दिव्यांगों के लिए जीवन भर काम करते रहे डॉ जीएन कर्ण
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में काम करते हुए हमेशा दिव्यांगों के अधिकारों और उनके बेहतरी के लिए आजीवन काम करते रहे डॉ जीएन कर्ण। स्वयं शारीरिक रूप से दिव्यांग रहे, लेकिन कभी उसे अपने पर हावी नहीं होना दिया। वक्ताओं ने कहा कि डॉ जीएन कर्ण दिव्यांग ही नहीं, बल्कि आम लोगों के लिए भी प्रेरणापुंज रहे। मिथिला के तेघडा गांव से दिल्ली आए और देश ही नहीं, विदेश में भी अपने ज्ञान का लोहा मनवाया। उनकी सोच समय से आगे की रही, यही कारण रहा है कि पूर्व राष्ट्पति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें कई समितियों का सदस्य बनाया और दिव्यांग के अधिकारों के लिए उनसे काम करवाया।
आज सोसाइटी फाॅर डिसएबिलिटी एंड रिहेबिलेशन स्टडीज एसडीआरएस नई दिल्ली की ओर से डॉ जीएन कर्ण की स्मृति में एक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। एसडीआरएस की ओर से इसे आॅनलाइन आयोजित किया गया। बता दें कि डॉ जीएन कर्ण ने ही विकलांगों की बेहतरी और पुनर्वास के लिए इस संस्था का गठन किया था।
डॉ जीएन कर्ण की स्मृति में आयोजित व्याख्यानमाला में दिल्ली विश्वविद्यालयके एआरएसडी काॅलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ श्रीधरम ने डॉ कर्ण के समग्र जीवन और सामाजिक सरोकारों पर चर्चा की। इग्नू के पूर्व उपकुलपति डॉ पीआर रामानुजम, एम्स की डॉ पल्लवी नैयर, एआरएसडी काॅलेज के प्रिंसिपल डॉ ज्ञानतोष झा, भाजपा नेता राहुल रंजन सहित तमाम वक्ताओं ने डॉ जीएन कर्ण के बहाने दिव्यांगता विमर्श और सामाजिक तानाबाना पर अपने विचार रखें। वक्ताओं ने कहा कि समाज और देश को सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि हर स्तर पर लोग सशक्त हों। दिव्यांगों को भी अधिकार संपन्न और वित्तीय रूप से सामथ्र्यवान बना दिया जाए, तो वे भी समाज के मुख्यधारा में आकर अपने कर्तव्यों को बेहतर निर्वहन करेंगे। इसके लिए जहां सरकारी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं कई स्वैच्छिक संस्था भी आगे आकर काम कर रही है।
एसडीआरएस के निदेशक अजय कुमार कर्ण ने कहा कि हमारे प्रेरणास्रोत और विकलांगता अधिकारों के लिए जीवन भर काम करने वाले डॉ जीएन कर्ण जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विद्वतजनों ने आज चर्चा किया। उनके साथ बिताए गए पल और विचारों को साझा किया। जूम पर हुए इस आयोजन में प्रत्यक्ष और परोक्ष जिनकी भूमिका और सहभागिता रही, हम संस्था की ओर से सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हैं।