भारत में महिला फुटबॉलरों की प्रेरणा हैं अदिति चौहान
राकेश थपलियाल
मेरा लक्ष्य लड़कियों में फुटबॉल को बढ़ावा देना है। मेरी अपनी अकादमी ‘शी किक्स’ है और फिलहाल हमने वर्कशॉप से शुरुआत की है। हम स्कूलों में जाते हैं, बच्चों से बात करते हैं और उन्हें फुटबॉल में आगे आने के लिए प्रेरित करते हैं। इस अकादमी को शुरू करने का विचार मेरे मन में तब आया था जब मैं देखती थी कि दिल्ली में लड़कियों को खेलने के लिए जगह नहीं मिलती है। मैं जब वेस्टहैम में खेल रही थी तो उस समय स्टूडेंट वीजा पर वहां गई थी इसलिए प्रोफेशनल नहीं खेल सकी। लेकिन वहां खेलने से मुझे काफी अनुभव मिला और मेरे खेल में सुधार आया। भारत में मैं इंडिया रश क्लब की तरफ से खेलती हूं। मैंआईडब्ल्यूएल के पहले सत्र में नहीं खेल सकी। भारतीय महिला फुटबॉल को अभी और आगे ले जाने की जरूरत है और इसके लिए टीम को पूरा समर्थन मिलना चाहिए। मेरा सपना था कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधत्व करूं। वेस्टहैम जाकर भी मेरा एक सपना पूरा हुआ। मैंने हमेशा अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि इसके लिए मुझे अपने सामाजिक जीवन का त्याग भी करना पड़ा क्योंकि खिलाड़ी बनने के लिए आपको पूरा संघर्ष करना पड़ता है। — अदिति चौहान, भारतीय महिला फुटबॉलर
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय महिला फुटबाल के स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। भारतीय महिला एवं लड़कियों की टीम का प्रदर्शन लगातार सुधरता जा रहा है। भारतीय महिला लीग (आईडब्ल्यूएल) के शुरू होने का भी भारतीय खिलाड़ियों को फायदा हुआ है। गोवा में वेदांता ने लीग शुरू की है जबकि महाराष्ट्र के कोल्हापुर में भी महिलाओं के लिए लीग शुरू की गई है।
भारतीय महिला फुटबॉलरों में सबसे जाना पहचाना नाम है अदिति चौहान का। 27 वर्षीय अदिति इंग्लिश लीग में खेलने वाली देश की पहली महिला फुटबॉलर हैं। एक शानदार गोलकीपर अदिति खिलाड़ी होने के साथ-साथ यूके की लॉगब्रो यूनिवर्सिटी से स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में एमएससी भी हैं। वह 2015 से 2018 तक वेस्टहैम महिला टीम की सदस्य रही हैं। वह खिलाड़ी होने के साथ-साथ महिला फुटबॉल को बढ़ावा देने में जुटी हैं। इसके लिए वह स्कूलों में जाकर लड़कियों को फुटबॉल खेलने के लिए प्रेरित करती हैं। अदिति का मानना है कि महिला फुटबॉल को बढ़ावा देने में मीडिया की भी बड़ी भूमिका है। वह कहती हैं कि जब भारतीय नेशनल टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुकाबले जीतेगी तो मीडिया में भी उसे कवरेज मिलेगी और भारतीय महिला फुटबॉल का विकास होगा। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने खेलना शुरू किया था तो नहीं पता था कि भारत की कोई नेशनल टीम भी है।’ अदिति को उनके योगदान के लिए देश-विदेश में सम्मानित किया जाता है। वह अनेक खिलाड़ियों की आदर्श भी बनी हुई हैं।
उनका कहना है, ‘मैं भारतीय महिला फुटबॉल टीम की उपकप्तान हूं और मेरा लक्ष्य लड़कियों में फुटबॉल को बढ़ावा देना है। मेरी अपनी अकादमी ‘शी किक्स’ है और फिलहाल हमने वर्कशॉप से शुरुआत की है। हम स्कूलों में जाते हैं, बच्चों से बात करते हैं और उन्हें फुटबॉल में आगे आने के लिए प्रेरित करते हैं। इस अकादमी को शुरू करने का विचार मेरे मन में तब आया था जब मैं देखती थी कि दिल्ली में लड़कियों को खेलने के लिए जगह नहीं मिलती है। मैं जब वेस्टहैम में खेल रही थी तो उस समय स्टूडेंट वीजा पर वहां गई थी इसलिए प्रोफेशनल नहीं खेल सकी। लेकिन वहां खेलने से मुझे काफी अनुभव मिला और मेरे खेल में सुधार आया। भारत में मैं इंडिया रश क्लब की तरफ से खेलती हूं। मैंआईडब्ल्यूएल के पहले सत्र में नहीं खेल सकी।’
आदिति का कहना है कि खिलाड़ी बनने के लिए संघर्ष करना पड़ता है लेकिन लड़कियों में संघर्ष की ताकत होती है। उन्होंने कहा, ‘भारतीय महिला फुटबॉल को अभी और आगे ले जाने की जरूरत है और इसके लिए टीम को पूरा समर्थन मिलना चाहिए। मेरा सपना था कि मैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधत्व करूं। वेस्टहैम में खेलकर भी मेरा एक सपना पूरा हुआ। मैंने हमेशा अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि इसके लिए मुझे अपने सामाजिक जीवन का त्याग भी करना पड़ा क्योंकि खिलाड़ी बनने के लिए आपको पूरा संघर्ष करना पड़ता है।’
एक स्टडी से पता चला है कि 51 प्रतिशत से अधिक दिल्लीवासी मध्यरात्रि के बाद सोते हैं और लगभग 35 प्रतिशत प्रतिदिन छह घंटे से कम नींद लेते हैं। दुर्भाग्यवश, मेट्रो में रहने वाले 8,000 भारतीयों के अध्ययन के अनुसार यह खतरनाक प्रवृत्ति केवल दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देशभर का यही हाल है। आदिति ने कहा, ‘एक अच्छी नींद के स्वास्थ्य के लिहाज से कई फायदे हैं एक एथलीट के जीवन में नींद की महत्वपूर्ण भूमिका है, एक अच्छी नींद वाली दिनचर्या से खुद मेरे खेल जीवन की सफलता में बड़ी मदद मिली है। फुटबॉल एक बहुत चुस्ती-फुर्ती की मांग करने वाला खेल है, जिसमें एकाग्रता और फिटनेस बहुत मायने रखते हैं। एक थके हुए या नींद से हारे हुए शरीर के साथ आप ऐसे खेलों में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे। इसलिए, पर्याप्त और गुणवत्ता से भरी नींद जरूरी है क्योंकि यह शरीर और मन को तरोताजा करती है, जिससे कोई भी शख्स अपने काम में अपना सर्वश्रेष्ठ दे पाता है।’ इसमें दो राय नहीं कि अदिति के प्रयासों से भारतीय महिला फुटबॉलरों को सुविधाएं और धन दोनों मिलेंगे। जरूरत इस बात की है कि देश का हर राज्य इन्हें बढ़ावा देने के लिए स्कूल और कॉलेज स्तर पर महिला फुटबॉलरों को बेहतर कोचिंग उपलब्ध कराए।
(लेखक ‘खेल टुडे’ पत्रिका के संपादक हैं)