्रिक मूल्यों की नींव रखी थी। उनका कुडावोलाई प्रणाली भागीदारी लोकतंत्र की प्रारंभिक मिसाल मानी जाती है। वे जल प्रबंधन और मंदिर वास्तुकला के भी अग्रदूत थे।”
प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु की गहन शैव परंपराओं की सराहना करते हुए यह भी उल्लेख किया कि केंद्र सरकार द्वारा विदेशों से वापस लाए गए 30 से अधिक चोरी हुए प्राचीन मूर्तियों का संबंध तमिलनाडु से है।
उन्होंने शैव संत तिरुमूलर के वचनों का उद्धरण देते हुए कहा, “‘अनबे शिवम’ – अर्थात प्रेम ही शिव है। यदि दुनिया इस विचार को अपनाए, तो आज की अस्थिरता, हिंसा और पर्यावरण संकट जैसी कई समस्याओं का समाधान संभव है। भारत इस संदेश को ‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’ के माध्यम से पूरी दुनिया तक पहुंचा रहा है।”
आध्यात्मिक वातावरण और इलैयाराजा की संगीतमय श्रद्धांजलि से भावविभोर होते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों का स्वागत “वनक्कम चोल मंडलम्!” कहकर किया।
उन्होंने कहा, “भगवान शिव का दर्शन और इलैयाराजा का दिव्य संगीत मेरी आत्मा को आनंद से भर गया है। यहां चोलों पर लगी प्रदर्शनी अत्यंत प्रेरणादायक रही।”
इस समारोह में राज्यपाल आर.एन. रवि, तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेनारासु (मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के प्रतिनिधि के रूप में), केंद्रीय मंत्री एल. मुरुगन, और वीसीके नेता थोल. तिरुमावलवन भी उपस्थित रहे।