एकेडेमिक फार एक्शन एंड डेवलपमेंट ने किया दिल्ली के शिक्षा मंत्री के बयानों का विरोध
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: एकेडेमिक फार एक्शन एंड डेवलपमेंट, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा है कि वो दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री के बयान का पुरजोर विरोध करते हैं जिसमें दिल्ली सरकार के अनुदान को अनुपूरक सहायता घोषित किया गया है। साथ ही दिल्ली सरकार के 12 कालेजों को चलाने के लिए छात्रों की फीस को प्रमुखता दी गयी है।
एकेडेमिक फार एक्शन एंड डेवलपमेंट की ओर से एक प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा गया है कि मंत्री जी न केवल लोकतांत्रिक लोकाचार का पालन नहीं कर रहे हैं बल्कि नैतिक मानदंडों से भी दूर हुए वे पिछले 5 महीनों से कालेजों के अनुदान को रोके जाने को प्रमाणित करने का प्रयास कर रहे हैं। क्या पिछले 5 महीनों से हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन को रोककर और वेतन के उनके बुनियादी अधिकारों को नकारकर पारदर्शिता लाई जा सकती है? महत्त्वपूर्ण यहाँ यह भी है कि यह सब खासकर महामारी के समय में किया जा रहा है। जीबी गठन को फंडिंग से जोड़ना क्या जायज हो सकता है?
“मंत्री द्वारा दिया गया बयान अंतर्विरोधों से भरा हुआ है। उनका कहना है कि ऑडिट की कुछ शुरुआती टिप्पणियां हैं, लेकिन यहीं मीडिया ट्रायल आधार है। यह निर्णय सुनाए जाने से पहले लिंचिंग के समान है। जहां तक पिछले पांच वर्षों में इन कॉलेजों के बजट आवंटन में बढ़ोतरी का संदर्भ है, इसका कारण सरकार के निर्देशों के आधार पर ही राजस्व व्यय में वृद्धि करना है। इसके अतिरिक्त दिल्ली सरकार की उचित मंजूरी मिलने के बाद कॉलेजों में नए कोर्स भी शुरू हो गए हैं। इसलिए बढ़े हुए बजट को भ्रष्टाचार से जोड़ना यहाँ जरूरी नहीं है। इन कॉलेजों में समय-समय पर तीन तरह का ऑडिट होता है। पहला इंटरनल ऑडिट है, जो संबंधित कॉलेजों द्वारा किया जाता है। दूसरा है दिल्ली सरकार का इएलएफए ऑडिट और तीसरा एजीसीआर ऑडिट, जो सभी कॉलेजों में नियमित अंतराल पर सीएजी द्वारा किया जाता है। शिक्षण संस्थानों के आडिट में अनियमितता होने पर कार्यवायी होनी चाहिए, परन्तु इसके लिए संस्थानों को अनुदान से वंचित कर देना उचित नहीं दिखता है,” एकेडेमिक फार एक्शन एंड डेवलपमेंट ने कहा।
“माननीय मंत्री जी संभवतः इस तथ्य से अवगत नहीं है कि कॉलेज की छात्र निधि उस कालेज के छात्रों द्वारा और छात्रों के लिए ही होती है। यह निधि साल दर साल जमा होती रहती है और विश्वविद्यालय समुदाय ने हमेशा इस निधि के उपयोग को छात्रों संबंधित मामलों तक ही सीमित रखा है और इसके अतिरिक्त किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसका उपयोग किए जाने का विरोध किया है। महामारी समय का उपयोग मंत्री द्वारा संसाधन जुटाने के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, जो एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस और दिव्यांग छात्रों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। बयान से यह भी पता चलता है कि मंत्री द्वारा एनईपी 2020 का विरोध केवल शब्दों तक सीमित है और उनके कार्यों में प्रतिबद्धता का अभाव है,” एकेडेमिक फार एक्शन एंड डेवलपमेंट ने कहा।
एकेडेमिक फार एक्शन एंड डेवलपमेंट ने दिल्ली सरकार के 12 कॉलेजों के फंड को तत्काल जारी करने की मांग की है साथ ही सभी शिक्षकों से अपील किया है कि वे अगले 2 दिनों अर्थात 17 और 18 सितंबर 2020 तक डूटा हड़ताल को जारी रखें।