फुटबाल दिल्ली: शाजी और बजाज भिड़ंत की अटकलबाजी

राजेंद्र सजवान

दिल्ली की फुटबाल के लिए 5 अगस्त 2020 का दिन इसलिए ऐतिहासिक बताया जा रहा है क्योंकि दिल्ली फुटबाल क्लब(दिल्लीएफसी) ने पंजाब के मिनर्वा अकादमी फुटबाल क्लब से हाथ मिलाया है और एक करार किया है, जिसके तहत स्थानीय खिलाड़ियों और कोचों को अत्याधुनिक ट्रेनिंग देने और उन्हें बेहतर खिलाड़ी और कोच बनाने में मदद की जाएगी। मिनर्वा अकादमी एफसी के संस्थापक रंजीत बजाज ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि दिल्ली में प्रतिभावान खिलाड़ियों की भरमार है और यही आकर्षण उन्हें राजधानी में खींच कर लाया है| उनका उदेश्य दिल्ली की फुटबाल के स्तर को सुधारना है।

लेकिन मिनर्वा के दिल्ली प्रवेश के बाद से स्थानीय क्लबों, खिलाड़ियों और ख़ासकर क्लब अधिकारियों में हड़कंप सा मच गया है| दिल्ली साकार एसोसिएशन के अध्यक्ष शाजी प्रभाकरण के करीबीयों को दाल में कुछ काला नज़र आ रहा है। उन्हें लगता है कि एक प्रतिद्वंद्वी धड़ा तैयार किया जा रहा है, जिसकी अगुवाई फिलहाल उपाध्यक्ष और दिल्ली एफसी के हेमचंद कर रहे हैं। हेम चंद के अनुसार रंजीत बजाज दिल्ली की फुटबाल में बड़ा बदलाव चाहते हैं और अपनी अकादमी की मार्फत छोटी उम्र के स्थानीय खिलाड़ियों को ट्रेंड करने का इरादा रखते हैं| लेकिन कुछ क्लब अधिकारी कह रहे हैं कि वर्तमान अध्यक्ष शाजी के खिलाफ मज़बूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में बजाज से उम्मीद की जा रही है। सूत्रों की मानें तो अगले साल होने वाले चुनावों के लिए बाक़ायदा तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। कुछ क्लब अधिकारी बाक़ायदा अंबेडकर स्टेडियम में तंबू गड़ चुके हैं और दिल्ली के अखाड़े में केरल और पंजाब की संभावित भिड़ंत के लिए योजना बनाने में जुट गए हैं।

उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाओं में केरल मूल के नये चेहरे के रूप में शाजी प्रभाकरण का उदय हुआ था। तारीफ की बात यह है कि कई सालों तक राजधानी की फुटबाल का सुख भोग करने वाले ही शाजी के पक्ष में थे लेकिन तत्पश्चात सब कुछ उल्टा पुल्टा हो गया है। जो खिलाफ थे, उनमे से ज़्यादातर अध्यक्ष की गोद में बैठे हैं और जिन्होने बाहरी अध्यक्ष के लिए माहौल बनाया उन्हें बेदखल कर दिया गया है। पक्ष-विपक्ष के पदाधिकारी और क्लब अधिकारी शाजी के बारे में भले ही अलग राय रखते हों, इतना तय है कि सभी उसे शातिर मानते हैं। यही कारण है कि कुछ लोग यहाँ तक कह रहे हैं कि बजाज द्वारा दिल्ली के क्लब को खरीदने के पीछे शाजी प्रभाकरन की कोई रणनीति हो सकती है। अर्थात इस हाथ दे उस हाथ ले वाली चाल चली जा रही है, जिसके तहत ऐन मौके पर बजाज द्वारा शाजी का समर्थन किया जा सकता है और दूसरी बार शाजी के अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।

देश के अन्य खेलों की तरह दिल्ली में फुटबाल भी लगभग ठप्प पड़ीं है लेकिन सोशल मीडिया पर स्थानीय फुटबाल को लेकर जम कर उपदेश दिए जा रहे हैं, एक दूसरे को ज्ञान बाँटा जा रहा है। एक ग्रुप कह रहा है कि पिछले दो तीन सालों में खेल के हित में कोई काम नहीं हुआ और दिल्ली का फुटबाल ढाँचा पूरी तरह बिगड़ चुका है। जवाब में अध्यक्ष कहते हैं कि आरोप लगाने वाले वे लोग हैं जिन्हें ग़लत काम करने का मौका नहीं मिल रहा।ऐसे लोग छटपटा रहे हैं और चाहते हैं कि दिल्ली की फुटबाल को फिर से जंगल राज बना दिया जाए। उनके अनुसार कुछ कमियाँ हो सकती हैं, जिन्हें सुधारने में थोड़ा वक्त लग सकता है। रंजीत बजाज की उपस्थिति को शाजी गंभीरता से नहीं लेते और मानते हैं कि वह यदि दिल्ली की फुटबाल की प्रगति में योगदान देना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। उन्हें ऐसे ही लोगों की ज़रूरत है, जिन्हें फुटबाल की समझ हो और बेहतर करने की इच्छाशक्ति रखते हों।

एक सवाल के जवाब में दिल्ली एफसी के अधिकारी कहते हैं कि उनका लक्ष्य क्लब और अकादमी को बेहतर स्वरूप देना है ताकि राजधानी की फुटबाल अपने पुराने मान सम्मान को फिर से अर्जित कर सके ।उन्हें रंजीत बजाज की परशेवर अप्रोच पर भरोसा है।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और विश्लेषक हैं। ये उनका निजी विचार हैचिरौरी न्यूज का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं है।आप राजेंद्र सजवान जी के लेखों को  www.sajwansports.com पर  पढ़ सकते हैं।)

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