यू.एन.आई ने अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर सरकारी नौकरियों में ठेकाकरण बढ़ने का किया विरोध
न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: यूनाइटेड नर्सेज ऑफ़ इंडिया (यू.एन.आई) ने अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कोविड-19 और लॉकडाउन के संकट के दौरान नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की जरूरतों की अवहेलना करने की कड़ी भर्त्सना की है।
यू.एन.आई ने एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा है कि मौजूदा संकट की परिस्थिति में सरकारों ने न सिर्फ नर्सों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा उपकरण संबंधी मांगों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर रही हैं, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी होने के कारण नर्सों को दिन-रात काम भी करने को मजबूर कर रही हैं।
“अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस के मौके पर सरकारी अस्पतालों की नौकरियों का लगातार ठेकाकरण और निरंतर आउटसोर्स किये जाने की भी यू.एन.आई कड़ी भर्त्सना करता है। जिस समय देश-भर में ज्यादातर नर्स अति-शोषित हैं और उनकी अत्यंत महत्वपूर्ण सेवा को भी सम्मान नहीं मिल रहा है, ऐसे समय में सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियों का विरोध करना बहुत ज़रूरी है। नर्सों की स्थिति जन-स्वास्थ्य व्यवस्था की ख़राब होती दशा से जुड़ी हुई है और इसका सीधा उदाहरण जन-विरोधी एनडीए सरकार द्वारा स्वास्थ्य बजट में भारी कटौती है।”
ज्ञात हो कि स्वास्थ्य व्यवस्था और स्वास्थ्य शिक्षा का लगातार निजीकरण; और कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्स द्वारा नर्सों की नौकरियों का नियमित किया जाना को एक गंभीर समस्या है। भारत जैसे देश जहाँ काफी बड़ी और व्यापक जन-स्वास्थ्य व्यवस्था की ज़रुरत है, वहां एक के बाद एक सभी सरकारों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों की नौकरियों का ठेकाकरण/आउटसोर्स किया जाना और प्राइवेट अस्पतालों की बढ़ोत्तरी को लगातार नज़रंदाज़ किया जाना, विनाशकारी है। नर्सों के ठेकाकरण /आउटसोर्स किये जाने से भारत की बहुसंख्यक आबादी जो अपने स्वास्थ्य के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर है, उसपर भयानक प्रभाव पड़ रहा है। ठेकाकरण ज्यादातर नर्सों को बराबर वेतन और अधिकारों से वंचित करता है क्योंकि ठेका कर्मियों को रेगुलर नर्सिंग स्टाफ के समान वेतन और अधिकार नहीं दिए जाते है।
नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों की मौजूदा चिंताओं के संबंध में यू.एन.आई ने निम्नलिखित मांगों को सरकार के समक्ष रखा है-
- अस्पतालों में कार्यरत नर्स व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के पास सुरक्षा उपकरणों की कमी है व बेहतर सुरक्षा उपकरण नहीं है जिसके कारण डॉक्टर, नर्सेज, मेडिकल स्टाफ बड़ी संख्या में कोरोना से संक्रमित हो रहे है।अपनी सुरक्षा को लेकर इनके द्वारा अनेक बार विरोध भी दर्ज किया गया लेकिन इनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं किया गया है। हमारी माँग है कि कोरोना से इलाज के लिए नर्सों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों, सफाई कर्मचारियों, सुरक्षा कर्मचारियों को पर्याप्त व बेहतर मास्क, सूट, चश्मा, सेनीटाइजर दिया जाए ताकि वह स्वंय भी कोरोना के संक्रमण से बचे रह सके।
- कोरोना से इलाज के लिए नर्सों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों, सफाई कर्मचारियों, सुरक्षा कर्मचारियों को महामारी भत्ता दिया जाए व उनके रहने, खाने, यातायात की सुविधाओं को भी सुनिश्चित किया जाए।
- पीपीई किट, वेंटिलेटर आदि की जल्द-से-जल्द व्यवस्था की जाए ताकि मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि इनके इंतजाम पर जो खर्च लगेगा उसे अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं के खर्च में कटौती करके या उसके फण्ड को डाइवर्ट करके न किया जाए।
- अस्पतालों में कार्यरत ऐसी महिला कर्मचारियों जो गर्भवती है या बच्चों को स्तनपान कराती हैं, की छुट्टी के आवेदनों को मंजूर किया जाए।
- सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पुनः शुरू की जाए ताकि गरीब मजदूरों का नियमित इलाज हो सके।अस्पताल में कोरोना को देखते हुए ऐसे दिशा-निर्देश व व्यवस्था की जाए ताकि मरीज सोशल-डिसटेनसिंग का पालन करते हुए इलाज करवा सके। अन्यथा, ओपीडी बंद होने के कारण कोरोना से ज्यादा मरीज दूसरी बीमारियों से मौत का शिकार बन जायेंगे।
- डॉक्टर व नर्स की नयी बहाली की जाए ताकि कोरोना व अन्य बीमारियों के पीड़ितों को बेहतर इलाज मिल सके।