लड़ना था मोदी से पिल पड़े फेसबुक पर

सुभाष चन्द्र
सूचना तकनीक के दौर में जब आप और हम सार्वजनिक मंचों यथा सोशल मीडिया के कई मंचों पर होते हैं, तो निजता कहां रह जाती है। सब कुछ सार्वजनिक कर दिया जाता है। इसकी अनुमति हमने ही तो दी है। जब आप या मैं अपना सोशल प्रोफाइल बनाते हैं, तो अधिक लोगों के बीच अपनी पहुंच बनाने के लिए। कई लोग कई प्रकार के टूल्स का भी प्रयोग करते हैं, जिसके सहारे अधिक लोगों तक पहुंचा जाए। जब अधिक लोगों तक पहुंच की इच्छा प्रबल होती है, तो इसके कुछ खतरे तो उठाने ही होंगे। असल में, यह एक अंधी दौड है, जिसमें जो जीता वही सिकंदर वााली स्थिति है।
हालिया घटना में एक विदेशी अखबार ने एक स्टोरी की और भारतीय राजनीति में नया बखेरा हो गया। अमेरिकी अखबार के हवाले से कहा गया कि फसेबुक और टिवटर पर भाजपा और संघ की सबसे अधिक दखल है। एक विदेशी अखबार की कतरन को ब्रहमसत्य मानकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी ने अपने विचार उसी टिवटर पर रखा, जिसके कब्जे की वो बात कर रहे हैं। अब यहीं से हो गया बखेडा। कई भाजपा नेताओं का कहना है कि जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसकों की संख्या करोडों में है, वह बात न तो राहुल गांधी और न ही कांग्रेस पार्टी को हजम हा रही है। इसलिए यह नया राग अलापा गया। कुछ हो न हो, चर्चा में तो राहुल गांधी बने रहेंगे।
बता दें कि पिछले कई महीनों से राहुल गांधी सोशल मीडिया के जरिए भाजपा और मोदी सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं। वे लद्दाख में चीन के अतिक्रमण, कोरोना संक्रमण, मजदूरों के पलायन और बेरोजगारी समेत विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार पर जुबानी हमला बोल चुके हैं। फिर  भी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं दिख रहा है। अब राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर ताजा आरोप सोशल मीडिया को नियंत्रित करने का लगाया है। जिसके बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने इस पूरे मामले की जेपीसी जांच की मांग उठाई है। राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद सवाल उठ रहे हैं कि  नफरत का वायरस कौन फैला रहा है ?  सोशल मीडिया पर फ्लॉप शो से राहुल परेशान क्यों हैं?

अब जनता के मन में भी यह सवाल उठ रहा है कि क्या देश में फेसबुक-व्हाट्सएप पर वाकई भाजपा और संघ का कंट्रोल है? क्या फेसबुक सियासी हथियार बन गया है? ये सवाल इसलिए क्योंकि कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इंडिया में फेसबुक के अधिकारी भाजपा संघ के इशारे पर काम कर रहे हैं। कहा गया है कि फेसबुक की मदद से नफरत फैलाई जाती है और वोटरों को प्रभावित किया जाता है। राहुल के आरोप पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पलटवार किया। उन्हें कैंब्रिज एनालिटिका केस की याद दिलाई। रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर लिखा – जो हारे हुए लोग अपनी पार्टी के लोगों को प्रभावित नहीं कर पाते हैं उन्हें पूरी दुनिया पर भाजपा और संघ का कंट्रोल नजर आता है।
सवाल उठता है कि सोशल मीडिया पर फ्लॉप शो से क्‍या राहुल गांधी परेशान हैं? राहुल को देश से ज्यादा विदेश पर भरोसा क्यों? सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार का सौदागर कौन? पीएम मोदी की लोकप्रियता से क्‍या राहुल गांधी हैं हैरान-परेशान?
बता दें कि पिछले कई महीनों से राहुल गांधी सोशल मीडिया के जरिए भाजपा और मोदी सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं. वे लद्दाख में चीन के अतिक्रमण, कोरोना
भाजपा से लड़ते लड़ते कांग्रेस पार्टी के नेता अब फेसबुक से लड़ने पहुंच गए हैं। यह वैसे ही है जैसे भाजपा से लड़ते लड़ते कांग्रेस के नेता भगवान राम से और हिंदुओं से लड़ने लगे थे। राहुस गांधी ने फेसबुक पर हमला किया और कहा कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का फेसबुक पर कब्जा है। इसके बाद भाजपा के नेता बिना सोचे-समझे फेसबुक और व्हाट्सएप के पीछे पड़ गए। सब एक सुर में कहने लगे कि इन पर भाजपा का कब्जा है। सवाल है कि फेसबुक और व्हाट्सएप पर जब अमेरिका के राष्ट्रपति का कब्जा नहीं है तो भारत की सत्तारूढ़ पार्टी का कब्जा कैसे हो सकता है? इतनी मामूली बात कांग्रेस की समझ में क्यों नहीं आ रही है कि फेसबुक की एक महिला अधिकारी की वजह से भाजपा के कुछ नेताओं के पोस्ट नहीं हटाए गए, यह फेसबुक की पॉलिसी नहीं है। पर भाजपा उस एक महिला की निजी पसंद-नापसंद को फेसबुक की नीति बता कर उसकी आलोचना शुरू कर दी।
हकीकत यह है कि आंखी दास नाम की महिला फेसबुक में अधिकारी है और उसने भाजपा के कुछ नेताओं के नफरत फैलाने वाले और भड़काऊ पोस्ट की अनदेखी की थी। इसका कारण यह था कि उस महिला की बहन किसी न किसी तरीके से संघ या भाजपा से करीब है। इसके लिए दुनिया के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से झगड़ा मोल लेना कोई समझदारी का काम नहीं है। आखिर कांग्रेस की भी सारी राजनीति भी इन दिनों फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर पर ही चल रही है। इसलिए जबरदस्ती फेसबुक, व्हाट्सएप को भाजपा का प्लेटफॉर्म बताना कांग्रेस की कोई मदद नहीं करने वाला है। दूसरे, इससे उलटे भाजपा को फायदा हो जाएगा। भाजपा के नेता वैसे ही प्रचार करते रहते हैं मोदीजी ने सारी दुनिया को मुट्ठी में कर लिया है। अब कांग्रेस खुद ही इस नैरेटिव को मजबूत कर रही है कि दुनिया के सबसे अमीर आदमी की कंपनी भाजपा की मुट्ठी में है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक हैं.)

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