अनमोल गुण संपदा के स्वामी थे वैद्य

कृष्णमोहन झा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रथम प्रवक्ता , सुप्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र ‘तरुण भारत’के पूर्व संपादक दार्शनिक चिंतक , विचारक ,लेखक और मनीषी माधव गोविन्द उपाख्य बाबूराव जी वैद्य का  विगत शनिवार को 97 वर्ष  की आयु में देहावसान हो गया । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विकास यात्रा का अनिवार्य हिस्सा रहे स्व. श्री वैद्य के निधन से देश के कोने-कोने में फैले उनके असंख्य  अनुयायी अपार शोक में डूबे हुए हैं जिनके लिए  स्व.श्री माधव गोविन्द वैद्य एक ऐसे प्रकाश पुंज थे जो हमेशा उनके कर्म पथ को आलोकित करता रहा।स्व श्री वैद्य का व्यक्तित्व और कृतित्व अनुपम और आदर्श था।
निस्पृह कर्मयोगी स्व श्री वैद्य ने कभी यश अर्जन की कामना नहीं की परंतु ईश्वर ने तो मानों उन्हें 97 वर्षों के दीर्घायु यशस्वी जीवन का वरदान देकर इस पुण्य धरा पर भेजा था।स्व बाबूराव जी ने यशस्वी होकर भी  सारा जीवन एक तपस्वी की भांति  गुजार दिया। सादा जीवन उच्च विचार की वे जीती-जागती मिसाल थे।उनके असंख्य अनुयायी संभवतः उनके पूरे नाम से भी अवगत नहीं थे। सबके लिए वे बस बाबूरावजी थे । इस आत्मीय संबोधन में उनके प्रति उनके अनुयायियों की अगाध श्रद्धा का भाव छुपा हुआ था।स्व‌ बाबूराव जी के  विराट व्यक्तित्व की छत्रछाया उनके अनुयायियों को उस विशाल वट वृक्ष की शीतल छांव की अनुभूति कराने में समर्थ थी जिसके सान्निध्य में कठिन से कठिन उलझन का पलभर में  समाधान  हो जाने की आश्वस्ति उन्हें होती थी।स्वयंसेवक संघ के वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्व.बाबूराव जी को अपने हार्दिक श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा है कि बाबूराव जी के जाने से आज ऐसा लग रहा है जैसे घर का बुजुर्ग सदस्य हम सबके बीच से उठकर चला गया हो। भागवत ने कहा है कि स्व . बाबूराव जी ने संघ के संस्थापक डा हेडगेवार के समय से संघ की विचारधारा को देखा और जिया । उनका विचार संघ का शब्दकोश है। हम संघ से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य औरविचार से संबंधित कोई भी जानकारी हासिल करने के लिए उनका मार्गदर्शन प्राप्त करते थे।
श्री   वैद्य के देहावसान पर उपराष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित अनेक राजनेताओं, पत्रकारों विशिष्ट हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने श्री वैद्य को विद्वान लेखक, पत्रकार और राजनेता बताते हुए कहा है कि स्व  श्री वैद्य ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कई दशकों तक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया और भाजपा को मजबूती प्रदान करने में भी उनका योगदान रहा।
स्व.बाबूरावजी का जन्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के तीन वर्ष पहले हुआ था इसलिए बचपन में ही संघ के उद्देश्यों और विचार धारा के प्रति आकर्षित हो गए और जैसा कि भागवतजी ने कहा है कि उन्होंने संघ के संस्थापक डा हेडगेवार के समय से ही आजीवन संघ की विकास यात्रा का अटूट हिस्सा बने रहे। संघ में यद्यपि उन्होंने अनेक महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारियों का का संपूर्ण समर्पण की भावना से निर्वहन किया परंतु वे स्वयं को आजीवन संघ का एक साधारण स्वयंसेवक मानते रहे। स्व. बाबूराव जी  संंघ के पहले अखिल भारतीय प्रवक्ता थे। इसके अतिरिक्त उन्हें संघ में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख और अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख पदों का उत्तर दायित्व सौंपा गया ।
इन सभी अतिमहत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने अपनी अद्भुत सूझ-बूझ से विशिष्ट छाप छोड़ी। स्व बाबूराव जी को जिस समय  संघ के अखिल भारतीय प्रवक्ता पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी उस समय संघ के विचारों और कार्य कलापों को लेकर तरह तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही थीं , संघ के विरुद्ध भ्रामक प्रचार किया जा रहा था। तब संघ के अखिल भारतीय प्रवक्ता के रूप में उन्होंने संघ की राष्ट्र वादी विचार धारा और उसके समाजसेवी गतिविधियों का प्रभावी प्रस्तुतीकरण कर संघ विरोधी सारे दुष्प्रचार को निर्मूल साबित किया।यह उनकी एक ऐसी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी जिसने संघ में सबको उनकी प्रतिभा का कायल बना दिया। स्व श्री वैद्य ने जब नागपुर से प्रकाशित होने वाले प्रतिष्ठित राष्ट्रीय दैनिक तरुण भारत के संपादक का पदभार संभाला तो थोड़े ही समय में उनके द्वारा विचारोत्तेजक संपादकीय अग्रलेख उस समाचार पत्र की पहिचान बन गए । दैनिक तरुण भारत के संपादक पद से निवृत्त होने के बाद अनेक वर्षों तक  उक्त समाचार पत्र में नियमित रूप से उनके द्वारा लिखित भाष्य का प्रकाशन होता रहा। तरुण भारत के बुद्धिजीवी  पाठक   स्व श्री वैद्य के भाष्य का उत्सुकता से इंतजार करते थे।स्व  श्री
वैद्य ने कभी अपनी लेखनी और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया ।
मन-मस्तिष्क को झकझोर देने वाले उनके‌ सारे संपादकीय अग्रलेखों  और भाष्यों  में वे हमेशा प्रखर पत्रकार के रूप में सामने आए ।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने श्री माधव गोविन्द  वैद्य को जो भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है उसमें उन्होंने स्व. बाबूराव जी को बहुमुखी प्रतिभा संपन्न बताते हुए उन अनमोल गुण संपदा की विशेष रूप से चर्चा की है। महाराष्ट्र सरकार ने अतीत में उन्हें राज्य विधानपरिषद का सदस्य मनोनीत किया था।यह उनकी वैचारिक प्रतिभा का सम्मान था।
स्व.बाबूरावजी जहां एक ओर प्रखर पत्रकार  के रूप में सामने आए वहीं दूसरी ओर उनके द्वारा अनेक उत्कृष्ट ग्रंथों में उनके गहन अध्ययन मनन और चिंतन से साक्षात्कार हुआ। वे संस्कृत, हिंदी,मराठी सहित अनेक भाषाओं के उद्भट विद्वान थे। उन्हें महाराष्ट्र सरकार ने प्रतिष्ठित कालिदास संस्कृत साधना पुरस्कार से सम्मानित किया था । इसके अतिरिक्त राष्ट्र गौरव सम्मान सहित अनेक मानद अलंकरणों से विभूषित श्री वैद्य अपने आप में एक संस्था थे । संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि स्व. बाबूराव जी  विचारों की जो विरासत सौंप गए हैं वह संघ की अमूल्य धरोहर है। निसंदेह स्व.श्री वैद्य युग पुरुष थे और उनके देहावसान से आज ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे एक युग ही समाप्त हो गया हो।

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