उत्तराखंड: वक्फ से मुक्त हुए जमीन पर बनेंगे पीएम आवास, मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा लाभ

Uttarakhand: PM houses will be built on land freed from Waqf, Muslim women will get benefitचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन कानून, 2025 को लेकर देशभर में जागरूकता अभियान शुरू होने से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और वक्फ संशोधन समिति के सदस्य दुश्यंत गौतम ने शुक्रवार को देहरादून में एक कार्यशाला में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि ग़ैरक़ानूनी कब्जों से मुक्त कराई गई वक्फ ज़मीन का इस्तेमाल प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों और मुस्लिम महिलाओं के लिए किया जाएगा।

इस मौके पर आयोजित मुस्लिम महिलाओं की कार्यशाला में गौतम ने कहा कि मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाया, तीन तलाक कानून बनाया और सीएए लागू किया—अब वक्फ कानून में संशोधन के माध्यम से मुस्लिम महिलाओं और गरीब तबकों को सशक्त किया जाएगा।

गौतम ने कहा, “1995 और 2013 में कांग्रेस सरकारों द्वारा की गई भूलों को वक्फ संशोधन कानून सुधार रहा है। अब वक्फ संपत्तियों का सही इस्तेमाल होगा। उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर उत्तराखंड में भी खाली कराई गई जमीनों पर विधवाओं, तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं और अनाथ बच्चों के लिए पीएम आवास बनाए जाएंगे। इसके अलावा अस्पताल, स्कूल और सामुदायिक केंद्र जैसे जनोपयोगी संस्थान भी विकसित किए जाएंगे।”

कार्यक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब वक्फ संशोधन कानून को लेकर कुछ वर्गों में विरोध देखा जा रहा है। नए संशोधन में 1995 के वक्फ अधिनियम की ‘यूजर के आधार पर वक्फ’ वाली व्यवस्था में बदलाव किया गया है, जिसके तहत पहले किसी जमीन पर लंबे समय तक धार्मिक या सामाजिक उपयोग के आधार पर उसे वक्फ घोषित किया जा सकता था।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि बीजेपी वक्फ जागरूकता अभियान “गरीब का हक, सिर्फ गरीब को” के संदेश के साथ शुरू कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धार्मिक स्वतंत्रता से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी, लेकिन राज्य में वक्फ बोर्ड की हर एक इंच ज़मीन की समीक्षा की जाएगी और उसका संरक्षण किया जाएगा।

धामी ने कहा कि राज्य की 5,700 से अधिक वक्फ संपत्तियों की गहन जांच की जाएगी, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि इनका लाभ वास्तव में गरीब मुस्लिम समुदाय, विशेषकर महिलाओं और वंचित वर्गों तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य किसी समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों के न्यायसंगत उपयोग की ओर है।

बीजेपी द्वारा समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत बहुविवाह और ‘हलाला’ जैसे प्रावधानों पर रोक को भी मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में बताया गया है। हाल ही में तीन तलाक मामले की याचिकाकर्ता शायरा बानो को उत्तराखंड महिला आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। 2016 में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी।

वहीं, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष शादाब शम्स ने भी इस बात को स्वीकार किया कि कई बार इन कार्यवाहियों के शिकार स्वयं अल्पसंख्यक समुदाय के लोग ही होते हैं, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है।

इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा डसौनी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने 2014 के वादों को आज तक पूरा नहीं किया और अब चुनावी मौसम में भावनात्मक मुद्दों को उठाकर लोगों का ध्यान भटकाया जा रहा है।a

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