वेदान्ता की सामाजिक पहल से 2020-21 में 4.2 करोड़ लोगों को फायदा हुआ

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली:

  •  कंपनी ने अपनी पहली सामाजिक प्रभाव – सीएसआर रिपोर्ट जारी की है। इसमें साल के दौरान भिन्न राज्यों में महामारी राहत कार्यों पर फोकस है।
  • अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने अगले पांच वर्षों में ग्रामीण समुदायों को बदलने के लिए 5,000 करोड़ रुपए देने का प्रण किया है।

प्राकृतिक संसाधनों की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक, वेदांता लिमिटेड ने समाज विकास की अपनी भिन्न पहल से देश भर में 4.23 करोड़ लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। कंपनी ने आज अपनी पहली सामाजिक प्रभाव – सीएसआर रिपोर्ट जारी करने की घोषणा की। पिछले वर्षों में वेदांता ने भारत में कई प्रभावशाली सीएसआर प्रोग्राम बनाए हैं और इसे सामाजिक तौर पर सबसे जिम्मेदार कॉरपोरेट में एक माना जाता है।

गुजरे वित्त वर्ष में कंपनी ने भिन्न सीएसआर गतिविधियों पर 331 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इनमें महामारी राहत कार्यों, बच्चों की भलाई और शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य की देखभाल, स्थायी कृषि और पशु कल्याण, युवाओं को बाजार से संबंधित कौशल युक्त करना, पर्यावरण संरक्षण और बहाली, सामुदायिक संरचना आदि का विकास पर फोकस रहा है।

व्यापक सामाजिक इंपैक्ट रिपोर्ट में वेदान्ता की सीएसआर नीति के साथ लक्ष्य और उद्देश्य, लागू करना और ऑडिट के दिशा निर्देश के साथ-साथ देश भर में चलाई जा रही 56 प्रमुख परियोजनाओं के विवरण भी हैं। ये परियोजनाएं भिन्न क्षेत्रों में चल रही हैं। इनमें शिक्षा, स्थायी आजीविका, स्वास्थ्य, कौशल युक्त करना, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, खेल, जल सैनिटेशन और सामुदायिक विकास शामिल है।

इस साल के शुरू में वेदान्ता ने अनिल अग्रवाल फाउंडेशन (एएएफ) के जरिए सामाजिक विकास की योजना की घोषणा की और अपने ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के लिए समाज को वापस देने के भाग के रूप में 5000 करोड़ रुपए की राशि निश्चित की। एएएफ का ‘स्वस्थ गांव अभियान’ 12 राज्यों के 1000 गांवों में आद्योपांत हेल्थकेयर सेवाएं मुहैया करवाएगा और इससे दो मिलियन लोगों को फायदा होगा।

केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर एएएफ अपना प्रमुख नंद घर प्रोग्राम भी चला रहा है। इसका लक्ष्य पोषण, हेल्थकेयर, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में आवश्यक पहुंच मुहैया करवाना है। देश के 11 राज्यों में करीब 2400 नंद घरों की स्थापना की गई है। इसका मकसद देश भर के 13.7 लाख आंगनवाड़ियों में 7 करोड़ बच्चों और 2 करोड़ महिलाओं का ख्याल रखना है।

रिपोर्ट जारी किए जाने के मौके पर वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा, “वेदान्ता एक जिम्मेदार प्राकृतिक संसाधनों वाली कंपनी है और इसने हमेशा समाज का वापस देने का उद्देश्य ढूंढ़ा है और यह वेदान्ता का मूल्यों का अभिन्न भाग है। इतने वर्षों में वेदान्ता लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता रहा है और यह हेल्थकेयर, शिक्षा, कौशल तथा आजीविका मुहैया करवाकर किया गया है। इस तरह हमारे समाज का समावेशी विकास हुआ है और भिन्न समुदायों के साथ भरोसा बना है। हम इसे जितना संभव होगा आगे बढ़ाते रहेंगे।”

वेदांता रिसोर्सेज की डायरेक्टर प्रिया अग्रवाल हेब्बर ने कहा, “गुजरे वर्षों में वेदान्ता ने भारत में सबसे प्रभावशाली सीएसआर प्रोग्राम में से एक का निर्माण किया है। पर इस बार महामारी के दौरान हम परंपरागत गतिविधियों के अपने स्कोप से आगे निकल गए और इसमें जीवन रक्षा पर ज्यादा फोकस था। हमारा मानना है कि हरेक मां और बच्चे को यह मौका मिलना चाहिए कि वे बढ़ सकें और इस उद्देश्य से हमलोगों ने नंद घरों का विकास किया। हम अपने किस्म की पहली पशु कल्याण योजना भी पेश कर रहे हैं। इसके तहत वैश्विक शैक्षिक संस्थाओं और ज्ञान साझेदारों के साथ मिलकर विश्व स्तर की संरचना, पशु चिकित्सकों की सेवाएं, प्रशिक्षण की सुविधा और शरण मुहैया करवाई जाएगी।”

कई हस्तक्षेप के भाग के रूप में वेदान्ता ने कोविड-19 महामारी से लड़ने में सहायता के लिए भी अच्छी-खासी मदद दी। कोविड-19 के खिलाफ युद्ध के लिए वेदांता ने 201 करोड़ रुपए निर्धारित किए। इसमें पीएम केयर्स फंड में 101 करोड़ रुपए का दान शामिल है। 100 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कोष समुदायों, दिहाड़ी मजदूरों, कर्मचारियों, कांट्रैक्ट पार्टनर और बिजनेस पार्टनर के प्रीवेंटिव हेल्थकेयर और कल्याण के लिए था। वेदांता की कोविड केयर पहल से 15 लाख लोगों को फायदा हुआ है।

इसके अलावा, इस साल वेदांता केयर्स के तहत 10 जगहों पर फील्ड हॉस्पीटल्स की स्थापना की गई थी जहां ऑक्सीजन तथा वेंटीलेटर सपोर्ट के साथ 100 क्रिटिकल केयर बेड थे। यही नहीं, कोविड पीड़ितों को 20 लाख लीटर ऑक्सीजन की भी आपूर्ति की गई।

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