बढ़ सकती है दवाईयों की कीमत

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: चीन से आयात होने वाले फार्मा प्रोडक्ट्स में देरी की वजह से भारत में दवाइयों के दामों में वृद्धि हो सकती है। चीन से टकराव की वजह से आयातित फार्मा प्रोडक्ट्स की हवाईअड्डों और बंदरगाहों से क्लियरेंस में देरी हो रही है, जिसकी वजह से भारतीय बाजारों में दवाइयों की कमी हो रही है।

कोविड-19 से लड़ने के लिए बड़ी तादाद में इन्फ्रारेड थर्मामीटर और पल्स ऑक्सिमीटर की जरूरत है। लेकिन चीन से आने वाले बल्क ड्रग्स और इस तरह के फार्मा उपकरणों की हवाईअड्डों और पोर्ट्स से क्लियरेंस में देरी हो रही है। इसके साथ ही दवाइयों के लिए रॉ मैटिरियल, एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंटरमीडिएट यानी एपीआइ (API)  के मैन्यूफैक्चरिंग बेस तक पहुंचने में देरी से उत्पादन में देरी हो रही है। इससे बाजार की सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है। सप्लाई में इस देरी का दवाइयों की कीमत पर असर पड़ सकता है।

फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने कहा है कि कस्टम अधिकारी आयातित खेप की रेंडम जांच के बजाय एक-एक कार्गो की जांच कर रहे हैं। इससे प्रोडक्ट को बाजार में पहुंचने में वक्त लग रहा है।  सप्लाई चेन में आ रही बाधाओं की वजह से आम लोगों के लिए दवाइयां महंगी हो सकती हैं।

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