भारत में महिला के स्वामित्व वाले उद्यमों के अगले पांच वर्षों में 90 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान: एडेलगिव फाउंडेशन की रिपोर्ट

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: भारत की अग्रणी परोपकारी संस्था एडेलगिव फाउंडेशन ने शुक्रवार को महिला उद्यमशीलता के परिदृश्य को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की। यह एक समग्रतापूर्ण और राष्ट्व्यापी अध्ययन है जिसमें महिला उद्यमियों के द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों, स्वास्थ्य पर प्रभाव, सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा और परिवार की देखरेख के नतीजे जैसे अहम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह रिपोर्ट महिला उद्यमियों और उस व्यवस्था के बारे में समग्र नजरिया प्रदान करती है, जिसमें उनका विकास होता है। 13 राज्यों में किए गए अध्ययन से पता चला है कि अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण भारत की लगभग 80% महिलाएं उद्यम शुरू करने के बाद अपनी सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार महसूस करती हैं। सर्वेक्षण में शामिल महिलाओं ने कहा कि इससे उनके भीतर स्वतंत्रता और आत्मविश्वास की भावना का संचार हुआ।

यह अध्ययन एडेलगिव फाउंडेशन के उदयमस्त्री अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य महिलाओं में उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना और भारत में महिला आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख मार्गों में से एक के रूप में महिला उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना है। एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान इस रिपोर्ट को महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने जारी किया, जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने की।

कई आयामों पर प्रकाश डालने वाले इस अध्ययन में सामाजिक, वित्तीय, निजी और पारिवारिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि महिला उद्यमियों की पूरी यात्रा को समग्रता में समझा जा सके और इसके साथ ही सरकार, गैर सरकारी संगठनों और कॉरपोरेट की भूमिका को भी समझने की कोशिश की गई है। रिपोर्ट में उद्यमशीलता की वजह से महिलाओं की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति में सुधार होने का ज़िक्र किया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि मार्केटिंग, प्रॉडक्शन, प्रौद्योगिकी और सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियों के साथ वित्तीय ज्ञान और संसाधनों के मामले में अभी भी उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

महिला उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए मौजूद कई सरकारी योजनाओं और नीतियों की मौजूदगी के बावजूद महिला उद्यमियों के द्वारा इन योजनाओं का लाभ लेने के मामले में संख्या काफी कम है। सर्वे में शामिल महिला उद्यमियों में से केवल 1% ने सरकारी योजनाओं का लाभ लिया और ऐसा इसलिए क्योंकि मात्र 11% महिलाओं को ऐसी योजनाओं के बारे में जानकारी थी। वित्तीय मदद और योजनाओं के बारे में जागरूकता का अभाव, जरूरी दस्तावेजों की अनुपलब्धता, इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए जटिल प्रक्रिया से गुजरने की धारणा और गिरवी रखने के लिए किसी संपत्ति का न होना अहम कारण के तौर पर उभरकर सामने आए। अध्ययन के मुताबिक भारत में महिलाओं के मालिकाना हक वाले कारोबारों के पांच वर्षों में 90% तक बढ़ने का अनुमान है, जबकि अमेरिका और ब्रिटेन में यह क्रमश: 50% और 24% फीसदी है।

मशहूर पत्रकार फ़े डिसूज़ा द्वारा संचालित कार्यक्रम में आयोजित समूह चर्चा के दौरान एडेलगिव फाउंडेशन की एक्जिक्यूटिव चेयरपर्सन विद्या शाह ने कहा कि, “भारत में महिलाएं सांस्कृतिक क्रांति की अगुवाई कर रही हैं। वह अपने कारोबारों का निर्माण कर रही हैं और भविष्य के लिए उद्यमी महिलाओं के लिए रास्ता तैयार कर रही हैं। अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने, रोजगार सृजन और औद्योगीकरण में उनकी भूमिका अहम है। भारत में महिला उद्यमियों की सफलता के पीछे ऐसी नीतियों का इस्तेमाल और उनके क्रियान्वयन की भूमिका है, जिसके जरिए महिलाओं को प्रशिक्षण, प्रोत्साहन, आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान मिल रही है। यह अध्ययन हमारे उदयमस्त्री अभियान की बुनियाद है, जिसका मकसद सहयोग और पहुंच के जरिए भारत में महिला उद्यमियों के लिए समान और योग्य माहौल का निर्माण करना है।”

एडेलगिव फाउंडेशन की सीईओ नगमा मुल्ला ने चर्चा के दौरान कहा कि, “महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किए जाने का असर आर्थिक तरक्की पर दिखता है। यह महिलाओं के आत्मविश्वास और भरोसे को बढ़ाते हुए उन्हें बेहतर जीवन प्रदान करता है और उद्यमशीलता उनका सशक्तीकरण करती  है। यह महिलाओं को क्रमिक रूप से स्वायत्तता और निर्णय लेने की ताकत प्रदान करता है, जिसके दम पर वह खुद के लिए और अपने बच्चों के लिए ऊच्च शिक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के बारे में फैसले लेती हैं। हमारा मानना है कि उदयमस्त्री सामाजिक उन्नति और उनकी भलाई के मामले में अहम साबित हो सकता है।”

प्रमुख निष्कर्षों के आधार पर अध्ययन में इस बात की सिफारिश की गई है कि राज्य अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं की पहचान करने और प्रासंगिक कार्यक्रमों को लागू करने, कर छूट के साथ एक ब्रांड के तहत महिला उद्यमियों के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए अध्ययन कराएं। इसके साथ ही अकाउंटिंग, एचआर प्रबंधन और कम्युनिकेशन, नैतिक समर्थन के लिए पीढ़ी को जागरूक करना और सामुदायिकता को बढ़ावा देने और नवोदित उद्यमियों को अपने उद्यम को औपचारिक रूप देने और विस्तार करने में सक्षम बनाने के लिए लिए स्थानीय स्तर पर मेंटरशिप कार्यक्रम चलाए जाने का जिक्र किया गया है।

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