छठ महापर्व के दौरान जरूरी है कोरोना का उचित व्यवहार

Proper Covid-19 behavior is necessary during Chhath festivalचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: भारत ने कुछ दिन पहले ही कोरोना टीकाकरण अभियान में एक मुकाम हासिल किया है। 21 अक्टूबर को देश ने 100 करोड़ वयस्क टीकाकरण की उपलब्धि हासिल की। कहा जा रहा है कि इस साल के अंत तक देश के तमाम वयस्कों को इस अभियान में शामिल कर लिया जाएगा। जिस प्रकार से टेस्टिंग, ट्रैकिंग, ट्रीटमेंट और टीकाकरण को सख्ती से लागू किया जा रहा है, उससे यह बात दिखता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में काम करने वाले लोगों ने बेहतर काम किया है। जिसका नतीजा है कि लोग सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं। सार्वजनिक आयोजन आदि होने लगे हैं। त्यौहारों के मौसम में कई पर्व बीत गए और कई आने वाले हैं। लोक महापर्व में सबसे अधिक होती है लोगों की भागीदारी और परंपराओं का पालन। समय की मांग है कि जब भी हम सार्वजनिक जगहों पर जाएं, कोरोना अनुरूप व्यवहारों का पालन जरूर करें।

स्वास्थ्य सेवा से जुड़े विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सामुदायिक भागीदारी की भी आवश्यकता होती है। आगामी त्योहारों के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही से कोरोना के संक्रमण की संख्या में अचानक वृद्धि हो सकती है। यह उस लाभ को पटरी से उतार सकता है, जो भारत ने अब तक हासिल किया है। हमें यह याद रखना होगा कि कोरोना का वायरस अभी भी देश में और दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद है।

एम्स देवघर के निदेशक डॉ सौरभ वार्ष्णेय का कहना है कि जब तक लोग जिम्मेदारी से काम नहीं करेंगे, घातक कोरोना को हराना असंभव है।यदि हम निकट भविष्य में सामान्य स्थिति में वापस जाना चाहते हैं, तो हमें आत्म-प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि छठ पूजा जैसे त्यौहारों के दौरान बहुत अधिक मेल जोल और अनावश्यक रूप से यात्रा से बचना चाहिए। अगर हम अपनी सामाजिक सभा को कुछ महीनों तक सीमित कर सकते हैं, जब तक कि हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा टीका नहीं लग जाता है, तो हम काफी हद तक संक्रमण के प्रसार को रोक सकते हैं। डॉ वार्ष्णेय का यह भी कहते हैं कि जहां जाना बेहद जरूरी है, तो हम मास्क पहननें, समय-समय पर हाथ धोते रहें। कोरोना वैक्सीन सबके लिए जरूरी है, इस संदेश को अधिकतम लोगों तक पहुंचाते रहें।

वहीं, एम्स रायपुर के निदेशक डॉ नितिन नागरकर ने कहा कि लोगों को यह याद रखने की जरूरत है कि इस साल की शुरुआत में अप्रैल में ही मामले बढ़े थे, जिस महीने देश में महामारी की दूसरी लहर देखी गई थी। फरवरी में, देश लगभग 8000 मामलों की रिपोर्ट कर रहा था, लेकिन जैसे ही लोगें ने आपसी बातचीत में यह कहना शुरू कर दिया कि कोरोना तो अब न के बराबर है, लोग लापरवाह होते दिचो। नतीजा, कोरोना खतरनाक रूप से बढ़ गया। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से सतर्क रहने और कोविड के उचित व्यवहार का पालन करने का आग्रह करता हूं। लोगों को मास्क पहनना चाहिए और उत्सव मनाते समय भी भीड़भाड़ से बचना चाहिए।

एक सवाल के जवाब में एम्स भोपाल के निदेशक डॉ सरमन सिंह ने कहा कि त्योहारों के मौसम सहित सभी प्रकार की सामाजिक सभाएं कोरोना को दोबारा वापस बुला सकती है। सभी को सचेत रहने की जरूरत है। सभी के लिए यह जरूरी है कि कोविड के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। खुद भी करें और दूसरों से भी ऐसा करने के लिए आग्रह करते रहें। लोगों को भीड़भाड़ वाले बाजार क्षेत्रों में जाते समय सावधान रहना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप त्योहार एक साथ नहीं मना सकते। प्रौद्योगिकी ने हमें वर्चुअली और ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध करा दी है। इसके माध्यम से हम लोगों को संदेश दे सकते हैं।

दरअसल देश का लक्ष्य इस साल के अंत तक अपनी पूरी वयस्क आबादी वाले लोगों का कोविड टीकाकरण करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि टीका गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से 95 प्रतिशत से अधिक सुरक्षा प्रदान करता है। केंद्र सरकार की ओर से नवंबर में एक महीने के लिए “हर घर दस्तक“ अभियान भी शुरू किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो लोग अपरिहार्य कारणों से अपनी दूसरी और पहली खुराक से चूक गए हों, उन्हें टीका उपलब्ध हो सके। इस अभियान की सराहना हो रही है। तमाम विशेषज्ञ सार्वजनिक उत्सव और त्यौहार में कोविड अनुरूप व्यवहार के पालन पर पूरा जोर दे रहे हैं। यह समय की मांग है।

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