ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का फोकस रक्षा प्रणाली के आधुनिकीकरण पर, तीनों सेनाओं के लिए 15 साल की व्यापक रोडमैप तैयार

After Operation Sindoor, India's focus is on modernization of defense system, a comprehensive 15-year roadmap has been prepared for the three armiesचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत ने अपनी रक्षा नीति को एक नए मुकाम पर पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब भारत का फोकस सिर्फ पारंपरिक युद्ध से हटकर अगली पीढ़ी के हाई-टेक युद्ध की तैयारी पर है। इसी सोच के तहत भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने 15 साल का एक व्यापक और अत्याधुनिक मॉडर्नाइजेशन रोडमैप तैयार किया है, जिसका उद्देश्य भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना को तकनीकी रूप से वैश्विक मानकों पर तैयार करना है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि यह योजना केवल एक ‘विश लिस्ट’ नहीं है, बल्कि यह एक स्पष्ट और ठोस ‘स्टेटमेंट ऑफ इंटेंट’ है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत की सेना तकनीकी रूप से सक्षम, रणनीतिक रूप से एकीकृत और भविष्य के युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार हो। इस रोडमैप में इंटीग्रेशन, प्रशिक्षण, तकनीकी विकास और सबसे महत्वपूर्ण, स्वदेशीकरण शामिल है। इसके साथ ही इस रोडमैप में विशेष ध्यान दिया गया है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर बने और विदेशों पर निर्भरता को धीरे-धीरे कम किया जाए। सरकार का फोकस घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने और भारतीय उद्योगों को रक्षा क्षेत्र में भागीदार बनाने पर है।

इस रणनीति का मूल मंत्र है “आत्मनिर्भरता”, यानी भारत अब न केवल आयात पर निर्भरता घटाएगा, बल्कि अपनी रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति घरेलू तकनीक और निर्माण से करेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार ने भविष्य की कई बड़ी डिफेंस डील्स की योजना तैयार की है, जिनमें हाई-एंड सिस्टम्स, अगली पीढ़ी के प्लेटफॉर्म्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व साइबर क्षमताओं से युक्त उपकरण शामिल हैं।

भारत की भविष्य की प्रमुख रक्षा योजनाएं:

थलसेना (Indian Army) के लिए:

  • 1,800 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल्स (FRCVs) यानी अगली पीढ़ी के टैंक जिनमें उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम, एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित लक्ष्य भेदन क्षमता होगी।
  • बॉर्डर इंटीग्रेशन सिस्टम्स, जिसमें स्मार्ट फेंसिंग, ऑटोमेटेड सर्विलांस, और रियल-टाइम डेटा एनालिसिस शामिल होंगे।

भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए:

  • एक नया एयरक्राफ्ट कैरियर (जिसके स्वदेशी डिजाइन पर काम शुरू हो चुका है) जो फोर्थ जेनरेशन फाइटर जेट्स और UCAVs को ऑपरेट करने में सक्षम होगा।
  • 10 आधुनिक डेस्ट्रॉयर जहाज़ जो स्टील्थ तकनीक, लेजर वेपन, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम से लैस होंगे।
  • न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) प्रोजेक्ट के तहत स्वदेशी परमाणु पनडुब्बियों का निर्माण।

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के लिए:

  • 350 मल्टी-मिशन ड्रोन, जिनमें रीकॉनिसेंस, सर्विलांस और स्ट्राइक क्षमताएं होंगी।
  •   स्टील्थ UCAVs (Unmanned Combat Aerial Vehicles), जिन्हें दुश्मन के रडार से बचते हुए ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
  •  मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट डील, जिसमें 114 एडवांस फाइटर जेट्स की खरीद की योजना, जिसमें भारत फ्रांस, अमेरिका और रूस के विकल्पों पर विचार कर रहा है।
  • एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम (AEW&C) को स्वदेशी तकनीक से अपग्रेड करना।

तकनीकी क्षेत्रों में फोकस:

रक्षा मंत्रालय की इस रणनीति में केवल हथियार खरीदने पर ध्यान नहीं है, बल्कि पूरी सैन्य संरचना के ट्रांसफॉर्मेशन पर जोर दिया गया है। इसमें निम्नलिखित क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है:

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निर्णय प्रणाली
  • स्पेस-बेस्ड सर्विलांस और कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म
  • साइबर डिफेंस और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमताओं का विकास
  • स्वदेशी रोबोटिक सिस्टम और ऑटोनोमस व्हीकल्स
  • स्ट्रैटजिक पनडुब्बी बेड़े का विस्तार
  • हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक पर अनुसंधान और परीक्षण

निजी और सार्वजनिक रक्षा कंपनियों को भी मिलेगा बड़ा मौका

इस रोडमैप के तहत भारत के निजी रक्षा उद्यमों और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को बड़ी भूमिका सौंपी गई है। निजी रक्षा उद्यमों में, अदाणी डिफेंस एंड एयरोस्पेस, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, लार्सन एंड टुब्रो डिफेंस, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड जैसी रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों को अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा के स्तर पर प्रदर्शन का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही मेक इन इंडिया के तहत विदेशी कंपनियों के साथ जॉइंट वेंचर को भी बढ़ावा मिलेगा।

ऑपरेशन सिंदूर ने जहां भारत की सैन्य क्षमता और रणनीतिक सोच को वैश्विक स्तर पर मजबूती से पेश किया, वहीं अब यह दीर्घकालिक रोडमैप भारतीय सेनाओं को न केवल तकनीकी रूप से अत्याधुनिक बनाएगा, बल्कि भारत को एक सैन्य महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी एक निर्णायक कदम साबित होगा।

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