बेन स्टोक्स-जडेजा विवाद पर बोले सचिन तेंदुलकर: “भारत ने कुछ गलत नहीं किया”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: जेम्स एंडरसन-सचिन तेंदुलकर ट्रॉफी का रोमांचक समापन सोमवार को केनिंग्टन ओवल में भारत की 6 रन की नाटकीय जीत के साथ हुआ, जिससे पांच मैचों की यह टेस्ट सीरीज़ 2-2 से बराबरी पर खत्म हुई। पूरे 25 दिन चले इस श्रृंखला में दोनों टीमों के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली। हालांकि इस ऐतिहासिक सीरीज़ के दौरान कुछ विवाद और बहस को जन्म देने वाले क्षण भी सामने आए। उनमें सबसे प्रमुख रहा मैनचेस्टर टेस्ट का अंत, जब रविंद्र जडेजा ने बेन स्टोक्स द्वारा सीरीज़ ड्रॉ मानने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
यह घटना सोशल मीडिया पर गर्म बहस का कारण बन गई, जहां प्रशंसकों, पूर्व खिलाड़ियों और विशेषज्ञों की राय बंटी हुई नजर आई। कुछ ने जडेजा के फैसले को क्रिकेट की ‘स्पिरिट’ के खिलाफ बताया, वहीं कुछ ने इसे रणनीतिक रूप से उचित ठहराया। अब इस मामले में क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने चुप्पी तोड़ते हुए जडेजा और वाशिंगटन सुंदर के फैसले का समर्थन किया है।
एक वीडियो में, जो उन्होंने रेडिट पर पोस्ट किया, तेंदुलकर ने कहा, “वाशिंगटन ने शतक लगाया, जडेजा ने भी शतक लगाया। इसमें गलत क्या था? वे ड्रॉ के लिए खेल रहे थे। इससे पहले उन्होंने जबरदस्त बल्लेबाज़ी कर इंग्लैंड के आक्रमण का सामना किया। तो जब सीरीज़ जीवित थी, तब वे हाथ मिलाकर क्यों सीरीज़ खत्म कर देते? अगर इंग्लैंड चाहता था कि हैरी ब्रूक गेंदबाज़ी करे, तो वह उनकी मर्ज़ी थी। भारत की कोई मजबूरी नहीं थी। मुझे लगता है भारत ने बिल्कुल सही किया।”
तेंदुलकर ने इंग्लैंड के पक्ष में दिए जा रहे तर्कों पर तीखी प्रतिक्रिया दी और पूछा कि जब जडेजा और सुंदर क्रीज पर आए, तब क्या इंग्लैंड के प्रमुख गेंदबाज़ों को आराम दिया गया था? “हैरी ब्रूक तो तब गेंदबाज़ी नहीं कर रहे थे। फिर भारत क्यों उनकी थकावट के बारे में सोचे? पांचवें टेस्ट के लिए इंग्लैंड के गेंदबाज़ों को तरोताज़ा रहने देना भारत की ज़िम्मेदारी नहीं है। क्या इसका कोई जवाब है? नहीं!” तेंदुलकर ने स्पष्ट कहा।
कुछ पूर्व खिलाड़ियों का मानना था कि जब सीरीज़ ड्रॉ की स्थिति स्पष्ट हो गई थी, तब बल्लेबाज़ी को जारी रखने का कोई औचित्य नहीं था। लेकिन तेंदुलकर पूरी तरह शुभमन गिल की कप्तानी वाली भारतीय टीम के साथ खड़े दिखे। उन्होंने कहा, “मैं पूरी तरह से भारतीय टीम के साथ हूं, चाहे वो गंभीर हो, शुभमन हो, जडेजा हो या वाशिंगटन सुंदर। जब आखिरी टेस्ट में तेजी की ज़रूरत थी, तब सुंदर ने शानदार बल्लेबाज़ी की। और चौथे टेस्ट में जब क्रीज़ पर टिकना जरूरी था, तब उन्होंने वही किया। दोनों मौकों पर टीम की ज़रूरत को समझकर उन्होंने खेला।”
तेंदुलकर के इन बयानों ने न केवल भारतीय टीम के फैसले को मजबूती दी है, बल्कि उन आलोचकों को भी जवाब दिया है जो खेल की आत्मा के नाम पर भारत के पेशेवर दृष्टिकोण पर सवाल उठा रहे थे। ओवल टेस्ट की इस जीत के साथ भारत ने न केवल सीरीज़ बराबर की, बल्कि यह भी दिखा दिया कि खेल भावना और रणनीति को संतुलित रखते हुए कैसे टेस्ट क्रिकेट को जीवंत रखा जा सकता है।