एससीओ बैठक में भारत का सख्त रुख: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पहलगाम हमले के उल्लेख के बिना संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान एक अहम कदम उठाते हुए उस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया जिसमें पहलगाम आतंकी हमले का कोई ज़िक्र नहीं था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारत की आतंकवाद के प्रति कड़ी नीति को अनदेखा करते हुए, इस दस्तावेज़ में बलूचिस्तान का उल्लेख किया गया, जिससे भारत पर अशांति फैलाने का परोक्ष आरोप लगाया गया।
बताया जा रहा है कि चीन, जो इस समय SCO की अध्यक्षता कर रहा है, ने पाकिस्तान के दबाव में पहलगाम हमले को बयान से हटवाया। यह घटनाक्रम भारत के उन पड़ोसी देशों के लिए सख्त संदेश के तौर पर देखा जा रहा है जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह इस समय चीन के किंगदाओ शहर में आयोजित एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने पहुंचे हैं। इस बैठक में रूस, चीन, पाकिस्तान सहित अन्य सदस्य देश क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। वर्ष 2001 में स्थापित SCO का उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें भारत समेत कुल 10 सदस्य देश शामिल हैं — बेलारूस, चीन, भारत, ईरान, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान।
आतंकवाद पर एकजुट होने का आह्वान
सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने कहा, “शांति और समृद्धि आतंकवाद और सामूहिक विनाश के हथियारों के साथ सह-अस्तित्व में नहीं रह सकती। आतंकवाद को बढ़ावा देने, शरण देने और इस्तेमाल करने वाले देशों को इसका खामियाज़ा भुगतना ही चाहिए। कुछ देश सीमा-पार आतंकवाद को नीति के रूप में अपनाते हैं, ऐसे दोहरे मापदंडों के लिए SCO में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।”
राजनाथ सिंह ने SCO सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने और इसे सामूहिक सुरक्षा और शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कट्टरता, उग्रवाद और अविश्वास को क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं बताया, जिनकी जड़ आतंकवाद में है।
पहलगाम आतंकी हमले पर भारत का दो टूक संदेश
उन्होंने कहा कि पहलगाम में आतंकवादियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को निशाना बनाकर हत्या की, और इस हमले की ज़िम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से संबद्ध The Resistance Front (TRF) ने ली है।
“यह हमला LeT के पहले के हमलों की तर्ज पर किया गया, और भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का जवाब हमले के तुरंत बाद हमारे कड़े कदमों में दिखा। हमने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं, और हम अपनी आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते रहेंगे,” उन्होंने कहा।
राजनाथ सिंह ने सभी आतंकवादियों, योजनाकारों, फाइनेंसरों और आतंक के संरक्षकों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि “हर प्रकार का आतंकवाद आपराधिक और अनुचित है और इसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए।”
भारत के रक्षामंत्री का यह कड़ा रुख न केवल SCO मंच पर भारत की स्पष्ट और मजबूत आतंकवाद-नीति को दर्शाता है, बल्कि यह पाकिस्तान और उसके सहयोगियों को भी स्पष्ट संकेत देता है कि भारत अब किसी भी स्तर पर आतंकवाद पर नरमी नहीं बरतेगा।