एम्स ने किया सफल प्रयोग, ठीक हो रहें हैं कोरोना के मरीज

अभिषेक मल्लिक

नई दिल्ली:

कोरोना महामारी का इलाज अभी तक किसी देश में नहीं मिला है। फ़िलहाल इससे बचने के लिए लोग डॉक्टरों द्वारा दिये गए सुझावों पर अमल कर बचते है। लेकिन कोरोना से बचने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स ने रेडिएशन थेरेपी के जरिये कोरोना से संक्रमित मरीजों में न्यूमोनिया के प्रभाव को कम करने के लिए एक प्रक्रिया शुरू किया है, जिससे मरीजों को कोरोना से लड़ने में मदद मिलेगी।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और इस प्रक्रिया के रिसर्च प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल डॉक्टर डीएन शर्मा का कहना है कि बीते शनिवार को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखे गए दो कोरोना मरीजों को रेडिएशन थेरेपी दी गई थी। जिसके बाद स्थिति क़ाबू में आया तो उन्हें सपोर्ट से हटा दिया गया। उनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक बताई जा रही है।

डॉक्टर शर्मा का कहना है कि अमूमन अधिक मात्रा का  रेडिएशन थेरेपी कैंसर के मरीज को दी जाती है, लेकिन इन कोरोना के मरीजों को कम मात्रा में रेडिएशन थेरेपी दिया गया, जिससे उनपर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं हुआ और उनकी हालत में पहले से सुधार हुआ है। न्यूमोनिया के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल 1940 के दशक में किया जाता था जब इसकी एंटीबायोटिक नही बनी थी, और अब इसका उपयोग कोरोना से लड़ाई लड़ने में भी किया जा रहा है। लेकिन उनका कहना है कि इस पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत कम से कम 8 से 10 कोरोना मरीजों का इस थेरेपी से इलाज के ही नतीजे आ पाएंगे कि  क्या कोरोना से लड़ने के लिए रेडिएशन थेरेपी सक्षम है या नहीं?

फिलहाल इस पर रिसर्च जारी है, अगर ये कोरोना से लड़ने में सफल रही तो भारत के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।

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