दिल्ली सरकार का खजाना ख़त्म, कर्मचारियों को नहीं दे सकती सैलरी; केंद्र से मांगी आर्थिक मदद
न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के जारी लॉक डाउन ने सभी की आर्थिक स्थिति कमजोर कर दी है। क्या मजदूर और क्या खास, सभी के लिए कुछ न कुछ समस्याएं उत्त्पन्न कि है इस कोरोना ने। भारत के कई राज्य सरकार भी वित्तीय समस्या से जूझ रहे है। उनमे से ही एक राज्य है दिल्ली, जहाँ के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि राज्य के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं।
ये और बात है कि कुछ दिन पहले ही आम आदमी पार्टी मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सभी न्यूज़पेपर में फुल पेज विज्ञापन दिया है।
अब दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि दिल्ली सरकार के सामने सबसे बड़ा संकट है कि अपने कर्मचारियों की सैलरी कैसे दी जाए। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से दिल्ली सरकार का टैक्स कलेक्शन करीब 85 फीसदी नीचे चला गया है।
मनीष सिसोदिया ने कहा, “दिल्ली सरकार को केवल सैलरी देने और ऑफिस के खर्च को उठाने के लिए 3,500 करोड़ रुपये हर महीने जरूरत है, जबकि पिछले दो महीने में करों से 500-500 करोड़ रुपये इकट्ठा हुए हैं, बाकी और स्त्रोत्रों से मिलाकर दिल्ली सरकार के पास कुल 1,735 करोड़ रुपये आए हैं।”
आज मनीष सिसोदिया ने ट्विट किया कि, “मैंने केंद्रीय वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखकर दिल्ली के लिए 5 हज़ार करोड़ रुपए की राशि की माँग की है। कोरोना व लॉकडाउन की वजह से दिल्ली सरकार का टैक्स कलेक्शन क़रीब 85% नीचे चल रहा है। केंद्र की ओर से बाक़ी राज्यों को जारी आपदा राहत कोष से भी कोई राशि दिल्ली को नहीं मिली है।”
उप मुख्यमंत्री ने कहा, “पिछले दो महीनों में जीएसटी संग्रह प्रति महीने केवल 500 करोड़ रुपये का हुआ है। हमें अपने कर्मचारियों का वेतन देने में सक्षम होने के लिए कम से कम सात हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता है, जिनमें से अनेक कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ अग्रिम पंक्ति के दायित्व को अंजाम दे रहे हैं।”
उपमुख्यमंत्री ने उन्होंने बताया कि वित्त मंत्री ने आपदा राहत कोष से जो पैसा राज्यों को दिया है वो पैसा दिल्ली सरकार को नहीं मिला है, इस वजह से दिल्ली में काफी वित्तीय दिक्कतें हैं। दिल्ली सरकार के पास कोई टैक्स नहीं आ रहे हैं, केंद्र सरकार से वैसे भी दिल्ली सरकार को कोई सहायता नहीं मिलती है।