लोक और जनजातीय कला पेंटिंग पर एक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी “रीतियों से कलाकृतियों का सफर” का हुआ उद्घाटन
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: कपड़ा मंत्रालय के सचिव श्री उपेंद्र प्रसाद सिंह ने आज, ओडी आर्ट सेंटर के सहयोग सेविकास आयुक्त कार्यालय, हस्तशिल्पद्वारा राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय तथा हस्तकला अकादमी में आयोजित लोक और जनजातीय कला पेंटिंगपर एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी “रीतियों से कलाकृतियोंका सफर”का उद्घाटन किया। इसमें सात देशों की 125 लोक और जनजातीय पेंटिंग प्रदर्शनी के लिए रखी गयी हैं जिनमें भारत की 102, दक्षिण कोरिया की आठ, इंडोनेशिया की एक, म्यांमार की दो, श्रीलंका की दो, बांग्लादेश की तीन और नेपाल की सात पेंटिंग शामिल हैं। इस विशेष प्रदर्शनी (18 अगस्त से तीन सितंबर तक) को ओडी आर्ट सेंटर के सहयोग से नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय शिल्प संग्रहालय और हस्तकला अकादमी द्वारा क्यूरेट किया गया है।
इस अवसर पर श्री सिंह ने कहा कि इस तरह की प्रदर्शनियां कलाकारों को प्रोत्साहित करती हैं और कला प्रेमियों को एक ही स्थान पर कला के विभिन्न रूपों को देखने तथाउनका आनंद लेने में सक्षम बनाती हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय हस्तशिल्प बहुत लोकप्रिय हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए सरकार ने विकास आयुक्त कार्यालय, हस्तशिल्पकी स्थापना की है। हस्तशिल्प देश भर में क्लस्टर शिल्पकारों द्वारा बनाए गए उत्पादों को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से हस्तशिल्प प्रदर्शनी, अन्य प्रदर्शनियों का आयोजन करके शिल्पकारों को बढ़ावा देनेका काम करता है और उनके सम्मान के लिए पुरस्कार समारोह आयोजित करता है ताकि उनकी उत्कृष्ट कला को पहचान मिले।
दीवारों को सजाने (भित्तिचित्र) की सदियों पुरानी परंपराएं विभिन्न समुदायों की प्रकृति और स्थानीय परंपराओं के अनुभव को व्यक्त करती हैं। विविध रूपों में लोक और जनजातीय पेंटिंग ने कलाकृतियां का रूप धारण कर लिया है। इस तरह की कला में अद्वितीय चरित्र और विशेषताएं होती हैं जो कला के रूप में विविधीकरण को दर्शाती हैं और ये हमेशा से जीवित परंपराओं का हिस्सा रही हैं। इसलिए, लोगों को इनके माध्यम से उस समय की जीवनशैली को देखने का मौका मिलता है जब ये प्रचलित थीं।
दीवारों और फर्शों को सजाने का सिलसिला आज भी जारी है। आजकल, इन कला रूपों को विभिन्न सामग्रियों और कैनवास पर स्थानांतरित कर दिया गया है ताकि वेज्यादा लोगों तक पहुंच सकें और उनकी विश्व स्तर पर व्यवहार्यता बढ़े।
प्रदर्शनी को एक गांव के विषय के अंतर्गत भूगोल, रीति, प्रकृति, लोककथाओं, समाज और धर्म की श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इन उत्कृष्ट कलाकृतियों को संग्रहालय के संग्रह में संरक्षित किया गया है जो वर्तमान और भविष्य के कलाकारों के लिए एक प्रेरणा है।