किसान आन्दोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित: कहा, तबलीग़ी जमात जैसी न हो जाए स्थिति
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन में जमा भीड़ पर चिंता व्यक्त की है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबड़े की पीठ ने भीड़ की वजह से कोरोनावायरस के प्रसार का खतरा बताया है। कोर्ट ने कहा कि 2020 में हुए दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात वाला हाल न हो जाए, सरकार इसका ध्यान रखे। कोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा है कि प्रदर्शन स्थल पर कोविड-19 गाइडलाइंस का पालन कराने के लिए सरकार ने क्या किया है।
आज कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी किया और सरकार से घटना पर ब्यौरा देने के लिए कहा। इसी दौरान टिप्पणी करते हुए बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस ने कहा, “क्या दिल्ली की सीमा पर जमा किसानों को कोरोना से कोई विशेष सुरक्षा हासिल है?” केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है।”
जस्टिस ने कहा, “हमें नहीं लगता कि आंदोलन कर रहे लोग कोरोना को लेकर कोई विशेष सावधानी बरत रहे हैं। समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए। इस तरह से बड़े पैमाने पर लोगों का जमा होना वैसी ही स्थिति को जन्म दे सकता है, जैसा तबलीगी मरकज में हुआ था। केंद्र सरकार को लोगों के जमा होने के मसले पर दिशा निर्देश जारी खास दिशानिर्देश जारी करना चाहिए।”
बता दें कि चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की बेंच उस मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें तबलीगी मरकज में बड़े पैमाने पर लोगों के जमा होने की जांच की मांग की गई है। इस याचिका में यह कहा गया है दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों की भूमिका की जांच की जानी चाहिए। यह भी देखा जाना चाहिए कि निजामुद्दीन जैसे व्यस्त इलाके में नियमों के विरुद्ध इतनी विशाल इमारत का निर्माण किन अधिकारियों की गलती से हुआ। साथ ही साथ लापरवाही बरतने वाले मौलाना साद समेत दूसरे लोगों की भूमिका भी जांच की जानी चाहिए।