ब्रिक्स देशों ने खगोलशास्त्रियों के बीच सहयोग बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों ने ब्रिक्स खगोलविज्ञान कार्य समूह की सातवीं बैठक में देशों के खगोलशास्त्रियों के बीच सहयोग बढ़ाने के महत्व पर विशेष जोर दिया।

ब्रिक्स 2021 कैलेंडर में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इनोवेशन की दिशा में, भारत ने ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की ब्रिक्स खगोलविज्ञान कार्य समूह (बीएडब्ल्यूजी) की सातवीं बैठक के साथ इन देशों के खगोलशास्त्रियों की 19 से 20 मई तक ऑनलाइन माध्यम से बैठक की मेजबानी की।

भारत की तरफ से इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए), पुणे और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार ने बैठक को संचालित किया। इसमें सभी पांच ब्रिक्स देशों के 50 से अधिक प्रतिभागियों की भागेदारी देखने को मिली जिसमें शोधकर्ता, शिक्षाविद और सरकारी अधिकारी शामिल थे।

प्रतिनिधियों ने रणनीतिक और परिचालन मामलों पर विचार-विमर्श किया और ब्रिक्स देशों में मौजूदा टेलीस्कोप की नेटवर्किंग और आंकड़ों का क्षेत्रीय तंत्र बनाने की सिफारिश की। वे इस क्षेत्र में प्रमुख परियोजना विकसित करने पर सहमत हुए। कार्य समूह के सदस्यों ने इस क्षेत्र में भविष्य के अनुसंधान की दिशा के भी संकेत दिये जैसे इंटेलीजेंट टेलीस्कोप का नेटवर्क और डेटा नेटवर्क का निर्माण, ब्रह्मांड में होने वाली क्षणिक खगोलीय घटनाओं का अध्ययन, बिग डेटा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बेहतर मल्टी-वेवलेंथ टेलीस्कोप वेधशाला की वजह से उत्पन्न होने वाले बेहद विशाल आंकड़ों को संसाधित करने के लिये मशीन लर्निंग एप्लीकेशन आदि।

बीएडब्लूजी जो ब्रिक्स सदस्य देशों को खगोल विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, ने सिफारिश की है कि हर देश में ध्यान इस पर केंद्रित होना चाहिये कि उस देश के द्वारा किये जा रहे कार्यों के वैज्ञानिक नतीजों को सामने रखा जाये। इससे जब भी ब्रिक्स की धन उपलब्ध कराने वाली सस्थायें फंडिंग के अवसरों का ऐलान करेंगी. तब प्रमुख परियोजना को स्थापित करने के लिए आर्थिक मदद पाने में सहायता मिलेगी। बीएडब्लूजी ने ब्रिक्स देशों के खगोलशास्त्रियों की बीच सहयोग बढ़ाने के महत्व को माना।

श्री एस के वार्ष्णेय, साइंटिस्ट जी एवं प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग ने भारत (डीएसटी) के दृष्टिकोण को पेश किया वहीं प्रत्येक ब्रिक्स देश के प्रमुख वैज्ञानिक शोधकर्ताओं ने अपनी देश की रिपोर्ट पेश की जिसमें शोध गतिविधियों और उनके द्वारा अनुसंधान के लिये बनाये गये बुनियादी ढांचों को रेखांकित किया गया।

ब्रिक्स देशों से जिन प्रमुख वैज्ञानिक संस्थानों ने हिस्सा लिया उनमें शामिल थे टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बैंगलुरू, नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स पुणे, भारत से दिल्ली यूनिवर्सिटी; नेशनल लैब्रटॉरी ऑन एस्ट्रोफिजिक्स; ब्राजीलियन सेंटर फॉर रिसर्च इन फिजिक्स. ब्राजील का नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च, द इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी ऑफ द रशियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, रूस; नेशनल एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेटरीज, चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज, चीन; द अफ्रीकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी, दक्षिण अफ्रीका।

भारत ने जनवरी 2021 से ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण की है, ब्रिक्स 2021 कैलेंडर के हिस्सें के रूप में करीब 100 कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा जिसमें मंत्री स्तरीय बैठकें, वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक और क्षेत्रीय बैठक/सम्मेलन शामिल होंगे।

 

 

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