प्रियंका बनाम राहुल: पार्टी नेतृत्व को लेकर कांग्रेस में नई बहस
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: कांग्रेस के लोकसभा सांसद इमरान मसूद ने मंगलवार को पार्टी महासचिव और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा को संभावित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में खुलकर समर्थन दिया। इस दौरान उन्होंने प्रियंका गांधी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से करते हुए उनके नेतृत्व और दृढ़ता की सराहना की।
मसूद की यह प्रतिक्रिया भारतीय जनता पार्टी की उस आलोचना के जवाब में आई, जिसमें प्रियंका गांधी पर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा पर पर्याप्त रूप से आवाज़ न उठाने का आरोप लगाया गया था। मसूद ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि प्रियंका गांधी में भारत विरोधी ताक़तों का सामना करने का वही संकल्प और क्षमता है, जो इंदिरा गांधी ने अपने समय में दिखाई थी।
जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि यदि प्रियंका गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की भूमिका क्या होगी, तो मसूद ने सीधा उत्तर देने के बजाय दोनों भाई-बहन के बीच वैचारिक और राजनीतिक एकता पर ज़ोर दिया।
उन्होंने कहा, “राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अलग नहीं हैं। वे एक चेहरे की दो आँखों की तरह हैं। दोनों इंदिरा गांधी के पोते-पोती हैं, इसलिए उन्हें अलग-अलग नज़र से नहीं देखा जा सकता।”
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी परंपरागत रूप से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के प्रमुख चेहरे के तौर पर पेश करती रही है। ऐसे में मसूद की ये टिप्पणियाँ विपक्ष के भीतर नेतृत्व और रणनीति को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच राजनीतिक रूप से अहम मानी जा रही हैं।
इससे पहले, अपने भाई राहुल गांधी की अनुपस्थिति में—जो इस समय जर्मनी में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं—पहली बार लोकसभा सांसद बनीं प्रियंका गांधी ने सदन में कांग्रेस की ओर से एक प्रभावशाली भूमिका निभाई।
लोकसभा में वंदे मातरम से जुड़ी बहस के दौरान सरकार पर किए गए उनके तीखे हमले ने व्यापक ध्यान खींचा और सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके अलावा, जब विपक्षी दलों ने VB-G RAM G बिल के विरोध में लोकसभा से वॉकआउट किया, तो प्रियंका गांधी इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करती नज़र आईं।
महात्मा गांधी की तस्वीर हाथ में लेकर उन्होंने संसद परिसर में मार्च का नेतृत्व किया और बिल के खिलाफ नारे लगाए। राहुल गांधी की गैरमौजूदगी के बावजूद कांग्रेस ने इस विधेयक के विरोध में संसद के भीतर और बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें प्रियंका गांधी पार्टी के प्रतिरोध की एक प्रमुख और प्रभावशाली चेहरा बनकर उभरीं।
