ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक संघर्ष विराम: अमेरिका-चीन के दावों में सियासी रस्साकशी, भारत ने रखे साफ तथ्य
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: पाकिस्तान समर्थित पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब दोनों देशों ने संघर्ष विराम की घोषणा की, तो वैश्विक मंच पर चार बड़े देशों – भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और चीन – के बयान सामने आए। हालांकि, इन बयानों में मेल नहीं था, और हर देश ने अपनी-अपनी भूमिका को प्रमुख बताने की कोशिश की।
अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्ष विराम की घोषणा का श्रेय खुद को देते हुए कहा कि यह अमेरिका की मध्यस्थता से संभव हुआ। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर लिखा, “भारत और पाकिस्तान ने अमेरिका की मध्यस्थता के बाद पूर्ण और तात्कालिक संघर्ष विराम पर सहमति जताई है।” भारत ने इस दावे से स्पष्ट दूरी बना ली और कहा कि यह संघर्ष विराम द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हुआ।
इस बीच चीन भी अपनी भूमिका को नजरअंदाज होता देख नाखुश नजर आया। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान द्वारा संकट के समय अमेरिका को प्राथमिकता देने से बीजिंग नाराज हो गया। इसके बाद पाकिस्तानी ड्रोन द्वारा संघर्ष विराम के बावजूद भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसपैठ देखी गई। हालांकि, चीन की ओर से जारी एक बयान के बाद यह घुसपैठ बंद हो गई। विश्लेषकों का मानना है कि यह बीजिंग को “प्रासंगिक” दिखाने की कोशिश थी।
भारत ने स्पष्ट किया कि यह संघर्ष विराम पाकिस्तान के डीजीएमओ द्वारा भारत के डीजीएमओ को किए गए फोन कॉल के बाद ही हुआ। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि 9 मई को 3:35 बजे हुई बातचीत में दोनों देशों ने 5 बजे से संघर्ष विराम पर सहमति जताई।
ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उन्होंने व्यापार को दबाव की रणनीति के तौर पर इस्तेमाल किया, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के साथ हुई सभी वार्ताओं में व्यापार का कोई जिक्र नहीं हुआ।
भारत ने जोर देकर कहा है कि वह केवल पाकिस्तान की ओर से हुई सैन्य उकसावे की प्रतिक्रियास्वरूप कार्रवाई कर रहा था और यदि पाकिस्तान रुकता है, तो भारत भी रुक जाएगा।