दुविधा में दोनों गए, न माया मिली न राम: बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक की पारंपरिक सीट भाकपा-माले के खाते में गयी

चिरौरी न्यूज़

पटना: एक कहावत है, दुविधा में दोनों गए, न माया मिली न राम। बिहार के पूर्व मंत्री श्याम रजक के साथ यही हुआ है। कुछ दिनों पहले तक जेडीयू में रहे पूर्व मंत्री को जब ये आभास होने लगा था कि उनके पारंपरिक सीट फुलवारीशरीफ से उन्हें जेडीयू से टिकट नहीं मिल सकती तो उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल का दामन थामा था। लेकिन भाग्य का लिखा कैसे मिटा सकते हैं, उनको आरजेडी से भी टिकट नहीं मिली, क्योंकि फुलवारीशरीफ की सीट गठबंधन के अनुसार भाकपा-माले के खाते में गयी है।

बता दें कि श्याम रजक करीब दो महीने पहले ही जनता दल (यू) छोड़कर राजद (राष्ट्रीय जनता दल) में शामिल हुए थे और उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें फुलवारी शरीफ सीट से टिकट देगी। श्याम रजक ने इस पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिये जाने से न तो वह परेशान हैं और न ही नाराज हैं। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी (RJD) नेतृत्व चाहेगा तो वह पार्टी के लिये चुनाव प्रचार करेंगे।

उन्होंने कहा कि, “‘मैं न तो टिकट पाने की इच्छा से राजद में शामिल हुआ था और न ही किसी से टिकट मांगी थी और न ही शामिल होने के समय में कोई आश्वासन दिया गया था।” श्याम रजक को राज्य मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था और 16 अगस्त 2020 को जदयू से छह वर्ष के लिये निष्कासित कर दिया गया था। समझा जाता है कि श्याम रजक को आशंका थी कि जदयू उन्हें फुलवारी शरीफ सीट से टिकट नहीं देगी जिस क्षेत्र में उन्होंने वर्षों से मेहनत की थी।

भाकपा-माले को राजद नीत विपक्षी महागठबंधन में 19 सीटें दी गयी है, जिसमें फुलवारी शरीफ भी शामिल है। पार्टी ने यहाँ से गोपाल रविदास को टिकट दिया है। माकपा को छह और भाकपा को चार सीटों मिली हैं। इस बारे में पूछे जाने पर श्याम रजक ने कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य नहीं है कि उन्हें टिकट नहीं मिला। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं पिछले 40 वर्षों से सक्रिय राजनीति में हूं। ऐसी बातों से मुझे आश्चर्य नहीं होता और जीवन में मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।”

 

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