क्या नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच फिर से होगा तालमेल, जानिए बिहार के मुख्यमंत्री ने कितनी बार दिए सुलह के संकेत
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच सब कुछ ठीक नहीं होने की अटकलों के बीच एक बार फिर से नीतीश कुमार यू-टर्न लेने और बीजेपी के पाले में लौटने पर विचार कर रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, राजद विधायकों द्वारा तेजस्वी यादव को सत्ता हस्तांतरण के लिए दबाव डालने से नीतीश कुमार बेहद खफा हैं और बार बार राजद हाई कमान से अपने विधायकों पर लगाम लगाने की आग्रह के बाद भी उनके द्वारा इस पर कोई कारवाई नहीं करने को लेकर भी जदयू खेमा खास नाराज है।
राजद और अन्य घटकों की मदद से बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाने के लिए नीतीश के पिछले साल एनडीए छोड़ने के बाद से ही भाजपा और जद (यू) एक-दूसरे पर तीखे हमले कर रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शुरुआत में नीतीश को सुलह के संकेत देने में लगी रही, लेकिन जब बात नहीं बनी तो उनके खिलाफ आक्रामक हो गई। बदले में नीतीश भी उनकी आलोचना करते रहे।
इतनी राजनीतिक उथल-पुथल के बाद भी बिहार के मुख्यमंत्री ने बीजेपी से सुलह के कई संकेत छोड़े हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में नीतीश कुमार को फोन कर बिहार के नए राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की नियुक्ति की जानकारी दी थी। नीतीश ने इस मुद्दे पर शाह के साथ चर्चा के बारे में मीडिया से बात की। उनके मीडिया से बात करने और शाह की बातचीत का ब्योरा देने से इस अटकलों को हवा मिली कि क्या छह महीने पहले एक कड़वे विभाजन के बाद बीजेपी अपने लंबे समय के सहयोगी तक पहुंच गई थी।
नीतीश ने अपनी राज्यव्यापी समाधान यात्रा के दौरान मीडिया से बात करते हुए शाह के ताजा आह्वान का जिक्र किया। बाद में स्पष्ट करने के लिए उन्होंने इसे जद (यू) के सहयोगियों पर छोड़ दिया कि “इसमें कुछ भी नहीं पढ़ा जाना चाहिए”।
गलवान शहीद के पिता का अपमान
सरकारी जमीन पर स्मारक बनाने को लेकर बिहार पुलिस ने गलवान शहीद जय किशोर सिंह के पिता की पिटाई, अपमान और जेल में डाले जाने के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से अलग राय रखी। जबकि तेजस्वी ने कहा कि पुलिस और स्थानीय अधिकारियों ने जो भी कार्रवाई की थी वह सही थी, नीतीश कुमार ने मामले की जांच का आदेश देने में जल्दबाजी की और कहा कि यह पूछताछ की जानी चाहिए कि शहीद के पिता परेशान क्यों थे। एक दिन बाद नीतीश ने जांच के आदेश दिए, जिसके बाद अदालत ने शहीद के पिता को जमानत दे दी।
नीतीश कुमार का जन्मदिन
1 मार्च को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीतीश कुमार को फोन करके उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। राजनाथ सिंह ने गलवान शहीद के पिता को जेल भेजे जाने का मुद्दा भी उठाया। उसी दिन सदन में बोलते हुए नीतीश ने मुस्कुराते हुए बताया कि राजनाथ सिंह ने उन्हें फोन किया था।
राजनीतिक पंडित अनुमान लगा रहे हैं कि नीतीश सदन में मौजूद राजद को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि वह और भाजपा नेता फिर से बात करने लगे हैं। कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी सोशल मीडिया पर जन्मदिन की बधाई दी।
तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमला
जबकि कई सोशल मीडिया वीडियो में तमिलनाडु में स्थानीय लोगों द्वारा बिहारी मजदूरों पर हमला करते हुए दिखाया गया था, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ऐसी सभी रिपोर्टों को तुरंत खारिज कर दिया। हालांकि, नीतीश कुमार ने अधिकारियों से हमलों की खबरों पर गौर करने को कहा। यहां तक कि उन्होंने प्रवासी श्रमिकों पर हमलों के आरोपों की जांच के लिए तमिलनाडु में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी भेजा। नीतीश कुमार ने ट्विटर पर लिखा कि उन्हें अखबारों की खबरों से तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमलों के बारे में पता चला, जिसके बाद उन्होंने मुख्य सचिव और डीजीपी को दक्षिणी राज्य में अपने समकक्षों से संपर्क करने और प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
बीजेपी नेता के घर पहुंचे नीतीश
शनिवार को नीतीश कुमार बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के पिता के ‘श्राद्ध कर्म’ में शामिल होने के लिए कटिहार गए थे, जिनका हाल ही में निधन हो गया था। प्रसाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य हैं और उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की थी। उन्हें बिहार विधानसभा में भाजपा का नेता और 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में कटिहार निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान सभा का सदस्य चुना गया।