हर साल 5 अगस्त याद आएगी आपको

निशिकांत ठाकुर

भारतीय जनमानस के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो अब 5 अगस्त महज एक दिन नहीं, बल्कि इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। भारत के साथ कई दूसरे देशों के लेाग भी इस तारीख को याद रखेंगे। पांच अगस्त के केवल अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के आरंभ का दिन नहीं, बल्कि पूरे विश्व में बसे हिन्दुओं के जागरण का भी दिन है। भारतीय लोकतंत्र में 5 अगस्त का संबंध जम्मू-कश्मीर से भी है। धरती के स्वर्ग से। आपको स्मरण हो कि 5 अगस्त, 2019 को ही जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य के दर्जे से मुक्त किया गया था। धारा 370 और अनुच्छेद 35ए हटाया गया था।

बीते एक वर्ष में जो कुछ अप्रत्याशित घटना घटी है, उसे यदि क्रमवार रखें तो साल 2019 में जम्मू कश्मीर को प्रदत्त विशेषाधिकार की धारा 370 और 35 ए को 5 अगस्त् के ही दिन समाप्त करके उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। उसके बाद ही जम्मू और कश्मीर देश के केंद्र शासित प्रदेश हो गए। एक वर्ष में उस राज्य की क्या स्थिति हुई, अब यह देखने और समझने की बात है। हालांकि, इतना तो है ही कि एक वर्ष से वहां की जनता का हाल गेहूं के साथ घुन जैसा हो रहा है। कानून व्यवस्था को सही करने के लिए नेताओं सहित कुछ जनता को घरों में अथवा जेल में बंद कर दिया गया है। पिछले दिनों धारा 370 को खत्म किए जाने तथा केन्द्र शासित प्रदेश बनाए जाने के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में कर्फ्यू लगा दिया गया था।

जम्मू-कश्मीर में बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे है, व्यवसाय ठप्प हो गया है। अव्वल तो यह कि पहले तो प्रदेश के अशांत होने के कारण स्कूल बंद कर दिए गए, फिर कोरोना का कहर बरपा। विकास के लिए कुछ ऐसी स्थिति में क्या किया जा सकता है, यह एक गंभीर विषय है। सच तो यह है कि जम्मू कश्मीर के स्थानीय निवासियों के लिए तो उसकी स्वतंत्रता पर धारा 370 और 35 ए का हटना कुठाराघात माना जा रहा है, तो देश के दूसरे राज्यों के लिए सुखद है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि इस मानसिक आघात से जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी शीघ्र ही मुक्त हो जाएंगे और सामान्य राज्य के नागरिकों जैसा अपने को ढाल लेंगे। उन्हें इस बात की खुशी होनी चाहिए कि भारत की मुख्यधारा के वह अब हिस्सा हो गए हैं, जिसके कारण वह विशेष नहीं रहे।

दूसरा, सुप्रीम कोर्ट से मामला जीतने के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन किया गया। 5 अगस्त, 2020 को भारत ही नहीं, विश्व के राम भक्तों को यह संदेश दिया गया कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के रामराज्य के निर्माण की प्रक्रिया प्रांरभ हुई है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कई पुरानी, कुछ नई बातों का जिक्र किया, जिससे एक नए युग का संदेश देने की बात की जा रही है। हम यह कह सकते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति उनके रामराज्य की परिकल्पना को साकार करने का संकल्प लेना और उसे पूरा करना अब शुरू हो गया है । निश्चित रूप से इससे उत्तर प्रदेश का विकास होगा। सांस्कृतिक और सामाजिक समृद्धि आएगी। अर्थव्यवस्था को भी नया आयाम मिलेगा। हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार मिलेगा।

इससे हटकर तीसरा मुद्दा बाॅलीवुड और राजनीति से है। मामला बाॅलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु से जुडा है। महाराष्ट् सरकार इसे आत्महत्या बता रही है और बिहार सरकार इसे हत्या मान रही है। बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत बिहार के बेटे हैं। केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के सीबीआई जांच की अनुशंसा पर मुहर लगाई। इस उलझे हुए गंभीर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार और महाराष्ट्र के बीच चल रहे खींच तान को विराम लगा दिया है । सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के मामले का रहस्य अब सार्वजनिक होगा और न जाने कितने नकाबपोश नकाब से नंगे निकाले जाएंगे।

अब यह तय हो गया है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच अब सीबीआई करेगी। उम्मीद करें कि दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा। आइए इस बार एक चमकते सूर्य के अचानक असामयिक डूबने पर कुछ चर्चा कर लेते हैं। मैं बात कर रहा हूं सुशांत सिंह राजपूत की । अजीब बात है मीडिया ने सबसे पहले स्वीकार कर लिया कि यह आत्महत्या का मामला है। एक तरह से मीडिया ट्रायल । चाहे प्रिंट हो या इलेट्रानिक या डिजिटल। सब यह कहने और लिखने लगे किं यह आत्महत्या का ही मामला है। कोई सोच ही नहीं रहा है कि इसके पीछे भी कुछ हो सकता है ? वैसे सोशल मीडिया में इस पर काफी कुछ लिखा गया कि यह आत्महत्या नहीं हत्या का मामला भी हो सकता है। लेकिन इस पर किसी ने गौर नहीं किया और मामले को रफा दफा करने के लिए मुंबई पुलिस द्वारा इसी बात को बराबर दोहराया जाता रहा कि चूंकि सुशांत मानसिक रोगी थे और इसीलिए हताश होकर उन्होंने आत्महत्या का रास्ता चुना।

बहुत ही गंभीर और दुखद बात यह है कि लगभग दो माह गुजरने के बाद भी महाराष्ट्र पुलिस प्रार्थमिकी भी दर्ज नहीं कर सकी और न जाने कितनों को बुलाकर तथाकथित घंटों पूछताछ के नाम पर नाटक करती रही। पूछताछ का परिणाम क्या हुआ , यही की अपराधियों को अपराधी साबित करने के जितने भी प्रमाण थे सभी खत्म कर दिए गए । यह सरासर किसी बड़े को बचाने का प्रयास ही है अन्यथा किसी हत्या या आत्महत्या की जांच होती रहे और पुलिस को कोई संदिग्ध न मिले और उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज न हो – ऐसा कैसे हो सकता है? क्या महाराष्ट्र पुलिस इतनी कमजोर और अयोग्य है ? कई बार मैंने मुंबई की यात्रा की है। मेरा अनुभव तो यह नहीं कहता कि महाराष्ट्र पुलिस इतनी कमजोर है। विशेष रूप से मुंबई पुलिस ने कई बड़े बड़े मामलों के अपराधियों को घसीटकर न्यायालय के समक्ष खड़ा कर दिया है। सुशांत सिंह राजपूत के मामले में महाराष्ट्र पुलिस का वह तेज, वह शौर्य और वह दूरदर्शिता कहां गई ? सवाल तो राज्य सरकार से जुडे कुछ चेहरों पर भी उठ रहे हैं।

एक सवाल यह भी बार बार उठ रहा है कि क्या सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु, हत्या या आत्महत्या में भी राज्यवाद या क्षेत्रवाद तो कहीं आडे नहीं आ रहा है या किसी बड़ी मछली के रूप में कोई राजनेता तो नहीं फसने जा रहे हैं। जिसे बचाने के लिए सभी हाथ पैर मारते रहे हैं । वह तथाकथित महिला मित्र रिया चक्रवर्ती कहां गई जो स्वयं पहले सीबीआई जांच कराने की मांग करती रही है और जब पूछ ताछ का समय आया तो वह गायब हो गई । सुशांत के बैंक खाते से साल भर में करोड़ों के धन किसने और क्यों कर निकाले । कई और प्रश्न तो होंगे ही जिसकी जांच सीबीआई करेगी । तथाकथित सुशांत की मैनेजर दिशा सलियान जिसका सुशांत से सीधा कोई संबंध नहीं था मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह का कहना है कि उसकी मौत से नाम जोड़े जाने के बाद वह अशांत थे । जब की दिशा सलियान के लिए सुशांत ने अपने वकील को संदेश देकर पूछ किं ये दिशा कौन है । जो मीडिया और सोशल मीडिया से जानकारी मिल रही है कि दिशा सलियान किसी पी आर संस्था के लिए काम करती थी और उसका कोई सीधा संबंध सुशांत से नहीं था । अब तक इस केस में जो कुछ भी जांच में सामने आया है निश्चित रूप से वह किसी को बचाने के लिए या अपनी अपनी कमजोरी छुपाने के लिए मुंबई पुलिस करती रही है । यहां तक कि पटना पुलिस के एसपी के हाथ में मोहर लगाकर क्वेयरंटाइन कर दिया । इन्हीं सब कारणों से महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सीबीआई जांच करने से भी इंकार करते रहे। सवाल एक नहीं, कई हैं। समय के हिसाब से आपके और मेरे समक्ष आते रहेंगे।

सुशांत के परिवारवाले और उसके पिता को इस प्रयास के लिए शबासी देने की जरूरत है, क्योंकि सुशांत के पिता ने अपना होनहार बेटा खोया है , इसलिए उन्होंने प्रण कर लिया था कि अपराधी को सजा दिला कर रहेंगे। उन्हें इसमें सफलता भी मिली है और सुप्रीम कोर्ट ने एक दुखी पिता की पीड़ा को समझते हुए सीबीआई जांच कराने कि स्वीकृति दे दी। अब सीबीआई जांच के बाद ही मृतात्मा को शांति मिलेगी और परिवार को न्याय। देखना यह है कि नकाबपोश अपराधी कानून की पकड़ से कब तक बचते रहेंगे क्योंकि सीबीआई का सीधा सम्बन्ध केंद्रीय गृह मंत्रालय से होता है इसलिए उसकी विश्वसनीयता को कभी संदेह के घेरे में नहीं लाया जा सका है ।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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