125 वीं जयंती: स्वतंत्रता संग्रामी नेताजी सुभाष चंद्र बोस
शिवानी रजवारिया
23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में सुभाष चंद्र बोस ने एक हिंदू कायस्थ परिवार में जन्म लिया था। नेता जी के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थी नेता जी के पिता पहले सरकारी वकील थी पर बाद में उन्होंने निजी प्रैक्टिस शुरू कर दी थी उन्होंने कटक की महापालिका में लंबे समय तक काम किया था और वह बंगाल विधानसभा के सदस्य भी रहे थे।
सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने प्राइमरी शिक्षा कटक के प्रोटेस्टेंट स्कूल से पूरी की सन 1909 में उन्होंने रेवेंशा कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लिया।नेताजी कॉलेज के प्रिंसिपल बेनी माधव दास के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित थे।मात्र 15 वर्ष की आयु में नेताजी ने विवेकानंद साहित्य का पूर्ण अध्ययन कर लिया था।
1915 में इंटरमीडिएट की परीक्षा के समय नेता जी बहुत बीमार हो गए। बीमारी से जूझने के बावजूद उन्होंने अपनी परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। नेताजी ने सन् 1916 में दर्शनशास्त्र(ऑनर्स) में बीए में लिए दाखिला लिया। प्रथम वर्ष में कॉलेज में अध्यापकों और छात्रों के बीच झगड़ा हो गया छात्रों का नेतृत्व करने के कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कॉलेज से एक साल के लिए निकाल दिया गया।
नेताजी ने 49 वी बंगाल रेजीमेंट में भर्ती के लिए परीक्षा दी। परीक्षा में उनकी आंखें खराब होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने स्कॉटिश चर्च कॉलेज में प्रवेश लिया किंतु नेता जी का मन सेना में ही जाने का कर रहा था। खाली समय में उन्होंने टेरिटोरियल आर्मी की परीक्षा दी और फोर्ट विलियम से रंग रूट के रूप में प्रवेश पा गए। कुछ ही समय में उन्हें ऐसा लगा अगर इंटरमीडिएट की तरह बीए में भी नंबर कम आए तब क्या होगा। उन्होंने मन लगाकर पढ़ाई की और 1919 में बीए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।
उनके पिता चाहते थे कि सुभाष आईसीएस बने।इस परीक्षा को पास करने के लिए उनके पास एक ही मौका था। उन्होंने अपने पिता से 24 घंटे का समय मांगा ताकि वह यह तय कर सकें क्यों नहीं परीक्षा देनी है या नहीं। सारी रात ऐसी असमंजस में वह जागते रहे कि क्या अंतिम निर्णय लिया जाए।अंत में उन्होंने यह परीक्षा देने का निर्णय लिया।अब 15 सितंबर 1919 को इंग्लैंड चले गए।लंदन के किसी स्कूल में परीक्षा की तैयारी करने के लिए उन्हें दाखिला नहीं मिला।
सुभाष ने किसी तरह किड्स विलियम हॉल में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान की ट्राई पास (ऑनर्स) की परीक्षा का अध्ययन करने के लिए प्रवेश लिया। 1920 में सुभाष चंद्र बोस ने चौथा स्थान प्राप्त किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद घोष के आदर्शों को बहुत मानते थे।जिस कारण उन्होंने अपने बड़े भाई शरद चंद्र बोस को एक पत्र लिखा और अपने दिलो दिमाग में चल रही जद्दोजहद का जिक्र किया।अपने पत्र में अपने भाई से राय मांगी कि जिन आदर्शों पर वह चल रहे हैं। उनके साथ आईसीएस बनकर अंग्रेजों की गुलामी कैसे कर पाएंगे।22 अप्रैल 1921 को भारत सचिव को आईसीएसए त्यागपत्र देने का पत्र लिखा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस जून 1921 में मानसिक एवं नैतिक विज्ञान में ट्राई पास ऑनर्स की डिग्री लेकर भारत लौट आए।
नेता जी के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
बोस के बारे में कहा जाता है कि जब वह जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश कर रहे थे तो ब्रिटिश सरकार ने अपने गुप्तचरों को उन्हें खत्म करने का आदेश दे दिया था।यह बात सन 1941 की है। सुभाष चंद्र बोस ने 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के ‘टाउन हॉल’ के सामने सुप्रीम कमांडर के रूप में ”दिल्ली चलो’ का नारा दिया था।
सेना को संबोधित करते हुए उन्होंने जापानी सेना के साथ मिलकर ब्रिटिश व कामनवेल्थ सेना से जमकर मोर्चा लिया। 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति होने के अधिकार से स्वतंत्र भारत के अस्थाई सरकार बनाई। सरकार को जर्मनी, जापान, फिलिपिंस,कोरिया चीन,इटली और आयरलैंड सहित 11 देशों की मान्यता मिली थी।