भारत में बहुआयामी गरीबी में बड़ी गिरावट, 2013-14 से 2022-23 के बीच 24.82 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले: नीति आयोग
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारत में बहुआयामी गरीबी (Multidimensional Poverty) में पिछले दशक में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है। संसद में बुधवार को योजना राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि 2013-14 में देश की 29.17% आबादी बहुआयामी गरीबी में जीवन बिता रही थी, जो 2022-23 तक घटकर 11.28% रह गई है। इस अवधि के दौरान लगभग 24.82 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकलने में सफल रहे हैं।
मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि नीति आयोग द्वारा जारी ‘नेशनल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स: ए प्रोग्रेस रिव्यू 2023’ के अनुसार, 2015-16 से 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी में रहने वाली जनसंख्या का प्रतिशत 24.85% से घटकर 14.96% हो गया। इस दौरान लगभग 13.5 करोड़ लोगों ने गरीबी से छुटकारा पाया।
सरकार ने 2021 में राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) तैयार किया, जो स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर जैसे प्रमुख आयामों में 12 संकेतकों — पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल उपस्थिति, रसोई गैस/ईंधन, शौचालय, पीने का पानी, बिजली, आवास, बैंक खाता और संपत्ति — पर आधारित है। यह सूचकांक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या के साथ-साथ उनकी अभाव की तीव्रता को भी मापता है।
सरकार ने देश में जीवन स्तर सुधारने हेतु कई योजनाएं लागू की हैं। मंत्री ने जानकारी दी कि अब तक 16 करोड़ घरों में नल का जल कनेक्शन, 5 करोड़ से अधिक गरीबों को पक्के मकान, और 12 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पहले संसद में कहा था कि “75 साल की आज़ादी के बाद भी 75% घरों में नल का पानी नहीं था। हमारी सरकार ने केवल 5 वर्षों में 12 करोड़ घरों तक नल का जल पहुँचाया है।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि अब तक 4 करोड़ से अधिक गरीबों को आवास और 12 करोड़ से अधिक महिलाओं को शौचालय की सुविधा देकर उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सरकार सफल रही है।