सियासी पिच पर कहां से उतरेंगे धोनी

अलोक कुमार

सौरभ गांगुली के पश्चिम बंगाल के सियासी पिच पर उतरने की चर्चा है। ऐसे में अपने महेन्द्र सिंह धोनी क्या करेंगे। यह अगली चर्चा का विषय है। उनके पास संभावनाओं की अपार गुंजाईश है।
माही। थाला। धोनी। एमएसडी। चाहे जो पुकारें, सब जानते हैं, यह हमारे दौर से सबसे महत्वपूर्ण हीरो के उपनाम हैं। वह न सिर्फ नायक हैं बल्कि लोकप्रियता की शिखर पर हैं। इस वक्त उनके आसपास फटकता हुआ कोई नजर नहीं आता। उनके अगले मुकाम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।
वह चाहें, तो राजनीति उनका अगला मुकाम हो सकता है। व्यक्तित्व में ग्रामीण पुट की झलक उनकी थाती है। महानगर व शहरों में लोकप्रिय खेल के खिलंदड होने के बावजूद गावों में उनके ठौर की कमी नहीं। उनमें झारखंड के आदिवासियों की शालीनता और विनम्रता की झलक है। इसके बूते वह बिहार, बंगाल, झारखंड औऱ तमिलनाडु में एकसमान लोकप्रिय हैं। जहां चाहें वहां से बैटिंग की शुरुआत कर सकते हैं।
जेवीएम स्कूल, श्यामली से खिलाड़ी जिंदगी की सफर पर चलने वाले रांची के हीरो “मिस्टर कूल” के करोड़ों कायल हैं। अंदर तूफानों से भरे संकोची धोनी ने करियर कमांडो क्रिकेट कल्ब के विकेटकीपर से शुरू की। और कमांडो की तरह जी रहे हैं। रांची के धोनी का पश्चिम बंगाल के खडगपुर के स्टेडियम का रिकार्ड आज भी अनछुआ है। लिहाजा बंगाल उनका पलक पवांड़े बिछा इंतजार कर रहा है।जब खेलना शुरु किए तो झारखंड नहीं बना था। लिहाजा धोनी की शुरुआती पहचान अक्खड़ बिहारी की है। बिहारी भी झारखंडी की तरह ही उसका अपना होने का गुमान भरते हैं। आईपीएल खेलते हुए चेन्नई सुपर किंग का कैप्टन बन वह कब तमिलों के थाला बन गए। यह किसी को पता ही नहीं चला। संभवत अकेले शख्सीयत हैं, जिनको उत्तर और दक्षिण के भारतीय सीमाओं से परे जाकर बेइंतहा मोहब्बत करते हैं। गांव के धोनी की अंग्रेजों की अंतर्राष्ट्रीय दुनिया में पहचान एमएसडी की है। वह आर्मी का लेफ्टीनेंट कर्नल (मानद) महेन्द्र सिंह धोनी है।
वह सन्यास लेकर फिर चर्चा में हैं। अफसोस कि अब वह इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेलेते नजर नहीं आएगा। लेकिन संतोष की बात है कि फिलहाल आईपीएल खेलते रहेंगे। कप्तानी के लिए चेन्नई सुपर किंग की टीम होगी। चीते की तरह विकेट के पीछे गेंद लपकते नजर आते रहेंगे। छक्के-चौकों की बौछार के लिए बल्ला चलाते रहेंगे।
लेकिन चाहने वालों में उत्कंठा है कि इसके अलावा वह क्या करेंगे? उनका अगला कदम क्या होगा ? क्या गावसकर, रवि शास्त्री की तरह कमेंटेटर बन जाएंगे। या गौतम गंभीर की तरह सियासी मैदान में उतर आएंगे। उनके भविष्य के कदम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। एकसाथ उनकी संभावनाओं को राज्यसभा के रास्ते सांसद बना केंद्रीय मंत्री बना लेने से लेकर बिहार के भावी चुनाव में सक्रिय करने। बिहार नहीं तो बंगाल में उतारने। बंगाल न सही तो तमिलनाडु से सियासी पारी की शुरुआत करवाने। बंगाल न सही तो उतराखंड के सियासी मैदान में उतारने की चर्चा है। क्योंकि इनका झारखंड, बिहार, बंगाल, उतराखंड औऱ तमिलनाडु से सीधा जुड़ाव है।
वह संभावनाओं से भरे हुए हैं। इस दौर के रियल हीरो हैं। भारतीय सियासत में रिटायरमेंट के वक्त शायद ही कोई खिलाड़ी इतनी सियासी संभावनाओं से घिरा रहा हो। जीते जी किवदंती बने हैं। उनपर सुपरहिट बायोपिक बन चुकी है। परदे पर धोनी को अभिनीत कर मरहूम सुशांत सिंह राजपूत अमर हो चुके है। कल्पना कीजिए सुशांत अगर धोनी के बायोपिक वाली फिल्म के नायक नहीं होते, तो क्या उनकी मौत इतना हंगामेदार होती।
धोनी के अगले कदम को लेकर सियासी सुरमाओं में धुकधुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संन्यास पर तारीफ की पुल बांधते हुए खत लिखा है। गृहमंत्री अमित शाह ने संवेदना जताते हुए ट्विट किया है। इससे अफवाहों के पर लगे हैं।
धोनी के राजनीति में आने की अफवाह तो बीते साल लोकसभा चुनाव में उड़ी थी। तब झारखंड की राजनीति में आने की अटकल थी। आजसू नेता सुदेश महतो से प्रगाढता है। बीजेपी नेताओं से संपर्क रहे हैं। बीजेपी ने मनोज तिवारी, रविकिशन, गौतम गंभीर,हंसराज हंस जैसे लोकप्रिय कलाकारों को बीते चुनाव में सांसद बनाने का काम किया। उसे देखकर लगता था कि कहीं धोनी को रांची से मैदान में न उतार दिया जाए। लेकिन आई गई बात वहीं रह गई। तब कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय फलक से उतर धोनी के अचानक प्रांतीय राजनीति में प्रवेश के लिए तैयार नहीं हुए। अब अंतरर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। लिहाजा उम्मीद बनी है। इस उम्मीद में अटकलों के बाजार में उनकी भूमिका की तलाश जारी है। बिहार चुनाव है। मतदाताओं को मोड़ने के लिए बिहार में धोनी का इस्तेमाल हो सकता है। बिहार में अगर नहीं हुआ तो उनको हीरोइज्म के उपासक राज्य तमिलनाडु की राजनीति में उतारा जा सकता है। मरहूम जयललिता के निधन के बाद अब तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के तैयारी का वक्त आ गया है। धोनी तमिल जानते हैं। चेन्नई सुपर किंग के थाला हैं। वहां काफी लोकप्रिय हैं। दो साल पहले लाडली जीवा से तमिल में धोनी का हुआ वीडियो संवाद काफी चर्चित है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं.)

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