संसद में महिलाएं: स्वीडन के अनुभव

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: स्वीडन के दूतावास ने फेम फर्स्ट फाउंडेशन के सहयोग से ‘संसद में महिलाएं: स्वीडन के अनुभव’ पर एक वर्चुअल विमर्श का आयोजन किया। यह स्वीडन की महिला सांसदों और भारत की महत्वाकांक्षी महिला राजनेताओं के बीच एक गंभीर चर्चा थी। 4 सितंबर, 2021 को आयोजित यह एक अभूतपर्व विमर्श था और इसकी परिकल्पना स्वीडन की नारीवादी विदेश नीति की पृष्ठभूमि में की गई थी।

इस अवसर पर भारत में स्वीडन के राजदूत श्री क्लास मोलिन ने आरंभिक संबोधन किया। स्वीडन के राजदूत श्री क्लास मोलिन ने कहा: ‘‘स्त्री-पुरुष समानता और सभी को एक समान अधिकार स्वीडन की विदेश नीति की बुनियाद है। इसका अर्थ सभी के अधिकारों का आदर करना, संसाधनों का सही आवंटन करना और सभी स्तरों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है। हमें फेम फस्र्ट के मिशन और सरकार में महिलाएं फेलोशिप कार्यक्रम का समर्थन करने का गर्व है जो राजनीति और सरकार में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और बेहतर बनाने के रचनात्मक प्रयास का सशक्त उदाहरण है।‘‘

‘संसद में महिलाएं: स्वीडन के अनुभव’ का सृजन एवं संचालन फेम फेस्र्ट फाउंडेशन ने किया है जो भारत में महिलाओं के नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत निरपेक्ष गैर-आर्थिक लाभ संगठन है। यह आयोजन वर्तमान में जारी उनके ‘वुमन इन गवर्नमेंट फेलोशिप’ के तहत किया गया है जो क्षमता के विकास, प्रशिक्षण और राजनीति में महिलाओं के मार्गदर्शन पर केंद्रित छह महीने का कार्यक्रम है। इसका मकसद भारत में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी और गुणवत्ता बढ़ाना है।

फेम फस्र्ट फाउंडेशन की संस्थापक अंजेलिका अरीबाम ने कहा: ‘‘भारतीय संसद में केवल 14.3 फीसद महिलाएं हैं और इस लिहाज से दुनिया में इसका 145वां स्थान है। बहुत-से देश लैंगिक समानता की बाधाओं को तोड़ चुके हैं जिनसे हमें बहुत कुछ सीखना है और स्वीडन ऐसे देशों की सूची में सबसे ऊपर है। स्वीडेन की सरकार का यह स्वाभिमान है कि यह दुनिया की पहली नारीवादी सरकार है। स्वीडेन की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 50 प्रतिशत है और यह उनके नीति निर्माण में दिखता है। आज के संवाद में राजनीति में सक्रिय भारतीय महिलाओं को स्वीडन की महिला सांसदों के वास्तविक अनुभवों को प्रत्यक्ष रूप से सीखने और स्थायी मैत्री कायम करने का अवसर मिला। यह स्त्री-पुरुष भेदभाव से दूर एक नई दुनिया बनाने की ओर बड़ा कदम है।‘‘

फेलोशिप के पहले समूह में पूरे देश की 18 उल्लेखनीय महिला नेता शामिल हैं। इनमें कुछ पहले से निर्वाचित कार्यालय में मौजूद हैं, कुछ राजनीतिक दलों की पदाधिकारी और कुछ अन्य राजनीति में उतरने की इच्छुक नागरिक समाज की महिला नेता हैं।

स्वीडन की सांसदों में पूर्व स्वीडिश रक्षा मंत्री सुश्री कैरीन एनस्ट्रॉम (मॉडरेट पार्टी और संविधान समिति की अध्यक्ष), सुश्री कैमिला हैनसेन (ग्रीन पार्टी और विदेश कार्य समिति की सदस्य), सुश्री एमिलिया टोयरा (सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी और सामाजिक आश्वासन समिति की सदस्य) और सुश्री टीना एक्टाॅफ्ट (लिबरल पार्टी और संवैधानिक मामलों की प्रवक्ता); इनमें कुछ हाल में 2019 में भारत दौरे पर आई थीं।

इस अवसर पर स्वीडिश सांसदों ने अनौपचारिक बातचीत की और आज के दौर में महिलाओं के नेतृत्व संभालने के लाभों के बारे में विमर्श किया। उन्होंने निजी अनुभव साझा किए और नारीवादी नेतृत्व के भविष्य के बारे में वे क्या सोचती हैं इस बारे में बताया। इसके अतिरिक्त प्रोग्राम के अध्येताओं (फेलोज़) को छोटे-छोटे समूहों में सांसदों से अंतरंग विमर्श का अवसर मिला ताकि वे इस सफर की चुनौतियों और उपलब्धियों के बारे में संक्षिप्त विचार रखें।

आयोजन बहुत आकर्षक था और दोनों पक्षों के लिए लाभदायक साबित हुआ। अध्येता (फेलो) महिलाएं जानकार थीं और अनुभवी सांसदों से अधिक जानने को उत्सुक भी थीं। सांसद भी युवतियों के सवालों से प्रभावित और उत्साहित थीं। राजनीति में उतरने की इच्छुक भारतीय महिलाओं को उनकी मुख्य सलाह यह थी कि अन्य महिलाओं का समर्थन प्राप्त करें। इसके लिए दलगत राजनीति और विचारधाराओं की सीमाओं से उठ कर प्रयास करें।

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