अमेरिका की रणनीति: शांति समझौते के तहत क्राइमिया रूस को देने पर विचार, यूक्रेन ने जताया कड़ा विरोध

America's strategy: Considering giving Crimea to Russia under a peace agreement, Ukraine expressed strong oppositionचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: अमेरिका एक बार फिर यूक्रेन-रूस युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वॉशिंगटन एक व्यापक शांति समझौते के तहत यूक्रेनी क्षेत्र क्राइमिया पर रूस के नियंत्रण को मान्यता देने पर विचार कर रहा है। यह संभावित रियायत उस समय सामने आई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने संकेत दिए हैं कि अगर जल्द प्रगति नहीं हुई तो अमेरिका शांति वार्ता से पीछे हट सकता है।

क्राइमिया पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था और एक विवादास्पद जनमत संग्रह कराया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अवैध बताते हुए मान्यता देने से इनकार कर दिया था। यदि अमेरिका रूस की संप्रभुता को मान्यता देता है तो यह न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों को चुनौती देगा, बल्कि बलपूर्वक किसी क्षेत्र को हड़पने की नीति को भी वैध ठहराएगा। हालांकि, यह कदम रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक बड़ी जीत मानी जाएगी, जो लंबे समय से क्राइमिया पर अंतरराष्ट्रीय मान्यता की मांग कर रहे हैं।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मुद्दे पर अंतिम फैसला अब तक नहीं लिया गया है और व्हाइट हाउस तथा स्टेट डिपार्टमेंट की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि “जितना अधिक समय यह खिंचता है, उतना ही हमारे शामिल होने को सही ठहराना मुश्किल हो जाता है।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि दोनों पक्ष प्रक्रिया में देर करते रहे, तो अमेरिका शांति समझौते को आगे बढ़ाने का प्रयास बंद कर देगा।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने दोहराया कि यूक्रेन कभी भी अपनी भूमि को रूस का हिस्सा मानने को तैयार नहीं है। कीव में गुरुवार को बोलते हुए ज़ेलेंस्की ने अमेरिका के दूत स्टीव विटकॉफ़ पर रूस-समर्थक रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा, “हम कभी भी यूक्रेनी भूमि को रूसी नहीं मानेंगे। किसी भी तरह की वार्ता से पहले संघर्षविराम होना अनिवार्य है।”

इस बीच, शांति वार्ता पर्दे के पीछे तेज़ी से चल रही हैं। अमेरिका ने हाल ही में पेरिस में फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और यूक्रेन के अधिकारियों के साथ बैठक कर एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसके तहत मौजूदा संघर्ष को स्थिर किया जा सकता है और यदि स्थायी युद्धविराम होता है तो रूस पर लगे प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटाया जा सकता है। इस योजना के तहत यूक्रेन की नाटो सदस्यता की आकांक्षाओं को वार्ता से बाहर रखने का प्रस्ताव भी शामिल है, जो रूस की एक पुरानी मांग रही है।

पेरिस में एक निजी बैठक के दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अमेरिकी दूत विटकॉफ़ ने शांति समझौते की स्थिति में शांति रक्षक बलों और संघर्षविराम की निगरानी व्यवस्था पर भी चर्चा की। हालांकि रूस फिलहाल आंशिक संघर्षविराम के पक्ष में नहीं दिख रहा है। हाल ही में क्रेमलिन ने यूक्रेन की ऊर्जा संरचना पर हमलों को लेकर 30-दिवसीय संघर्षविराम समाप्त कर दिया है और यूक्रेनी शहरों पर हमले अब भी जारी हैं। पिछले सप्ताह सुमी शहर पर मिसाइल हमले में 35 लोगों की जान चली गई।

इन सबके बीच कीव का मानना है कि जब तक रूस भी हमले रोकने के लिए प्रतिबद्ध नहीं होता, तब तक कोई भी सार्थक वार्ता संभव नहीं है।

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