महामारी के चलते कोई बहाना नहीं चलेगा

राजेंद्र सजवान

खेल मानव सभ्यता के इतिहास के साथ ही मनुष्य के जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। खेलों को प्रतियोगिता और प्रतिस्पर्धा के रूप में अपनाने और विकसित करने का नतीजा ओलंपिक खेल रहे हैं, जोकि दुनिया का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित खेल आयोजन है। आज ओलंपिक आयोजन हर खिलाड़ी और देश के लिए मान सम्मान, आगे, और आगे और सबसे आगे बढ़ने की प्रेरणा बन चुका है।

कोविड 19 ने दुनियाभर के खिलाड़ियों, खेल आयोजनो और अंतरराष्ट्रीय एवम् राष्ट्रीय खेल इकाइयों पर बेहद बुरा असर डाला है। टोक्यो ओलंपिक का स्थगन खेल इतिहास की सबसे दुखद घटना कही जा सकती है। अगले साल आयोजित होने वाले दुनिया के सबसे बड़े खेल मेले के आयोजन के लिए मेजबान जापान ने फिर से कमर कस ली है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति और उसके सदस्य देशों ने भी महामारी को पलट जवाब देने का मन बना लिया है। अधिकांश इस सच्चाई के साथ मैदान में उतार गए हैं कि उन्हें कोरोना के साथ जीना है और ओलंपिक आंदोलन  को और गतिमान बनाना है।

तारीफ की बात यह है क़ि अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, जापान, कोरिया और तमाम अग्रणी देशों के साथ साथ अन्य देश भी तैयारियों में जुट गए हैं। हालाँकि, भारतीय खेल मंत्रालय और भारतीय ओलम्पिक समिति भी ओलंपिक खेलों के लए गंभीर हैं और कुछ खेलों ने बाक़ायदा ज़ोर शोर से तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन कोरोना है कि मानता नहीं।

खेलों के लिए  नौ महीने से भी कम समय बचा है। ओलंपिक का टिकट पा चुके खिलाड़ी और अन्य संभावित यदि यह सोच रहे हैं कि हमेशा की तरह इस बार भी बहानेबाज़ी से काम चला लेंगे तो वे ग़लत सोच रहे हैं। यह ना भूलें कि महामारी ने सभी देशों और खेलों को प्रभावित किया है। अतः बेहतर यह होगा कि भारतीय खिलाड़ी आज और अभी से पदक जीतने का लक्ष्य निर्धारित करें। साथ ही खेल मंत्रालय, ओलंपिक संघ, खेल संघ, कोच, खिलाड़ी और अन्य ज़िम्मेदार लोग खोखले दावे करना छोड़ धरातल पर उतर आएँ।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं. इनके लेख को आप www.sajwansports.com  पर भी पढ़ सकते हैं.)

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