ताइक्वांडो फेडरेशन के अध्यक्ष नामदेव शिरगांवकर के साथ बातचीत

कोरोनावायरस ने दुनिया भर में सबसे ज्यादा खेल को ही प्रभावित किया है। लेकिन खेल और खिलाड़ियों को ज्यादा दिनों तक शायद ही कोई रोक सका है। कुछ एहतियात बरतते हुए जब यूरोप के देशों में फुटबॉल शुरू हुआ तो लगा कि भारत में भी अब खिलाड़ियों को एक बार फिर से अपने लय में आने के लिए बाहर जा कर ट्रेनिंग करना चाहिए। लेकिन कोरोना के कारण भारतीय खिलाड़ियों को बाहर जाकर ट्रेनिंग करने  पर सरकार ने रोक लगा दी थी। ताइक्वांडो फेडरेशन ने इसी बात को ध्यान में रखकर ऑनलाइन चैंपियनशिप कराया जो शायद पहली बार किसी भारतीय खेल में हुआ है। ताइक्वांडो अध्यक्ष नामदेव शिरगांवकर ने ऑनलाइन चैंपियनशिप का अनुभव के साथ साथ विभिन्न मुद्दों पर चिरौरी न्यूज़ की रिपोर्टर शिवानी रजवारिया से बातचीत की। पेश है मुख्य अंश…

कोरोना के समय में आपने ऑनलाइन चैंपियनशिप का आयोजन किया, कैसा अनुभव रहा?

ऑनलाइन चैंपियनशिप का अनुभव बहुत अच्छा रहा। कोरोना के टाइम में जो हमारे एथलीट्स थे वह बिल्कुल दिशाहीन थे, परेशान थे अपने फ्यूचर को लेकर। किसी भी एथलीट्स के लिए मेंटली सरवाइव करना बहुत ही डिफिकल्ट हो गया था। जब हमने इस चैंपियनशिप के बारे में सोचा और उसके बाद जब अनाउंसमेंट किया तो बहुत सारे प्रश्न आये और लोगों में यह उत्सुकता जगी  कि ये प्रतियोगिता कैसे होगी। हमने उन्हें चैंपियनशिप के बारे में बताया, उनके सारे प्रश्नों का जवाब दिये, इसके रूल्स और रेगुलेशंस को बताया। जब बताया गया कि ये चैंपियनशिप सभी के लिए ओपन है, इसमें सभी भाग ले सकते हैं, तो फिर एक उत्साह की लहर सभी खिलाड़ियों में आई।

जो ट्रेनिंग सेंटर में ताले लग गए थे वह अपने आप खुलने लगे। एथलीट्स ने नियमों के अधीन रहकर जहां-जहां भी ऐसी जगह थे वहां जाकर प्रैक्टिस शुरू किया। प्रैक्टिस शुरू करने के बाद अपने-अपने वीडियोस रिकॉर्ड करके हमारे पास भेजे। एथलीट्स को कई सारी दिक्कतें आई और हमें कई सारी रिक्वेस्ट आई। जिस कारण हमने चैंपियनशिप के 2 दिन भी बढ़ाए ताकि हमारे जो एथलीट थे, वो छूट नहीं जाएं। सबको इकट्ठा करने की हमने कोशिश की। एथलीट्स को फिजिकली फिट रहने के लिए, अपनी परफॉर्मेंस दिखाने के लिए एक प्लेटफार्म हमने आयोजित करके दिया और मैं आपको खुशी से बताना चाहता हूं कि 2000 से ज्यादा एथलीट्स ने हमारे पास आवेदन पत्र भेजे थे। तक़रीबन 1500 आवेदन पत्र एक्सेप्ट करके हमारी जो रैफरी कमेटी थी उसके सामने भेजे और उन्होंने उनका चयन करके उनका रिजल्ट हमारे पास भेजा।

इस दौरान तकनीकी दिक्कतें भी आए होंगे?

चैलेंजेस काफी थे, कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम भी थी, हमारे जो गांव के एथलीट्स थे वह थोड़े टेकफ्रेंडली नहीं है। बहुत  सारे लोगों को रिकॉर्डिंग से लेकर वीडियो के लिंक लगाने तक या भेजने तक में दिक्कत हुई। उसी वजह से उनकी वीडियो हमारे पास टाइम पर नहीं पहुंची। इसलिए हमारी टीम को भी उनसे संपर्क करने के लिए, उनसे बात करने के लिए, उनको फोन करने में काफी समय लग गया लेकिन ओवरऑल कहे तो सारा सबकुछ मैक्सिमम एथलीट को हमने कवर करके उनके पास पहुंचकर हमने इसको अच्छा तरीके से किया।

ताइक्वांडो का फ्यूचर इंडिया में कैसा है?

ताइक्वांडो का फ्यूचर बहुत ब्राइट है, ऐसा मैं दो चीजों से कह रहा हूं। जैसा कि मैंने कहा हमारे पास ब्रॉड लेस कैटिगरीज 5 से 7 साल के बच्चों ने भी हमारे पास अपनी वीडियोस पहुंचाए। बुजुर्ग 70 साल के बुजुर्ग ने भी वीडियो रिकॉर्ड करके भेजें जो बहुत सराहनीय था इससे हम समझ सकते हैं कि आपके पास जब टॉप एंड बॉटम लेवल के एथलीट मौजूद हैं। मेरे ख्याल से आने वाले समय में ताइक्वांडो का भविष्य बहुत अच्छा है उज्जवल है और मुझे आशा है आने वाले समय में ताइक्वांडो के और एथलीट सामने आएंगे। एशियन गेम में, आने वाले  ओलंपिक गेम होंगे उसमें भारत का निश्चित रूप से नेतृत्व करेंगे।

 ताइक्वांडो फेडरेशन क्या ऐसा कोई कार्यक्रम करता है जहां लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाती है?

हम जल्दी ही एक वूमेंस कमिशन अनाउंस कर रहे हैं, जिसमें हमारी जो भी अच्छी एथलीट्स है जैसे लतिका भंडारी जो कि हमारी बहुत अच्छी एथलीट हैं, उनके साथ मिलकर और भी कई एथलीट को शामिल कर लड़कियों को ऑनलाइन या ऑफलाइन ट्रेनिंग देने का काम करेंगे। बेविनार के माध्यम से जो सेल्फ डिफेंस के बेसिक्स हैं, महिलाओं व लड़कियों के लिए शुरू होंगे।

दूसरा हम आने वाले समय में उनके लिए कुछ स्पेशल सेमिनार ऑर्गेनाइज करने की जरूरत पड़ी तो वह भी हम करेंगे। ताइक्वांडो में मार्शल आर्ट बहुत महत्वपूर्ण है, जिसकी ट्रेनिंग लड़कियों को सेल्फ डिफेन्स के ली दी जा सकती है। ताइक्वांडो खेलने से तीन चीजों को फायदा होता है, पहले आप फिजिकली फिट होते हैं, आपकी इम्यूनिटी अच्छी होती है तो आप कोरोना जैसी महामारी से लड़ सकते हैं, दूसरा आपको एक सेल्फ डिफेंस मिलता है जो कि महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। खासकर आजकल की हालत को देखते हुए ये लड़कियों के लिए बहुत ही इम्पोर्टेंट है और तीसरा इससे आपको एक कैरियर भी मिलेगा। ऐसे कई सारे फायदे हैं। यह लड़कियों के लिए अच्छा खूबसूरत कंबीनेशन है। महिलाओं को आगे आना चाहिए।

एथलीट्स जो इस चैंपियनशिप में भाग नहीं ले पाए, उनके लिए कोई भी  प्लान रखा गया?

नहीं, टेक्निकल में आप कोई बैकअप प्लान नहीं रख सकते। जैसे कुछ एथलीट्स जो गाँव में हैं ने कहा कि उन्हें ऑनलाइन फॉर्म भरना नहीं आता, डिजिटल फॉर्म दे दीजिए। तो फिर हमने उनकी क्वेरीज के लिए एक कॉल सेंटर जो हमारे ऑफिस में ही है बनाया। उनके लिए स्पेशल ताइक्वांडो के एथलीट को अप्वॉइंट किया जो एक्स एथलीट है, फॉर्मल कोच है, स्कूलों में पढ़ाते हैं उनको रखा था ताकि उनको हेल्प मिल सके।

यह कंपटीशन ही ऑनलाइन था इसमें अगर आप वीडियो रिकॉर्ड करके हमारे पास नहीं भेज सकते तो हम आपको कुछ नहीं करा सकते। कई लोगों ने हमारे पास व्हाट्सएप के माध्यम से, ईमेल के माध्यम से लिंक भेजें तब भी हमने एक्सेप्ट किए। दो-तीन दिन का समय था सभी के लिए, इतना दिन इंतजार नहीं कर सकते थे। जब कंपटीशन होता है तो आपको एक लिमिटेड टाइम में उसको खत्म करना होता है। जितना हम सबको हेल्प कर सकते थे उतना हमने किया।

इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन से किस तरह का समर्थन मिलता है?

वर्ल्ड ताइक्वांडो फेडरेशन और इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन का समर्थन भारत ताइक्वांडो के विकास के लिए अमूल्य है और भविष्य में भी इसी तरह के समर्थन की उम्मीद है। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट नरेन्द्र बत्रा जी का सहयोग हमेशा से रहा है। अभी जो चैंपियनशिप हुई थी उसके लिए भी उन्होंने बहुत सराहना की है। चैंपियनशिप में महाराष्ट्र ने पुरुष और महिला वर्ग में सामूहिक रूप से 18 पदक जीतकर चैंपियनशिप जीता है। असम 17 पदक के साथ दूसरे स्थान पर रहा जबकि मिजोरम ने रंग बेल्ट और ब्लैक बेल्ट डिवीजन दोनों में कुल 9 पदक के साथ 3 स्थान हासिल किया।  भारत ताइक्वांडो एक राष्ट्रीय संघ का पहला सदस्य है जिसने एथलीटों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक आधिकारिक खेल टूर्नामेंट शुरू किया है।

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