जनगणना 2027 को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा का पलटवार: सुधांशु त्रिवेदी बोले, “कांग्रेस को सच्चाई दिखती ही नहीं”

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: बीजेपी के राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने मंगलवार को कांग्रेस पार्टी के जनगणना 2027 को लेकर लगाए गए आरोपों को “जानबूझकर फैलाई गई अज्ञानता” करार दिया और कहा कि केंद्र सरकार की अधिसूचना में सब कुछ स्पष्ट रूप से दर्ज है, जिसे कांग्रेस देखना ही नहीं चाहती।
भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में त्रिवेदी ने कहा, “कांग्रेस पार्टी अपनी दुष्प्रवृत्ति वाली राजनीति के कारण जातीय जनगणना की अधिसूचना नहीं देख पा रही है। जैसे वह ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में तबाही को नहीं देख पाई, वैसे ही इसे भी नहीं देख पा रही है।”
उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यही पार्टी पहले हमेशा जाति आधारित आरक्षण को रोकने का प्रयास करती रही है, और अब वही पार्टी मोदी सरकार की सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता पर सवाल उठा रही है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूरी प्रक्रिया के तहत केंद्रीय कैबिनेट में निर्णय लेकर जातीय गणना को जनगणना में शामिल किया है और यह बात अधिसूचना में साफ-साफ लिखी गई है।
उन्होंने कहा, “प्रेस रिलीज़ में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि जनगणना के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण भी किया जाएगा और स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जातीय जनगणना की जाएगी।”
इतिहास का हवाला देते हुए त्रिवेदी ने कहा कि वही लोग जो पहले कालेलकर आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित नहीं होने देना चाहते थे, आज जनता को भ्रमित कर झूठ फैला रहे हैं।
उन्होंने कांग्रेस पर राज्य सरकारों की तुलना केंद्र की अधिसूचना से करने को लेकर भी निशाना साधा। “राज्य सरकारें केवल सर्वेक्षण कर सकती हैं, जातीय जनगणना का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। कांग्रेस तेलंगाना के सर्वे का उदाहरण दे रही है, जबकि उसकी अपनी सरकारों के पास विकास कार्यों के लिए फंड तक नहीं हैं,” उन्होंने कहा।
सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे जातीय जनगणना को राजनीतिक लाभ का हथियार बना रहे हैं, जबकि असली उद्देश्य सामाजिक उत्थान होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया, “कांग्रेस बताए कि कर्नाटक और तेलंगाना में अल्पसंख्यकों को ओबीसी श्रेणी में क्यों जोड़ा गया? इसका जवाब कौन देगा?”
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ही नहीं, बल्कि INDIA गठबंधन के कई दल भी जनगणना मुद्दे को सिर्फ अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए भुना रहे हैं।