कांग्रेस-चीन समझौता पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: किसी विदेशी सरकार के साथ कोई दल समझौता कैसे कर सकता है?

Supreme Court rejects plea for SIT probe into misuse of electoral bonds by political partiesचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के द्वारा चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के साथ हुए समझोते को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया, लेकिन आने वाले समय में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चीन के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने पर तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि चीन के साथ कोई राजनीतिक पार्टी किसी ‘एमओयू’ पर हस्ताक्षर कैसे कर सकती है? प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि किसी विदेशी सरकार ने एक राजनीतिक पार्टी के साथ कोई करार किया हो, यह बात उसने कभी नहीं सुनी।

हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पहले हाई कोर्ट जाने को कहा और इस मामले की जांच सीबीआई और एनआईए द्वारा कराए जाने की मांग की गई थी जिसे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया। चीन के साथ कांग्रेस पार्टी के साथ करार पर जब सुनवाई हुई तो सीजेआई ने कहा कि कुछ चीज़ें कानून में बिल्कुल अलग हैं। एक राजनीतिक दल कैसे चीन के साथ समझौते में शामिल हो सकता है? हमने कभी नहीं सुना कि किसी सरकार और दूसरे देश की राजनीतिक पार्टी में समझौता हो रहा हो।

सुप्रीम कोर्ट की इस टिपण्णी के बाद कांग्रेस और बीजेपी अब आमने सामने आ गयी है। बता दें कि कांग्रेस और चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच बीजिंग में सात अगस्त 2008 को हुए समझौते हुए थे।

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