उद्धव ठाकरे पर एकनाथ शिंदे का तीखा हमला: “जो मरा हुआ है उसे मारने की क्या ज़रूरत?”
चिरौरी न्यूज
मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर करारा हमला बोला। शिवसेना की वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में शिंदे ने ठाकरे पर हिंदुत्व और मराठी अस्मिता को सत्ता के लिए त्यागने का आरोप लगाया और कहा कि अब चुनाव आते ही उन्हें हिंदुत्व और मराठी लोगों की याद आने लगी है।
शिंदे ने उद्धव ठाकरे का नाम लिए बिना कहा, “जो मरा हुआ है उसे मारने की क्या ज़रूरत? महाराष्ट्र की जनता ने आपको विधानसभा चुनावों में हरा दिया।”
उन्होंने 2019 में कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने को “मराठी मानुष के साथ विश्वासघात” बताया और कहा कि,
“हमें पता है कि कांग्रेस से गठबंधन का पाप किसने किया, जिसे बालासाहेब ठाकरे जीवन भर विरोध करते रहे। सत्ता के लिए मजबूरी दिखाने वालों ने महाराष्ट्र को धोखा दिया। यहां तक कि गिरगिट भी रंग बदलता है, लेकिन महाराष्ट्र ने गिरगिट को भी तेज़ी से रंग बदलते देखा है।”
शिंदे ने दावा किया कि 2024 के विधानसभा चुनाव में ठाकरे गुट का स्ट्राइक रेट केवल 23 प्रतिशत रहा है।
“जनता ने पहले ही उन्हें अलविदा कह दिया है। हमारे पास आत्मविश्वास है, उनके पास अहंकार। यही अहंकार उन्हें विनाश की ओर ले जा रहा है।”
उन्होंने ठाकरे गुट पर हिंदुत्व के नाम पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, “अगर आप कहते हैं कि आपने हिंदुत्व नहीं छोड़ा, तो ‘हिंदू हृदय सम्राट’ बालासाहेब ठाकरे को कहते हुए आपकी ज़ुबान क्यों लड़खड़ाती है? जो हिंदुत्व को गाली देते हैं, वीर सावरकर का अपमान करते हैं, उनकी गोद में जाकर क्यों बैठते हो?”
शिंदे ने आगे कहा, “राम मंदिर और अनुच्छेद 370 को हटाने का सपना बालासाहेब ठाकरे का था। उन्होंने कहा था कि अगर मुझे प्रधानमंत्री बना दो तो मैं ये दोनों काम कर दूंगा। लेकिन ये दोनों काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने किए। फिर आप उन्हीं को कोसते हो जिन्होंने बालासाहेब का सपना पूरा किया। ये कैसा हिंदुत्व है?”
उन्होंने उद्धव ठाकरे को सत्ता के लिए “मजबूर” करार देते हुए कहा, “बालासाहेब ने वोट डालने का अधिकार खो दिया, लेकिन हिंदुत्व नहीं छोड़ा। लेकिन जो खुद को बालासाहेब का वारिस कहते हैं, उन्होंने सत्ता के लिए हिंदुत्व और मराठी लोगों से समझौता कर लिया। महाराष्ट्र इसका गवाह है। अगर बालासाहेब होते तो वो ये सब बर्दाश्त नहीं करते।”
शिंदे ने कहा कि उनका गुट अंतिम सांस तक हिंदुत्व के साथ खड़ा रहेगा। “कुछ लोगों को चुनाव आते ही मराठी लोगों की याद आती है। उन्हें जनता ही सबक सिखाएगी। बालासाहेब के बाद आपने मराठी लोगों के लिए क्या किया, उसका हिसाब दें। आपकी नाकामी के कारण मराठी लोग मुंबई से विरार और नालासोपारा चले गए। मुंबई में पिछले 20 वर्षों में कौन सत्ता में था, ये सबको पता है।”
शिंदे के इस आक्रामक भाषण से साफ है कि महाराष्ट्र की सियासत में चुनावी गर्मी बढ़ गई है और हिंदुत्व की राजनीति एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है।