आपका अभिनंदन है 2021, जगत का कल्याण करें
निशिकांत ठाकुर
हम जिस परिवेश से आते हैं, वहां अस्ताचलगामी सूर्य को महापर्व छठ के दिन लोग अघ्र्य देकर आने वाले कल की कुशलता के लिए करबद्ध होकर प्रार्थना करते हैं। कहते हैं कि आज हमारे सारे दुखों को लेकर आप अस्त हो जाइए और कल फिर हमें नए उत्साह से दर्शन दीजिए। हालांकि, अब हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम को चरितार्थ कर रही है। पहले कुछ सांस्कृतिक क्षेत्र में मनाई जाने वाली छठ अब, देश ही नहीं, विदेशों में भी मनाई जा रही है।
आज हम साल 2020 के अस्ताचल की बेला में फिर अपने अराध्य भगवान सूर्य से प्रार्थना कर रहे हैं कि 2020 का जो वर्ष आपने हमें दिया, वह दुखदायी था। कोरोना महामारी ने हमारी पूरी व्यवस्था को बाधित कर दिया। इसलिए हे देव, आपसे प्रार्थना है कि 2021 में जब आप प्रकट हों, तो आपकी कृपा विश्व पर बनी रहे। नव वर्ष विश्व के लिए कल्याणकारी हो।
दुनिया की बात तो बाद में करते हैं, पहले स्वदेश की बात करते हैं। हम सब ने कितने कष्टों को सहा है , कितने अपनों को खोया है , कितने देशों ने हमसे तनातनी की , कितनों ने हमें धमकाया , लेकिन हम शांत रहे। हमने अपने देश के कई महान विभूतियों, राजनीतिज्ञों, पत्रकारों और परिजनों को खोया। हमें अपने देशवासियों पर फक्र रहा कितनी आपदाएं आई, हम महात्मा गांधी को आदर्श मानने वाले सदैव शांत रहे। एक अभिशप्त वर्ष गुजर गया। हम आपको नमन करते हैं। अब नए साल में आप आइए आपका स्वागत करते हैं। इसी आशा से की आप सब का कल्याण करेंगे। हम कष्टों से निजात पाएंगे। हे नूतन वर्ष 2021, आपसे बड़ी आशाएं हैं। आपके आने से विश्व का कल्याण होगा। आपका स्वागत और 2020 को भी भावभिनी विदाई देते हैं।
जहां तक मुझे स्मरण होता है, शुरुआत तो 2020 की ठीक थी। यहां तक कि विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति का आगमन हुआ। भारत ने उनके स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अहमदाबाद और आगरा तक की यात्रा तो ठीक थी, लेकिन जैसे ही उनका दिल्ली आना हुआ पता नहीं किसकी नजर लगी, वहां भारी दंगा शुरू हो गया । खूब मार काट हुई। दोनों पक्षों के काफी लोग मारे गए। दिल्ली अस्थिर हो गई । किस योजना के तहत इतनी बड़ी साजिश रची गई थी, यह बात समझ में नहीं आई, पर बाद में इसकी जांच हुई और अपराधी आज सलाखों के पीछे हैं।
क्रमवार यदि बात करें, तो दिल्ली देश का सर्वाधिक प्रभावित राज्य रहा। कभी जातीय दंगा तो कभी छात्र का उग्र हो जाना, कभी वकीलों और पुलिस का झगड़ा – जिसके कारण दिल्ली पीछे छूटता गया। फिर विश्व महामारी का प्रवेश कोरोना के रूप में हुआ जिसने भारत ही नहीं विश्व को झखझोर कर रख दिया। कीड़े मकोड़े की तरह लोग मरने लगे। अचानक हुई इस महामारी से हतप्रभ लोग समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर यह कौन सी बीमारी है ? इसका इलाज कैसे और किस तरह किया जाए ? इसलिए पहले लॉकडाउन करो, ताकि महामारी का सही पता लगाया जा सके। पहले एक दिन के लिए और फिर तीन सप्ताह के लिए देश ही नहीं दुनिया को बंद कर दो, क्योंकि यह महामारी छुआछूत की है। इसलिए यदि लोग एक दूसरे के संपर्क में नहीं आएंगे, तो हो सकता है इस महामारी से निजात मिल जाए। यहां तक कि प्रधानमंत्री का अनुमान था कि महामारी का इलाज तीन सप्ताह तक विश्व खोज निकलेगा। इसलिए उन्होंने विश्वास के साथ कहा था कि महाभारत तो अठारह दिन तक लड़ा गया , लेकिन हम कोरोना से जंग तीन सप्ताह में जीत जाएंगे। इसलिए तीन सप्ताह का लॉकडाउन ।
यहीं विश्व के सभी वैज्ञानिकों का अनुमान गलत हो गया । फिर भारत जैसे देश के उस तबके को घर में बंद कर देना , जहां अधिकांश लोग सुबह से शाम तक काम करके शाम में अपने परिवार के लिए दो जून के आहार का इंतजाम करते हैं, वह दाने दाने के लिए मोहताज हो गए। उनके लिए किसी सरकार ने जीविका का कोई इंतजाम नहीं किया था, लिहाजा वह अपने बाल – बच्चों के साथ भाग्य भरोसे खुली सड़क पर अपने जान को हथेली में लेकर अंतहीन यात्रा अथवा यह भी कह सकते हैं मृत्यु के मुंह में समाने निकल पड़े । उस दृश्य को कोई कैसे भूल सकता है, जब एक मां अपने सिर पर घरेलू सामान , गोदी में बच्चा लेकर सड़क पर पेट की ज्वाला को शांत करने निकल पड़ी थी । कुछ ने तो रास्ते में ही भूख प्यास से दम तोड़ दिया , कुछ रेल और सड़क दुर्घटना में मारे गए । एक अजीब अफरा तफरी का माहौल था। ढेरों घटनाएं घटी । भारत सहित पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति सरपट आगे जा रही थी, उसने यू टर्न ले लिया। हजारों नहीं बल्कि लाखों बेरोजगार हो गए , हजारों फैक्टरियां बंद हो गई।
कहा जाता है कि इस महामारी का कारण चीन था जहां से इस महामारी की उत्पति हुई थी , पर सच आज भी अंधेरे में है जिसे कोई खोज नहीं पाया है। यदि कभी कोई जांच होगी तभी इसकी वास्तविकता का सही आकलन किया जा सकेगा।
उधर, विश्व के सबसे शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हार गए, अब वहां के राष्ट्रपति जो वायदन हैं। वह नए साल में अमेरिका के व्हाइट हाउस की कुर्सी संभालेंगे। चूंकि ट्रंप से तो भारत के प्रधानमंत्री ने संबंध ठीक बना लिया था। अब देखना यह है कि नए साल में नए राष्ट्रपति से भारत का संबंध कैसा होगा? भारतीय सीमा पर लगातार चीन अपना दवाब बनता जा रहा है। दरअसल, वह दवाब बनाने से अधिक दिखाना और डराना चाहता है कि हम कितने शक्तिशाली है, लेकिन वहां सीमा पर तैनात हमारे भारतीय उसकी हुड़की में नहीं आकर हमेशा उसे उसकी औकात बताने को तैयार है। पाकिस्तान का तो जन्म ही भारत के विरोध स्वरूप हुआ है इसलिए वह बार बार अपनी चिढ़ मिटाने के लिए चोरों जैसा व्यवहार करता रहता है ।
अब देखना यह है कि 2021 भारत के लिए कैसा रहता है। आशा तो यही है कि अब तक तो वह महामारी और किसान आंदोलन में उलझा रहा, लेकिन नए साल में ऐसे लोगों को यथास्थिति में रखना भारत सीख लिया है। इसलिए नया वर्ष 2021 विश्व लिए तथा अपने भारत की लिए हितकारी ही होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है।)