ब्लैक पॉवर को सैलूट करें, न कि हूट

 

शिवानी सिंह ठाकुर

21वीं  शताब्दी, जब समानता  हमारी सोच में होनी चाहिए तब हम इस जमाने में भी  रंगभेद और जातिवाद से  लड़ रहे हैं। अभी जब समानता और एकता के साथ पूरी दुनिया को हेल्थ, हेल्थ साइंस, स्पेस ,एनवायरनमेंट के लिए काम करना चाहिए था, तो हम इन कुरीतियों को अपनाकर दुनिया की प्रगति को रोक रहे हैं। आज भी हम वहीं हैं जहां हम लगभग 50 साल पहले थे। आज से 50 साल से भी पहले की जॉन डोमिनिस (John Dominis ) की खींची हुई “1968 मैक्सिकन ओलंपिक की ब्लैक पॉवर सेल्यूट ”  फोटो इन दिनों  भी उतनी ही  महत्व रखती है।

बीसवीं शताब्दी के मध्य में लग रहा था कि स्पोर्ट्स एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है समानता में, इक्वालिटी में पर हकीकत में बाहरी दुनिया में कुछ और ही हो रहा था। अश्वेत  एथलीटों को लगने लगा कि उनकी स्पोर्ट्स में योगदान और स्थिति , उनके देश में अश्वेत समुदायों के संघर्षों के खिलाफ  उदाहरण  स्वरुप उपयोग  होने लगा है।  तब इसके खिलाफ 1967 में सोशलिस्ट एडुकेटर और पूर्व  एथलीट डॉ.हैरी  एडवर्ड ने (OPHR) ओलंपिक प्रोजेक्ट फॉर ह्यूमन राइट्स नामक संस्था बनाई जिसके अंदर सारे अश्वेत अमेरिकन एथलीट्स  एकजुट हुए। पहले तो इनका सबसे बड़ा अभियान 1968 मैक्सिकन ओलंपिक को बायकाट करना था,पर इन्होंने साइलेंट प्रोटेस्ट का रास्ता अपनाया।  1968  मेक्सिकन ओलंपिक गेम में यू.स.  ओलंपिक ट्रेक एंड फील्ड टीम ने 28 मेडल जीतें और 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएं।

16 अक्टूबर 1968 पुरूष  200 मीटर फाइनल में  टॉमी स्मिथ और जॉन कारलोस ने गोल्ड और ब्रॉन्ज मेडल जीता अमेरिकन टीम की ओर से  और ऑस्ट्रेलिया के पीटर नॉर्मन ने सिल्वर जीता। जब यह तीनों मेडल लेने गए तो इन्होंने  ओ. पी. एच. आर .के बैच  पहने थे। जॉन  और टॉमी दोनों नें ब्लैक सॉक्स  पहना था और जूते उतार रखे थे। मेडल एक्सेप्ट करने के वक्त जब यू. एस नेशनल एंथम बजने लगा तो इन्होंने अपना  साइलेंट प्रोटेस्ट  कुछ इस तरह  दिखाया : –  टॉमी स्मिथ और जॉन कारलोस दोनों ने अपने सिर झुका  कर  काले ग्लव्स पहनकर बंद मुट्ठी हवा में उठा रखी थी।

यह साइलेंट प्रोटेस्ट  रंगभेद के खिलाफ और अपने देश में  इसके खिलाफ  लड़ रहे अश्वेत समुदाय के साथ एकजुटता दिखाने के लिए था।  टॉमी स्मिथ का कहना था कि उनका दाहिना  ग्लव्स  अमेरिकी ब्लैक समुदाय के अंदर के पावर को, जाॅन का बाँया ग्लब ब्लैक एकता को, उनका स्कार्फ  ब्लैकनेस को ,ब्लैक सॉक्स जूतों बिना  उनकी गरीबी को दर्शाता है। जॉन ने अपनी जैकेट खुली हुई बनी थी यह ओलंपिक एटीकेट्स के वायलेशन था यह उन्होंने वर्किंग क्लास अमेरिका के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए किया था उन्होंने बीड्स  की माला पहनी थी लीचिंग के विक्टीम को  श्रद्धांजलि देने के लिए।

इस विरोध का परिणाम तीनों  एथलीट को भुगतना पड़ा जहां जॉन और टॉमी  के मेडल्स ले लिए गए उन्हें 48 घंटे के अंदर ओलंपिक गांव खाली करने को कहा गया, उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और उन्हें कुछ दिनों के लिए बैन भी सहना पड़ा। वही  शांति से इसका हिस्सा रहे  ऑस्ट्रेलियन एथलीट पीटर नॉर्मन के लिए इसका खामियाजा   अपने कैरियर को छोड़ कर देना पड़ा ।उन्हें अपने कैरियर में फिर मौका  मिला इस शर्त के साथ कि उन्हें अपने दो  को- एथलीट के काम की निंदा करनी होगी पर उन्हें यह गवारा नहीं हुआ । पीटर नॉर्मन ने कभी मानवता का साथ नहीं छोड़ा ।और ऐसा करने से मना कर दिया।
सैन जोश (San Jose ) यूनिवर्सिटी ने जब इस  ऐतिहासिक घटना को, इस पिक्चर को एक स्टैचू में कन्वर्ट किया तो नॉर्मन ने कहा मेरी जगह खाली रहने दो ताकि आम जनता वहां खड़ी होकर अपने आपको उसमें में शामिल कर सके। आज जरूरत है हमें अपने आप को उस जगह महसूस करने की ।

कहते हैं खेल स्पोर्ट्स का हिस्सा है पॉलिटिक्स का नहीं ।यह कुछ ऐसा है जो आम जिंदगी से अलग है पर यह  एथलीट  होने से पहले आम आदमी है इन्हें समानता सिर्फ खेल के रंग में नहीं बल्कि जिंदगी में हर जगह चाहिए। पूरी दुनिया को  पीटर नॉर्मन की तरह  अभी जरूरत है  हम सबकी एकजुट होकर समानता और एकता का प्रदर्शन करें।

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