डिप्रेशन, आत्महत्या और समाज
राजेश
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की 34 साल में आत्महत्या ने समाज के सामने कई अनसुलझे सवाल खड़े कर दिए हैं जिनका हल निकालना और समाज को उस सन्दर्भ में सन्देश देना जरूरी है। सुशांत का असमय निधन दुखद है और उनके आत्महत्या करने के पीछे एक बड़ी वजह यह बतायी जा रही है कि वह पिछले कुछ महीने से डिप्रेशन में चल रहे थे। एक आम आदमी आत्महत्या कर ले तो कभी बड़ी खबर नहीं बनती है और न ही उस पर कोई चर्चा होती है लेकिन जब कोई हस्ती आत्महत्या करती है तो वह बड़ी खबर होती है और चर्चा का विषय बन जाती है।
सुशांत का इस तरह चले जाना उनके परिवार के लिए बहुत ही दुखद खबर है। सुशांत शायद यह कदम उठाते समय केवल अपनी भावनाओं में खोये थे और अपने आस-पास के लोगों के बारे में नहीं सोच पाए। यदि वह ऐसा सोच पाते तो शायद इतना बड़ा कदम नहीं उठाते। देश में कोरोना का समय चल रहा है, लाखों लोगों ने अपना रोजगार छिन जाने पर अपने कार्यस्थलों से पलायन किया है, लाखों लोगों की नौकरियां गयीं हैं, लोग कह रहे हैं कि भगवान ऐसा समय किसी को न दिखाए, पॉजिटिव पाए जानेपर ऐसे लोगों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जा रहा है, हालात ऐसे हैं कि किसी को भी डिप्रेशन में डाल सकते हैं और यदि कोई टीवी चैनलों पर कोरोना की खबरें देख ले तो वैसे ही डिप्रेशन में चला जाएगा।
इन बातों को सुशांत से जोड़ने का कोई तात्पर्य नहीं है, बस तात्पर्य इतना है कि यदि हालात बहुत प्रतिकूल भी हो जाएं तो मनुष्य को धैर्य नहीं खोना चाहिए, उलटे हालात का डटकर सामना करना चहिये कि वह एक विजेता बनकर निकले और समाज के सामने एक उदाहरण पेश कर सके।
डिप्रेशन को लेकर मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने एक बहुत अनुकरणीय बात कही है। दीपिका पादुकोण खुद भी कभी गंभीर डिप्रेशन की शिकार हो गई थीं, हालांकि उन्होंने डिप्रेशन के आगे कभी घुटने नहीं टेके। वह अपने डिप्रेशन को लेकर मीडिया के सामने कई बार आईं और अपनी परेशानी को सभी के साथ शेयर किया। वह आज भी इस विषय पर बोलने से पीछे नहीं हटती हैं। वह सभी को डिप्रेशन के प्रति जागरूक करती रहती हैं।
दीपिका पादुकोण ने लिखा, “एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जिसे मानसिक बीमारी का खुद अनुभव हुआ है, मैं मदद के लिए आगे आने और समस्या साझा करने पर जोर देती हूं। ऐसे समय में बात करें, अपनी परेशानी शेयर करें और जाहिर करें। दूसरों की मदद लें। आप इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं, याद रखें। इसमें हम एक साथ हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात उम्मीद है।“
ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर करोड़ों फ़ॉलोवर्स वाले सुशांत सिंह राजपूत जब मानसिक तनाव में थे तो क्या उनके साथ उनका कोई मित्र नहीं था। इस डिजिटल दौर में ‘स्मार्टफ़ोन’ को दिन में दो घंटे जरूर आराम दें और दोस्तों के साथ समय बिताएं, कोई भी तनाव नहीं रहेगा।
सुशांत की आत्महत्या की खबर सामने आने के बाद बहुत सारी हस्तियों ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं हो पा रहा है कि यह खबर सही है। इससे यह तो माना जा सकता है कि सुशांत की एक दृढ़ व्यक्ति की छवि थी लेकिन लगता है कि उन्होंने खुद को दूसरों के साथ ज्यादा शेयर नहीं किया।
हालांकि अपनी फिल्म छिछोरे में सुशांत ने अपने बेटे को आत्महत्या करने से रोका था। इस फिल्म में सुशांत ऐसे तलाकशुदा पिता के किरदार में थे, जिसका बेटा पढ़ाई के तनाव से गुजर रहा होता है। बेटा जब फेल हो जाता है, तो वह सुसाइड की कोशिश करता है। जब बेटा आईसीयू में होता है, तब बतौर पिता सुशांत अपने बेटे को बताते हैं कि कॉलेज लाइफ में कैसे
वह पीछे थे, लेकिन जीने का हौसला उन्होंने नहीं छोड़ा और बाद में टॉपर बने। छिछोरे का निष्कर्ष यह है कि कामयाब होने पर जिंदगी में क्या-क्या किया जाए, उसकी प्लानिंग तो सबके पास है, पर नाकामी हाथ मिलने पर उससे कैसे डील करना है, उसकी प्लानिंग भी होनी चाहिए।
फ़िल्म में सुशांत के ऑन स्क्रीन बच्चे का किरदार मोहम्मद समद ने निभाया था। समद को भी सुशांत के जाने पर विश्वास नहीं हो रहा है। उन्होंने एक इमोशनल पोस्ट लिखा है- “एक पढ़ा-लिखा आदमी यह कैसे कर सकता है? यकीन करना मुश्किल है। मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है। अभी काफी कुछ सीखना था। अब भी मैं यकीन नहीं कर पा रहा हूं। भगवान आपको स्वर्ग में सबसे ऊंचा स्थान दे, आपकी आत्मा को शांति मिले।”
सुशांत की आत्महत्या के बाद बहुत सी बातें उठती रहेंगी, तरह-तरह के एंगल सामने लाये जाएंगे, कुछ नयी थ्योरी लायी जाएंगी, पुलिस छानबीन करेगी, सुशांत के परिजन आत्महत्या को लेकर सवाल उठा रहे हैं लेकिन सुशांत की आत्महत्या ने तनाव, डिप्रेशन, हताशा, निराशा, असफलता, मानसिक मजबूती की कमी जैसे कई सवाल खड़े किये हैं कि क्या ऐसा होने पर कोई इतना बड़ा कदम कैसे उठा सकता है और यह नहीं देख पाता कि उसके आगे-पीछे कोई है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक हैं।)