कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को झटका, उच्च न्यायालय ने आरएसएस को मार्च निकालने की अनुमति दी

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को झटका देते हुए, उच्च न्यायालय ने रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को 2 नवंबर को चित्तपुर में अपना मार्च निकालने की अनुमति दे दी।
अदालत आरएसएस कलबुर्गी के संयोजक अशोक पाटिल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने रविवार को चित्तपुर में मार्च निकालने की अनुमति देने में अधिकारियों की निष्क्रियता को चुनौती दी थी।
मामले की सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति एमजीएस कमल ने राज्य सरकार से पूछा कि वह किस तरह से समायोजन और आगे बढ़ने की योजना बना रही है, साथ ही उन्होंने कहा कि सभी की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भीम आर्मी द्वारा प्रस्तावित रूट मार्च को प्रशासन द्वारा अनुमति न देने के फैसले ने राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया था। यह विवाद राज्य सरकार और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच तीखी जुबानी जंग का कारण बन गया ।
चित्तपुर, जो कि कांग्रेस नेता और मंत्री प्रियांक खड़गे का गृह क्षेत्र है, वहां अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका जताते हुए दोनों संगठनों के जुलूसों की अनुमति को अस्वीकार कर दिया।
चित्तपुर के तहसीलदार नागय्या हीरेमठ द्वारा जारी आधिकारिक आदेश में कहा गया है, “19 अक्टूबर को चित्तपुर में संभावित शांति भंग और अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए आरएसएस और भीम आर्मी के रूट मार्च की अनुमति नहीं दी जा रही है।”
प्रशासन के मुताबिक, दोनों संगठनों ने एक ही दिन और एक ही मार्ग पर जुलूस निकालने की अनुमति मांगी थी। पुलिस की खुफिया रिपोर्टों में यह संभावना जताई गई कि आरएसएस, भीम आर्मी और भारतीय दलित पैंथर्स जैसे समूहों की एक साथ गतिविधि से संभावित झड़पें हो सकती हैं।
भाजपा ने कांग्रेस पर साधा निशाना
इस फैसले के बाद भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर “राजनीतिक प्रतिशोध” का आरोप लगाया। भाजपा नेता और सांसद जगदीश शेट्टार ने कहा, “आरएसएस पर 1966, 1970 और 1980 में प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे केंद्र सरकार ने हटाया। ऐसे मामलों में कार्रवाई का अधिकार केवल केंद्र के पास है। कांग्रेस सरकार जानबूझकर भ्रम फैला रही है। अगर सिद्धारमैया में हिम्मत है, तो वे खुलेआम आरएसएस के खिलाफ खड़े हों।”
भाजपा की कर्नाटक इकाई ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आरएसएस के 100 साल थोड़े से शोर से नहीं हिल सकते – सेवा का पहिया घूमता रहेगा।”
इस बीच, कर्नाटक हाईकोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि वह आरएसएस और भीम आर्मी द्वारा प्रस्तावित पदयात्राओं पर पुनर्विचार करे।
न्यायालय ने दोनों संगठनों को निर्देश दिया है कि वे नए सिरे से आवेदन संबंधित उपायुक्तों के समक्ष प्रस्तुत करें और स्थानीय पुलिस तथा तहसीलदार को उसकी प्रतियां सौंपें।
कोर्ट ने यह भी कहा कि टकराव से बचने के लिए दोनों संगठनों की रैलियों के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।
