प्रधानमंत्री मोदी ने दलाई लामा को 90वें जन्मदिन पर दी शुभकामनाएं, “भारत की 1.4 अरब जनता की ओर से सादर अभिनंदन”
चिरौरी न्यूज
धर्मशाला: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को उन्हें शुभकामनाएं दीं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की। प्रधानमंत्री मोदी फिलहाल ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैं भारत की 1.4 अरब जनता की ओर से परम पूज्य दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। वे प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के प्रतीक हैं। उनका संदेश सभी धर्मों में सम्मान और प्रेरणा का स्रोत रहा है। हम उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्रार्थना करते हैं।”
यह संदेश उस समय आया है जब दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा तेज है। चीन ने भारत को इस मुद्दे पर “सावधानीपूर्वक” व्यवहार करने की सलाह दी है और इसे “आंतरिक मामला” बताते हुए भारत को हस्तक्षेप से बचने को कहा है।
चीन दलाई लामा को एक “विच्छेदवादी” (Separatist) मानता है और अंतरराष्ट्रीय नेताओं से उनकी मुलाकातों या भारत सरकार के निमंत्रण पर उनके शामिल होने को लेकर संवेदनशील रहता है।
2021 में दिखा था भारत का रणनीतिक रुख में बदलाव
2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी थीं, जो भारत की पहले की सरकारों की नीतियों से एक रणनीतिक बदलाव के रूप में देखा गया। इससे पहले भारत सरकार दलाई लामा से दूरी बनाए रखने की कोशिश करती थी ताकि चीन को नाराज़ न किया जाए।
दलाई लामा के 90वें जन्मदिन पर ‘करुणा वर्ष’ की घोषणा
दलाई लामा की 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर, धर्मशाला स्थित तिब्बती निर्वासित सरकार, सेंट्रल तिब्बतन एडमिनिस्ट्रेशन (CTA) ने जुलाई 2025 से जुलाई 2026 तक ‘करुणा वर्ष’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। यह पहल दलाई लामा के विश्व-स्तरीय योगदान और शांति, करुणा, नैतिक मूल्यों तथा धार्मिक सौहार्द के प्रचार के लिए उन्हें श्रद्धांजलि है।
दलाई लामा का संदेश: “मैं शारीरिक और मानसिक रूप से भारत का पुत्र हूं”
दलाई लामा ने अपने जन्मदिन की पूर्व संध्या पर कहा, “मैं मानव मूल्यों को बढ़ावा देने, धार्मिक सौहार्द को प्रोत्साहित करने, भारतीय प्राचीन ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करने और तिब्बती संस्कृति को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हूं। मेरी सोच, मेरा शरीर, दोनों भारत से बने हैं। मैं मानसिक और शारीरिक रूप से भारत का पुत्र हूं।”
उन्होंने भारत और तिब्बत के संबंधों को ‘गुरु और चेले’ का बताया और कहा कि यदि कभी गुरु के आचरण में भ्रष्टता दिखाई देती है, तो एक चेले के रूप में उन्हें दुःख होता है।
भारत रत्न की मांग
दलाई लामा के अनुयायियों और कई भारतीय सांसदों की ओर से बार-बार यह मांग उठती रही है कि उन्हें भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, प्रदान किया जाए ताकि मानवता के लिए उनके योगदान को औपचारिक मान्यता दी जा सके।