ताम्बे का उपयोग आपको रख सकता है कोरोना जैसी बिमारियों से दूर

शिवानी सिंह ठाकुर

नई दिल्ली: भारतीय जीवन पद्धति में कई ऐसी वस्तुओं के उपयोग के बारे में वर्णन है जिसे आधुनिकता की दौड़ में लोग प्रायः भूल गए हैं। हालांकि उसकी उपयोगिता पहले भी थी, आज के जमाने में तो और भी बढ़ गयी है। जब पूरा विश्व कोरोना के कहर से आतंकित है, इससे बचने के सभी तरह के आधुनिक नुस्खे आजमाने के बाद भी कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है, तब भारतीय संस्कृति या जीवन पद्धति में बताये गए उपायों की ओर लोग लौट रहे हैं। उन्ही उपायों में एक है ताम्बा का उपयोग।

ताम्बा मानवीय सभ्यता का पहला धातु है जो आधुनिक जमाने  में  अपनी उपयोगिता साबित कर रहा है। लाल चमकीला धातु जो प्रकृति में अयस्क के रूप में मिलता है, अपने शुद्ध रूप और मिश्र धातु  (ब्रास और ब्रॉन्ज) हर तरह से उपयोगी है। ताम्बा अपनी माइक्रो एंटीमाइक्रोबीयल गुणों की वजह से मेडिकल के क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी है। यह एक साइडल मेटल है। अर्थात इसके संपर्क में आते ही सारे जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। ताम्बा जीवाणुओं के सेल मेंब्रेन के इलेक्ट्रिक चार्ज मे इंटरफेयर से उन्हें नष्ट करता है। अपने इन्हीं गुणों की वजह से ताम्बा की चिकित्सकीय उपयोगिता  है। इसके मेडिसिनल वैल्यूज की वजह से ही अब अपने आपको आधुनिक कहने वाले लोग भी इसका उपयोग कर रहे हैं।

कोरोना के समय मास्क जीवनचर्या का हिस्सा बन गया है। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि तांबे के मास्क CMI (कॉपर मैस इनशर्ट)  ना केवल रेस्पिरेट्री डिजीज से हमारा बचाव करते हैं बल्कि इनसे छुटकारा दिलाने में भी काफी उपयोगी है। रिसर्च में सामने आया है कि इनके रेगुलर यूज से  कई तरह की रेस्पिरेट्री बीमारियां ठीक हो सकती हैं।  इस कोविड-19 के समय में  यह मास्क एक  वरदान की तरह है, जो कि 90 फीसदी वायरस को  5 मिनट के अंदर  निष्क्रिय करता  है। 2 साल की सेल्फ लाइफ वाला यह मास्क साइडल ही नहीं बल्कि अपने आप ये विषाणुओं को ख़त्म करता (सेल्फ स्टरलाइजेशनल) है। इसके द्वारा डिस्पोजेबल  मास्क की कमी को पूरा किया जा सकता है।

ताम्बा की साइडल  गुण जीवाणुओ को  इसके संपर्क में आते ही नष्ट कर देते हैं। अस्पतालों के बार-बार उपयोग होने वाले उपकरणों जैसे कि बेड रेल्स, कॉल बटन, स्कैन इक्विपमेंट्स, दरवाजो के हैंडलों, लिफ्ट बटन   में तांबे का प्रयोग काफी हद तक इंफेक्शन को कम करता है।  एक रिसर्च से पता चला है कि कॉपर कोटेड  स्टेटथस्कोप  99 फीसदी जीवाणुओं से  मुक्त  पाए गए हैं।
तांबे का प्रयोग कपड़े बनाने में भी होने लगा है। तांबे से बने कपड़े त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर  करते हैं। कई तरह के फंगल और बैक्टीरियल जनित  स्किन संबंधित बीमारियों में भी काफी फायदेमंद है। तांबे इन्फ्यूज्ड मोजें एथलेटिक फूट  से छुटकारा दिलाता है।
हम सभी बचपन में अपने दादा दादी और नाना नानी को ताम्बे का बर्तन इस्तेमाल करते हुए देखे होंगे। पहले गावों में ताम्बे के गिलास में पानी पिया जाता था। आयुर्वेद के  अनुसार तांबे के बर्तन में  रखा हुआ पानी, हमारी शरीर के वात, पित्त, कफ को  संतुलित कर शरीर को स्वस्थ रखता है।  सदियों से हमारे भारतीय घरों  में पानी रखने का यह तरीका हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। तांबे के बर्तनों में बनाया हुआ भोजन हमारे शरीर को पोषित करता है।
भोजन में ताम्बा एक  आवश्यक  ट्रेस मिनरल है जो कि लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में बहुत ही आवश्यक है।  सौभाग्यवश ताम्बा बहुत तरह की अनाजों में, बींस में, आलू में,  हरी सब्जियों में पाया जाता है। यह  हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और हमारे शरीर को  बीमारियों से लड़ने में  तीव्रता प्रदान करता है।
इतने सारे गुणों के बावजूद ताम्बा चलन में नहीं है, क्योंकि इससे सस्ती प्लास्टिक और चमकीली एलमुनियम ने इसे प्रचलन से हटा दिया है। ताम्बा अपनी चमक, समय के साथ हवा से  प्रतिक्रिया  कर बदल  लेता है, पर ये अपना रंग खोता  है गुण नहीं। सही मात्रा में सही तरीके से  किया गया तांबे का उपयोग  हमारे लिए वरदान  साबित हो सकता है।

 

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