आकाशवाणी पर छाएगा बच्चों के फेवरेट “रस्किन बांड” का जादू
शिवानी रजवारिया
नई दिल्ली: अपनी रोचक रोमांचक कहानियों से बच्चों के दिलों पर आज भी राज करने वाले लेखक “रस्किन बॉन्ड” 86 साल की उम्र में आकाशवाणी पर अपनी कहानियों से जादू दिखाएंगे। रस्किन बॉन्ड की कहानियों के बच्चों से लेकर बॉलीवुड-हॉलीवुड तक के लोग मुरीद हैं। जिनकी कहानियां बच्चों के दिलों में एक खास जगह रखती हैं।
40 के दशक में जब बच्चों के पास किताबों के सिवा कोई दूसरा सहारा नहीं होता था तब रस्किन बॉन्ड की शरारत भरी कहानियां एकमात्र सहारा थी जो बच्चों को एक नई दुनिया में ले जाती थीं।
रस्किन बॉन्ड “बॉन्डिंग ओवर द रेडियो” से अपनी प्रस्तुति का आगाज करेंगे आकाशवाणी ने शुक्रवार को ट्वीट करके यह जानकारी दें दी है कि रस्किन बॉन्ड रेडियो पर अपनी लघु कथाएं वह कहानियां का जादू लाने के लिए पूरी तरह तैयार है।ऑल इंडिया रेडियो पर रस्किन अपनी कुछ चर्चित प्रसिद्ध कहानियां सुनाएंगे। यह कहानियां बेहद रोमांचक सफर शुरू करेंगी जो बुजुर्गों को अपने बचपन में लेकर जाएंगी, आज के बच्चों को एक नई दुनिया दिखाएंगी, तो युवा पीढ़ी को रस्किन बॉन्ड की जादुई दुनिया की सैर पर लेकर जाएंगी।
कौन है रस्किन बांड?
रस्किन बॉन्ड एक मशहूर भारतीय लेखक हैं जो बच्चों की कहानियों को लिखने के लिए जाने जाते हैं। रस्किन बॉन्ड अब तक 500 से ज्यादा कहानियां, उपन्यास, संस्मरण कविताएं लिख चुके हैं जिसमें ज्यादातर बच्चों की रोचक कहानियां शामिल है। “रस्टी” और “अंकल कैन” बाल साहित्य उनकी लोकप्रिय कहानियां में से हैं।
बच्चों के दिल की तह तक पहुंच कर अपनी कहानियों से उनके दिल में घर करने वाले रस्किन बांड का जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था। बॉन्ड का बचपन किताबों के सहारे ही बीता।4 साल की उम्र में उनके माता-पिता का तलाक हो गया जिस कारण वह अकेले हो गए और इस अकेलेपन का साथी उनकी किताबें बनी। पढ़ने का बेहद शौक था। रविंद्र नाथ टैगोर, रूडयार्ड किपलिंग और चार्ल्स डिकेंस को पढ़ना उन्हें बहुत पसंद था। शिमला से पढ़ाई पूरी करने के बाद 17 साल की उम्र में बॉन्ड लंदन चले गए लंदन जाकर कुछ समय बाद उन्हें एहसास हुआ कि वह एक भारतीय हैं भारत से ही उनकी पहचान है इससे प्रभावित होकर वह 1964 में मसूरी में आकर बस गए।
रस्किन बॉन्ड की किताबों पर कई हॉलीवुड फिल्में बन चुकी है। “flight of pigeons”, “Angry River” बॉन्ड की किताबों पर बनी फिल्में हैं। उनके उपन्यास “रूफ़” को प्रतिष्ठित जॉन लेवेनिन राइस अवॉर्ड दिया गया है। हिंदी सिनेमा भी रस्किन बॉन्ड की कहानियों से अछूता नहीं रह सका। निर्देशक और प्रड्यूसर विशाल भारद्वाज ने बॉन्ड द्वारा लिखित किताब “सुजैन सेवन हस्बैंड” पर “7 खून माफ” फिल्म बनाई है, जिसमें प्रियंका चोपड़ा अहम भूमिका में थी।
रस्किन बॉन्ड कहते हैं कि उन्हें सोना बहुत पसंद है, वे बेहद आलसी हैं आप अभी कहो तो अभी सो जाएंगे। उनकी मजाककिया बातें अक्सर लोगों को हंसने से रोक नहीं पाती। बॉन्ड अपने नाम के उच्चारण को लेकर बहुत से मजाकिया किस्से सुनाते है कैसे लोग उनका नाम गलत उच्चारित करते हैं। बॉन्ड जिस मुकाम पर हैं उस पर पहुंचने की लोग कल्पना मात्र करते हैं पर आज भी देश दुनिया में जाने वाले बॉन्ड चकाचौंध से बहुत दूर है उन्हें आज भी एक सरल जीवन व्यतीत करना पसंद है। अपनी एक किताब में रस्किन लिखते हैं कि वो सादगी के कायल इसलिये हैं कि वह बहुत आलसी हैं। धूप में सोये रहते हैं। घर की गंदी दीवार पर सिर टिकाए हुए सपने देखते रहते हैं। रस्किन उम्र के इस पड़ाव पर आने के बाद भी सुबह सूरज की किरण के साथ उठकर एक से 2 घंटा लिखते हैं और अपने काम खुद करते हैं।
“ब्रीफ नोट्स फ्रॉम द हिल्स” में बॉन्ड की रोजाना लिखे विचारों को दिया गया है। रस्किन बताते हैं कि बचपन से ही वह किताबी कीड़ा रहे है, और उनके मन में किताब लिखने का ख्याल आता था वह चाहते थे कि वह किताब लिखे लेकिन उन्हें समझ नहीं आता था कि किस तरह की किताब लिखें। सोचते थे टिकटों के इतिहास या भारतीय राज्यों के वनों पर उन्हें किताब लिखनी चाहिए पर उन्होंने ऐसा नहीं किया।
रस्किन बॉन्ड के भूत बहुत शालीन होते हैं
रस्किन बॉन्ड बताते हैं कि उनके भूत बहुत शालीन होते हैं, वह किसी को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। उन्होंने भूत को देखा तो नहीं है, लेकिन उनको महसूस जरूर किया है। एक लड़की ने जब उनसे पूछा कि आपकी कहानियां पढ़ने पर उसे डर नहीं लगता उन्हें अपनी कहानियों में भूतों को और डरावना दिखाना चाहिए। तो उन्होंने अपने भूतों को शालीन बताया जो किसी को डराते या परेशान नहीं करते हैं। अपना एक अनुभवी भूतिया किस्सा साझा करते हुए लेखक ने कहा कि वह बहुत पुरानी कॉटेज में रहते हैं और उनके कमरे के पास एक छोटा कमरा है, जहां कोई नहीं सोता। एक रात उन्होंने लोगों को बात करते सुना, पर यह नहीं समझ सका कि वे क्या बातें कर रहे हैं। उन्होंने उठकर लाइट जलाई और देखा कि वहां कोई नहीं था।उनकी इस किस्सागोई को सुनकर मौजूद लोग हंस पड़े।
रस्किन बॉन्ड की किताबें “घोस्ट स्टोरीज फ्रॉम द राज”, “डस्ट ऑन द माउंटेंस”, ए सीजन ऑफ घोस्ट” लोकप्रिय हैं। प्रसिद्ध लेखक पद्मश्री और पद्मभूषण रस्किन का कहना है कि जब तक आखरी सांस है, तब तक वे बच्चों के लिए लेखन का काम करते रहेंगे। मसूरी में बॉन्ड अपने बुक स्टोर पर हर शनिवार को पहुंचते हैं। जहां उनके प्रशंसक भारी संख्या में उनसे मिलने आते हैं और उनके साथ सेल्फी लेते हैं क्यों किसी को निराश नहीं करते सब के साथ बहुत अच्छे से पेश आते हैं। उनका यही सरल व्यक्तित्व लोगों को उनकी और भी ज्यादा प्रभावित करता है।