हरियाणा जैसी सुविधा और सम्मान की मांग
राजेंद्र सजवान
इसमें दो राय नहीं कि हर साल 2020 को भुला देना चाहता है। खेल जगतके लिए भी जाता साल निराशा जनक रहा लेकिन जाते जाते यह साल कुछ उम्मीदों का संचार भी कर गया है। भारतीय नजरिये से देखें तो हरियाणा के राष्ट्रीय खेल अवार्डी खिलाड़ियों को मिलने वाली पेंशन राशि में बढ़ोतरी एक स्वागत योग्य कदम कहा जाएगा। राज्य के खेलमंत्री और पूर्व हॉकी ओलंपियन संदीप सिंह के अनुसार अब राजीव गांधी खेल रत्न, द्रोणाचार्य अवार्ड, अर्जुन अवार्ड और ध्यान चंद अवार्ड प्राप्त खिलाड़ियों और कोचों को एक जनवरी 2021 से प्रतिमाह 20 हजार रुपए दिए जाएंगे।
यह खबर जहां एक ओर हरियाणा के लिए राहत देने वाली है तो कुछ राज्यों में इसी प्रकार की सुविधा के लिए आवाज उठने लगी है। अन्य प्रदेशों के अवार्डी कह रहे है कि अलग अलग राज्यों में सुविधाओं को लेकर अलग नियम कानून क्यों हैं? दिल्ली के कुछ कोच और खिलाड़ी तो जैसे नींद से जाग गए हैं लेकिन अपने हक के लिए आवाज उठाने वाले सिर्फ कुश्ती से जुड़े लोग हैं।
पूर्व राष्ट्रीय कोच और सुशील एवम योगेश्वर जैसे ओलंपिक पदक विजेता पहलवानों को प्रशिक्षण दे चुके द्रोणाचार्य राज सिंह मुख्यमंत्री केजरीवाल से इस बारे में निवेदन कर चुके हैं। उनके साथ द्रोणाचार्य सतपाल, द्रोणाचार्य महासिंह राव, अर्जुन अवार्डी सुजीत मान और राजीव तोमर ने भी मुख्यमंत्री से भेंट की थी और उन्होंने सकारात्मक जवाब भी दिया था लेकिन लंबे समय से मामला पेंडिंग पड़ा है। महा सिंह को विश्वासहै कि दिल्ली सरकार भी यूपी, पंजाब और हरियाणा की तरह खेल अवार्ड के सम्मानितों की फरियाद सुनेगी।
लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि देश भर में समान नीति क्यों नहीं अपनाई जाती। राजस्थान , दिल्लीऔर कुछ अन्य राज्यों के खिलाड़ी और कोच भी चाहते हैं कि बिना धरना प्रदर्शन और सरकारों के सामने नाक रगड़ कर उन्हें भी हरियाणा की तरह का सम्मान दिया जाए।
सही मायने में हरियाणा ही ऐसा राज्य है जहां खिलाड़ियों को हर तरह की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों को अधिकाधिक नकद इनाम दिया जाता है। इसी प्रकार ख़िलाडियों को विभिन्न विभागों में नौकरियां भी मिल रही है। अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार की खेल सुविधाओं की मांग की जा रही है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं.)