अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी ने फहराया राम ध्वज, राम मंदिर निर्माण पूर्ण होने का ऐतिहासिक क्षण
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: अयोध्या में मंगलवार दोपहर वह क्षण आया जिसका इंतज़ार करोड़ों लोगों ने वर्षों तक किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के सर्वोच्च शिखर पर केसरिया ध्वज फहराकर भगवान राम के बाल्यकाल के गृहस्थल को उसके ऐतिहासिक गौरव से पुनः जोड़ने का अपना वादा पूरा किया।
यह ध्वजारोहण उस मंदिर के निर्माण-समापन का प्रतीक था जिसका भूमि-पूजन स्वयं पीएम मोदी ने 5 अगस्त 2020 को किया था। 191 फीट ऊंचे शिखर पर लगाया गया यह 10×20 फीट का त्रिकोणीय ध्वज भगवान राम की तेजस्विता और पराक्रम का प्रतीक सूर्य-चिह्न लिए हुए है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज अयोध्या भारत की सांस्कृतिक चेतना की नई पराकाष्ठा का साक्षी बन रही है। यह धार्मिक ध्वज केवल एक ध्वज नहीं… यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है।” प्रधानमंत्री ने लोगों से ‘अपने भीतर के राम को जागृत करने’ का आह्वान किया और कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अपनी विरासत पर गर्व करना आवश्यक है।
यह कार्यक्रम विवाह पंचमी के पावन पर्व पर हुआ, जो भगवान राम और माता सीता के विवाह का उत्सव है। समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उपस्थित रहे।
इतिहास, राजनीति और आस्था से जुड़ा क्षण
राम मंदिर आंदोलन भारत के सबसे लंबे और जटिल सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों में रहा है। 1528 में बनी बाबरी मस्जिद उस स्थल पर स्थित थी जिसे हिंदू भगवान राम का जन्मस्थान मानते थे। 1992 में इसके ढहने के बाद देशभर में दंगे भड़क उठे, जिसने भारतीय समाज पर गहरे घाव छोड़े। अंततः 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित भूमि हिंदुओं को देने का फैसला सुनाया, जिससे संघर्ष का कानूनी अंत हुआ।
2020 में प्रधानमंत्री द्वारा भूमि-पूजन के साथ मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ और अब ध्वजारोहण के साथ इसका पूर्ण रूप सामने आ गया।
अयोध्या का भविष्य—धार्मिक और आर्थिक केंद्र के रूप में
नए राम मंदिर के साथ अयोध्या एक प्रमुख वैश्विक तीर्थस्थल के रूप में उभर रहा है। लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं के आगमन से पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़ी वृद्धि होने की संभावना है। नए हवाई अड्डे, हाईवे, रेलवे और होटल निर्माण से क्षेत्रीय विकास को तेज़ी मिली है।
विश्वभर में बसे हिंदुओं के लिए भी यह घटना भारत के सांस्कृतिक नेतृत्व का प्रतीक बनकर सामने आई है। राम मंदिर अब सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि वैश्विक हिंदू पहचान का केंद्र बन चुका है।
अयोध्या का यह नया अध्याय आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक गौरव और आर्थिक विकास—तीनों का संगम है, जो आने वाले वर्षों में भारत की सांस्कृतिक धुरी को और मजबूत करेगा।
