ग्लोबल नर्स फोर्स और तमिलनाडु कौशल विकास केंद्र ने शुरू किया अंतरराष्ट्रीय करियर का मार्ग
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: नैतिक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्यकर्मी भर्ती के क्षेत्र में अग्रणी संस्था ग्लोबल नर्स फोर्स ने तमिलनाडु राज्य सरकार की लॉजिस्टिक्स क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख कौशल विकास इकाई के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस साझेदारी का उद्देश्य तमिलनाडु की नर्सिंग पेशेवरों के लिए बिल्कुल निःशुल्क अंतरराष्ट्रीय रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
यह सहयोग राज्य की कुशल नर्सों को ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड और खाड़ी सहयोग परिषद के देशों में प्रतिष्ठित अस्पतालों में काम करने का अवसर देगा। ग्लोबल नर्स फोर्स की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित प्रशिक्षण, भाषा दक्षता, लाइसेंस की तैयारी और पूर्णतः पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया संचालित की जाएगी। राज्य सरकार की संस्था पूरे राज्य में प्रतिभाओं की पहचान कर उन्हें इस कार्यक्रम में सम्मिलित करेगी।
इस कार्यक्रम में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर आधारित प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, नैदानिक प्रशिक्षण के लिए अस्पतालों में प्रत्यक्ष अभ्यास, अंग्रेज़ी भाषा में विशेष मार्गदर्शन, और व्यक्तिगत परामर्श एवं मेंटरशिप शामिल रहेगा। सभी प्रतिभागियों की प्रगति को एक डिजिटल मंच पर नियमित रूप से ट्रैक किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी।
यह पहल तमिलनाडु की नर्सों को केवल एक नौकरी नहीं, बल्कि सम्मानजनक जीवन, आर्थिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक पहचान प्राप्त करने का अवसर देगी। यह उन नर्सों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगी जो साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आती हैं और बेहतर भविष्य की तलाश में हैं।
ग्लोबल नर्स फोर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री ललित पटनायक ने कहा, “तमिलनाडु की मेहनती नर्सों को वैश्विक स्तर के अवसर मिलना चाहिए। इस साझेदारी के माध्यम से हम उन्हें एक सशक्त, नैतिक और भविष्य उन्मुख करियर की ओर अग्रसर कर रहे हैं।”
संगठन के मुख्य व्यवसाय अधिकारी श्री परमानंद संत्रा ने कहा, “हमारा सपना भारत को वैश्विक कौशल का केंद्र बनाना है। तमिलनाडु सरकार के साथ यह साझेदारी यह सुनिश्चित करती है कि राज्य के हर कोने से आने वाली प्रतिभाशाली नर्सों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिना किसी शुल्क के कार्य के अवसर प्राप्त हों।”
राज्य की कौशल विकास संस्था के निदेशक डॉ. संजू थॉमस अब्राहम ने कहा, “हमारी नर्सें अब वैश्विक अनुभव प्राप्त करके केवल खुद को नहीं, बल्कि अपने परिवार और समुदायों को भी सशक्त बनाएंगी। वे अंतरराष्ट्रीय अभ्यास और रेमिटेंस के ज़रिए राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को और मज़बूत करेंगी।”