भारतीय ज्ञान का अन्वेषण करने के लिए फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का किया गया आयोजन

चिरौरी न्यूज़

कटक: श्री श्री यूनिवर्सिटी के कंटेंप्लेटिव स्टडीज एंड बिहेवियरल साइंसेज विभाग ने ऑनलाइन फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया है,जिसका शुभारंभ ५ से १४ नवंबर,२०२० को किया जाएगा।यह प्रोग्राम भारतीय ज्ञान तंत्र की समकालीन शिक्षा एवम् अभ्यास पर आधारित होगा।इस प्रोग्राम का उद्घाटन वैश्विक आध्यात्मिक गुरु,मानवतावादी एवम् आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक,गुरुदेव श्री श्री रविशंकर,माननीय शिक्षा मंत्री,डॉ रमेश पोखरियाल निशंक,पद्म विभूषण डॉ सोनल मानसिंह,श्री मुकुल कानितकर और कई विख्यात गणमान्य लोगों की उपस्थिति में किया गया।

डॉ रमेश पोखरियाल निशंक,माननीय शिक्षा मंत्री ने कहा,” जब हम भारतीय ज्ञान तंत्र की परंपराओं के बारे में सोचते हैं,तब हम पीछे मुड़कर तक्षशिला,नालंदा और विश्वशिला विश्व विद्यालयों की ओर देखते हैं।विश्वभर के लोग दर्शन,विचारों, विचारधारा और जीवन जीने के तरीके सीखने के लिए भारत आते हैं।भारत उपनिवेशवाद के आक्रमण के बावजूद विश्व के लिए विश्वगुरु रहा है।हमने विश्व का सही दिशा में लगातार मार्गदर्शन किया है।भारत की धरती के बारे में एक अनूठी बात यह है कि जब कई सभ्यताएं आयी और चली गईं,तब भी यह देश परीक्षा की घड़ी में अडिगता से खड़ा रहा। भारत विश्वगुरु है,था और सदैव रहेगा।”

इस प्रोग्राम का आयोजन सी पी डी एच ई,यू जी सी – एच आर डी सी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के सहयोग से किया जा रहा है।इस प्रोग्राम को ए आई सी टी ई,आई सी एस एस आर और आई यू सी टी ई जैसे नियामक निकायों का समर्थन भी प्राप्त है।माननीय प्रधान मंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के आवाहन एवम् भारतीय शिक्षा नीति – २०२० को लागू करने के लिए वर्तमान में की जाने वाली पहल पर प्रतिक्रिया देते हुए,इस एफ डी पी का लक्ष्य ,भारतीय शिक्षा तंत्र को शिक्षा संभाषण के केंद्र मंच पर लाना है।गुरुदेव ने कहा,” नई शिक्षा नीति सांस्कृतिक उत्साहियों,राष्ट्रवादियों और शिक्षाविदों की महत्वाकांक्षाओं के अनुकूल है,जो पुराने शिक्षा तंत्र को रूपांतरित करना चाहते हैं।एक ओर हम देखते हैं कि भारत प्रतिभाओं और संसाधनों से भरपूर है,लेकिन इसका उपयोग करने के लिए एक मजबूत प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है,जो केवल अच्छे शिक्षा तंत्र से ही प्राप्त हो सकता है।”

ऋग्वेद के एक श्लोक ‘ कृंवंतो विश्वमार्यम ‘ का उच्चारण करते हुए,गुरुदेव ने कहा,” हमारे प्राचीन साधु और संतों से कहा था कि हम सर्वश्रेष्ठ मनुष्यों का निर्माण करेंगे।सही शिक्षा तंत्र के बिना सर्वश्रेष्ठ मनुष्यों का निर्माण नहीं हो सकता है।” गुरुदेव ने श्री श्री यूनिवर्सिटी की स्थापना के पीछे के अपने दृष्टिकोण के बारे में भी बताया,जिसका उद्देश्य सर्वश्रेष्ठ पश्चिमी शिक्षा एवम् पूर्व के ज्ञान को एकीकृत करके भारतीय उच्च शिक्षा में लाना है।

इस फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का उद्देश्य शैक्षिक समुदाय को भारतीय ज्ञान तंत्र की आवश्यकता,प्रासंगिकता और सार के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करना है,विशेषकर उन शिक्षकों को,जो भारत के कॉलेजों और विश्व विद्यालयों में शिक्षण कर रहे हैं।इस प्रोग्राम में विभिन्न सत्रों में शिक्षा तंत्र के प्रसार पर भी विचार विमर्श किया जाएगा,जो पूरी तरह से पश्चिमी शिक्षा से लिया गया है।साथ ही साथ पारंपरिक भारतीय ज्ञान तंत्र की प्रामाणिकता एवम् वैधता को खारिज किए जाने पर भी विचार विमर्श किया जाएगा।उपरोक्त पृष्ठभूमि के खिलाफ, आयकेएस दुनिया के मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण से परे जाकर एक ताजा सशक्त परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करता है। इसकी संबंधपरक संसार दृष्टी में संपूर्ण अस्तित्व जुडा हुआ है और अन्योन्याश्रित हैं। मानव होने का सार ब्रम्हांड को नियंत्रित करने में नहीं बल्कि सद्भाव से रहने और एक साथ बढ़ने मे निहित है। यह जीवन और व्यवस्था की बाधाओं को पहचानने और एक परस्पर जीवन दुनिया के गतिशील प्रवाह का सम्मान करने के लिए आमंत्रित करता है। यह एक व्यापक दृष्टि प्रदान करता है जिसमें शांती और सौहार्द की विशेषता के साथ विश्व निवासियों की जिम्मेदार भागीदारी की मांग करता है। समकालीन समय में अनुभव की गई कई समस्याओं और कमियों को समझने और हल्की करने में, आयकेएस के विभिन्न क्षेत्रों में जोखिम और सक्षमता की आवश्यकता है। वर्तमान एफडीपी इस संदर्भ में बहुत उचित है। यह आयकेएस के विभिन्न क्षेत्रों के साथ महत्वपूर्ण और रचनात्मक जुड़ाव के लिए आमंत्रित करता है। संसाधन व्यक्तियों को भारत से और नजदीक के उच्च शिक्षा के केंद्रों हे निकाला जाता है। वे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा करेंगे। वक्ताओं की एक आकर्षक सूची नीचे संलग्न है।

१४- दिवसीय एफडीपी तीन क्षेत्रों को सम्मिलित करता है

  • आयकेएस की विरासत और संदर्भ,
  • आयकेएस का क्षेत्र और व्यापकता, और
  • आयकेएस को पुनःप्राप्त करने के लिए शिक्षाशास्त्र और चुनौतियां।

आयकेएस की विरासत और संदर्भ का विषय एक अवलोकन प्रदान करता है और प्रतिभागियों को यह समझने के लिए सही संदर्भ तैयार करता है कि आयकेएस को भारतीय ज्ञान प्रणाली (Indian Knowledge System-IKS), ऐतिहासिकता और पुनः सक्रिय करनेवाले आयकेएस के तहत क्या पेशकश करनी है।

आयकेएस के क्षेत्र और व्यापकता को भाषा, भाषा विज्ञान और साहित्य को सम्मिलित करने वाले विषयों के साथ ९ दिनों में और विस्तृत किया गया है; दर्शन: स्कूल, ग्रंथ, विचारक और परंपरा; मनोविज्ञान और आत्मविकास; प्राकृतिक विज्ञान; प्रौद्योगिकी; स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान; समाज,  राजनीति, आर्थिक प्रणाली और व्यवहार; कला और शिल्प और अन्य ज्ञान क्षेत्र।

आयकेएस की विशालता और गहराई के साथ आयकेएस को पुनः प्राप्त करने और इसे हमारे शिक्षाशास्त्र में पेश करने की चुनौतियाँ आती है। आयकेएस के विषयों पर पिछले दो दिनों में इस पहलू पर चर्चा की गई है: शिक्षाशास्त्र, पद्धती और चुनौतियां; और सारांश: प्रगति की ओर अग्रसर।

  • “आर इंडियन नाॅलेज सिस्टम्स ऑबसोलेट?”- मायकेल डैनिनो
  • “काँट्रिब्यूशन ऑफ आयकेएस टू वर्ल्ड नाॅलेज” और “NEP 2020: अनपिनींग मॅकाॅले”- प्रो. कपिल कपूर
  • “भासा-सिंतना-परंपरा”: प्रो.राजेश मिश्रा
  • “४ संप्रदाय- सनातन, बौद्ध, जैन, सिक्ख”: प्रो. जगबीर सिंह
  • “माइंड: द सोर्स ऑफ इलनेस अँड वेलनेस”: सिस्टर बी.के  शिवानी
  • “इंडियन पर्स्पेक्टिव ऑन द नेचर अँड परपज ऑफ साइंटिफिक नाॅलेज”: प्रो. एम. डी. श्रीनिवास
  • “आर्किटेक्चरल इंजिनिअरींग हेरीटेज ऑफ इंडिया”: प्रो. आर. एन. आयंगर
  • “अनरॅवलींग सायन्स बिहाइन्ड यूसेज ऑफ हर्ब्स इन ट्रेडिशनल फूड्स”: डाॅ. डी बी ए नारायण
  • “प्रॅक्टीसिंग धर्म इन द प्रेझेंट डे”: प्रो. भरत गुप्त
  • “नाट्यशास्त्र, संगीत और नृत्य”: पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंग
  • “अॅनशियंट इंडियन ट्रेडिशन्स ऑन एनवायर्नमेंट/इकाॅलाॅजी”: पद्मभूषण डाॅ. अनिल जोशी
  • “रिक्लेमिंग आयकेएस: सिस्टमॅटिक चॅलेनजेस अँड सोल्यूशन्स”: प्रो. कपिल कपूर और,
  • “रिफ्लेक्शन्स ऑन माय जर्नी इन आयकेएस फाॅर द पास्ट ३० इयर्स”: श्री. राजीव मल्होत्रा

FDP _IKS 2020 वर्तमान में भारत के २० राज्यों में शिक्षा के २८३ संकाय सदस्यों सह अन्य हितधारकों के साथ भाग लिया जा रहा है। इसके अलावा, डीसीबीएस के छात्रों का पहला बॅच भी एफडीपी के दौर से गुजर रहा है क्योंकि विभाग के तहत पेश किए जाने वाले मनोविज्ञान और समकालीन अध्ययन कार्यक्रम एफडीपी की शिक्षाओं में शामिल करता है।

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