उपराष्ट्रपति ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से भविष्य में किसी भी महामारी के खतरे से निपटने के लिए अनुसंधान में तेजी लाने को कहा

Vice President stresses the need to make youth aware of Indian culture and traditionsचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में डीआरडीओ की एक प्रयोगशाला डिपास (डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड एलाइड साइंसेज) के वैज्ञानिकों और अग्रिम मोर्चे पर तैनात कर्मियों के योगदान की सराहना की। इसके अलावा उन्होंने भविष्य में ऐसी किसी भी महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए अपने शोध में तेजी लाने की सलाह दी।
उपराष्ट्रपति ने डिपास के लगभग 25 वैज्ञानिकों व तकनीशियनों को उप-राष्ट्रपति निवास में आमंत्रित किया था। उनके साथ डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी भी थे।
उनके साथ बातचीत करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि महामारी ने अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट पैदा कर दिया है और पूरे विश्व में जीवन व आजीविका को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस अवसर पर आगे बढ़ने और कोविड-19 के उपचार और प्रबंधन के लिए विभिन्न स्वदेशी उत्पादों को विकसित करने के लिए डिपास और अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं की सराहना करते हुए, उन्होंने कहा कि सार्स-सीओवी-2 के नए रूपों (वेरिएंट) के सामने आने के मद्देनजर भविष्य के किसी भी खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए हमेशा सावधान रहना महत्वपूर्ण है।

डॉ. जी सतीश रेड्डी ने उपराष्ट्रपति को कोविड-19 के उपचार व प्रबंधन के लिए स्वदेशी रूप से विकसित डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के विभिन्न उत्पादों और उपकरणों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने वैज्ञानिकों व तकनीशियनों को आमंत्रित करने और उनके साथ अपने विचार साझा करने के लिए उपराष्ट्रपति का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर डिपास के निदेशक डॉ. राजीव वार्ष्णेय भी उपस्थित थे।

 

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